तेजस्वी का पीएम पर हमला, कहा- मुझे क्रिकेट खेलने और चुनाव में दौड़ते सभी ने देखा, उनको चाय बेचते किसी ने नहीं देखा
- नेता प्रतिपक्ष का हमला, कहा- बिहार में चरम पर पहुंच अपराध, रोज हो रही हत्याएं, बर्बाद हुई शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्था
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की सियासत में बयानबाजी का दौर तेज हो गया है। नेता प्रतिपक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य सरकार पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने जहां कानून-व्यवस्था की स्थिति को विफल बताया, वहीं शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को भी पूरी तरह बर्बाद करार दिया।
अपराध के हालात पर निशाना
तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में अपराधियों का मनोबल इतना बढ़ चुका है कि वे राजधानी पटना की सड़कों से लेकर गांव-गांव तक निडर होकर घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पटना में डीएम और एसपी के आवास से कुछ ही दूरी पर हत्या हो जाती है और सचिवालय के सामने गोलियां चल जाती हैं। इसके बावजूद पुलिस अपराधियों को पकड़ने में नाकाम रहती है। उन्होंने नाबालिग बच्चियों के साथ हो रहे दुष्कर्म और हत्या की घटनाओं को लेकर भी सरकार को कठघरे में खड़ा किया और कहा कि राज्य की कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है।
पीएम मोदी पर व्यक्तिगत तंज
तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसते हुए अपने क्रिकेट करियर की तुलना की। उन्होंने कहा कि भले ही उन्हें इंडिया टीम में खेलते हुए लोग न देख पाए हों, लेकिन मैदान पर दौड़ते हुए जरूर देखा है। इसके विपरीत प्रधानमंत्री जी के बारे में कहा गया कि उन्होंने चाय बेची थी, लेकिन वास्तव में किसी ने उन्हें चाय बेचते नहीं देखा। इस बयान को उन्होंने मोदी की राजनीति पर व्यंग्यात्मक हमला बनाने की कोशिश की।
तकनीकी विकास पर टिप्पणी
तेजस्वी यादव ने कहा कि तकनीकी विकास अपने आप में एक वैश्विक प्रक्रिया है और इसमें किसी सरकार की बड़ी भूमिका नहीं रही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पहले केवल टेलीफोन से बातचीत संभव थी, लेकिन आज वीडियो कॉल की सुविधा है। यह तकनीकी उन्नति है, न कि सरकार की उपलब्धि।
सहयोग और उद्योग पर सवाल
केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए तेजस्वी ने कहा कि पिछले 11 सालों में बिहार में कितने कारखाने लगाए गए, इसका हिसाब जनता को दिया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार को राष्ट्रीय स्तर पर उचित सहयोग नहीं मिला। इसके विपरीत, लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल को याद करते हुए उन्होंने कहा कि लालू ने रेलवे का किराया घटाया और साथ ही 90 हजार करोड़ रुपये का मुनाफा भी रेलवे को दिया था।
शिक्षा व्यवस्था पर हमला
तेजस्वी यादव ने शिक्षा की स्थिति पर सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि 2005 से पहले बनी यूनिवर्सिटी और कॉलेज ही आज भी छात्रों की पहली पसंद हैं। राज्य में नए संस्थानों की स्थापना तो हुई, लेकिन उनकी गुणवत्ता बेहद कमजोर है। उनका कहना था कि अभी भी अधिकतर छात्र उन्हीं पुराने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों पर निर्भर हैं, जो 2005 से पहले स्थापित किए गए थे।
स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली
स्वास्थ्य सेवाओं की चर्चा करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों की स्थिति बेहद खराब है। उन्होंने मधेपुरा मेडिकल कॉलेज का उदाहरण दिया, जहां केवल इमारत तो खड़ी कर दी गई है, लेकिन न डॉक्टर हैं, न इंजीनियर, न प्रोफेसर। उनका कहना था कि यह सरकार की नाकामी है कि बुनियादी ढांचा बनाने के बावजूद वहां स्वास्थ्य सेवाएं शुरू नहीं हो सकीं।
संजय झा को बताया बीजेपी का एजेंट
तेजस्वी यादव ने एनडीए के साथ खड़े नेताओं पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि संजय झा और उनकी पार्टी वास्तव में भाजपा के एजेंट की तरह काम कर रहे हैं। इस तरह उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की कि विपक्षी एकता को तोड़ने का प्रयास भाजपा के सहयोगियों द्वारा किया जा रहा है।
गरीबों और आम जनता के सवाल
अपने संबोधन में तेजस्वी ने यह भी कहा कि गरीबों के हित में राष्ट्रीय स्तर पर कई योजनाएं बनीं, लेकिन सवाल यह है कि उनका लाभ बिहार को कितना मिला। उन्होंने जनता से सीधा सवाल किया कि क्या वाकई में इन योजनाओं ने राज्य के विकास को गति दी है, या फिर बिहार को जानबूझकर पिछड़ा बनाए रखा गया है। तेजस्वी यादव का यह बयानबाजी भरा हमला साफ दर्शाता है कि बिहार की राजनीति चुनावी मोड़ पर पहुंच चुकी है। उन्होंने अपराध, शिक्षा, स्वास्थ्य और औद्योगिक विकास जैसे मुद्दों को केंद्र में रखते हुए सरकार और प्रधानमंत्री पर सवाल उठाए। साथ ही उन्होंने खुद को जमीन से जुड़ा नेता बताते हुए पीएम मोदी की छवि पर तंज कसा। इन बयानों से साफ है कि आने वाले चुनावों में जनता के सामने सरकार की उपलब्धियों बनाम विपक्ष की आलोचनाओं का मुकाबला दिलचस्प होगा।


