सीएम पर प्रहार करने के लिए भाजपा का इस्तेमाल न करें तेजस्वी : प्रभाकर मिश्र

- तेजस्वी ने साफ किया कि राजद ही सरकार में ड्राइविंग सीट पर है
- जदयू और राजद का मेल तेल-पानी की तरह
- दुनिया का अजूबा है बिहार में 7 दलों का सत्ताधारी गठबंधन
- प्रेशर पॉलिटिक्स से बिहार का हो रहा नुक़सान
पटना। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश प्रवक्ता प्रभाकर कुमार मिश्र ने जदयू व राजद गठबंधन को मतलब की यारी बताया और कहा कि महागठबंधन के सभी सातों दल अपना निजी स्वार्थ साधने के लिए एक-दूसरे के साथ आये हैं। इनके एजेंडे में बिहार का विकास और हित नहीं है। मिश्र ने आगे कहा की आज यहां उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री पर प्रहार करने के लिए भाजपा को तेजस्वी बीच में नहीं लाएं। मिश्र ने आगे कहा कि लालू के सुपुत्र कहते हैं कि भाजपा ने 2 साल बर्बाद कर दिया, यही आशीर्वाद पहले महागठबंधन सरकार को मिल गया होता तो अब तक कितना काम हो गया होता। तेजस्वी के इस बयान का मतलब क्या है? नीतीश कुमार को इसका जवाब देना चाहिए। तेजस्वी के कहने का एकमात्र आशय यहीं है कि बिहार में नीतीश कुमार सिर्फ नाम के मुख्यमंत्री हैं, सारा कुछ राजद के सजायाफ्ता सुप्रीमो के आदेश पर हो रहा है। मिश्र ने आगे कहा कि तेजस्वी के पास दिमाग नहीं है कि वास्तविक स्थितियों का सही आकलन कर सकें। पति-पत्नी ने शासनकाल में बिहार गर्त में गया। महागठबंधन सरकार में अब फिर वही जंगलराज है। अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और पुलिस बैकफुट पर है। मिश्र ने कहा कि भाजपा और जदयू का मेल तेल-पानी की तरह है। दोनों सिर्फ बिहार की जनता को धोखा देने के लिए एक साथ आये हैं। दोनों के बीच प्रेशर पॉलिटिक्स का गेम चल रहा है। राजद के सुधाकर सिंह, सुनील सिंह व शिवानंद तिवारी ने मुख्यमंत्री को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। शिवानंद तिवारी ने तो मुख्यमंत्री को राजनीति से संन्यास लेने तक की नसीहत दे डाली है। असल में ये तो मुंह हैं, पेट तो लालू प्रसाद ही हैं। मिश्र ने आगे कहा कि बिहार में 7 दलों का सत्ताधारी गठबंधन दुनिया का अजूबा है। जहां एक-दूसरे को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती। न विचार एक न व्यवहार एक। जिसके विरोध करने से राजनीति में पहचान मिली आज उसी के साथ हो लिये। जंगलराज का विरोध ने नीतीश कुमार को बिहार का नेता बनाया आज जंगलराज के सूत्रधार से ही जा मिले। इमरजेंसी के खिलाफ आंदोलन ने जिसे नेता बनाया, वह इमरजेंसी लगाने वालों के कुनबे में शामिल हो गये।

