बिहार के शिक्षकों को 20 जून से मिलेगा ट्रांसफर लेटर, 30 जून तक जॉइनिंग, 1.30 लाख शिक्षकों को मिलेगा लाभ

पटना। बिहार सरकार ने राज्य के शिक्षकों के लिए एक बड़ी राहत की घोषणा की है। लंबे समय से लंबित तबादला प्रक्रिया को अब पूरी तरह से डिजिटल और पारदर्शी तरीके से लागू किया जाएगा। शिक्षा विभाग ने यह तय किया है कि 20 जून से शिक्षकों को उनके नए विद्यालयों का ट्रांसफर लेटर मिलना शुरू हो जाएगा। यह व्यवस्था राज्य के करीब 1.30 लाख शिक्षकों को प्रभावित करेगी और इसे अब तक का सबसे बड़ा तबादला अभियान माना जा रहा है।
डिजिटल पोर्टल से मिलेगा स्कूल का विवरण
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने जानकारी दी है कि अब शिक्षक अपने तबादले के बाद नए स्कूल का नाम और विवरण “ई-शिक्षा कोष पोर्टल” के माध्यम से देख सकेंगे। इस पोर्टल पर ट्रांसफर लेटर की जानकारी अपलोड की जाएगी, जिससे किसी भी शिक्षक को डीईओ कार्यालय जाने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे प्रक्रिया न केवल सरल होगी, बल्कि पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी।
ट्रांसफर लेटर 20 जून से और जॉइनिंग 30 जून तक
शिक्षकों को 20 जून से ट्रांसफर लेटर मिलना शुरू होगा। इसके बाद उन्हें 23 जून से 30 जून के बीच अपने नए विद्यालयों में योगदान करना होगा। इसको लेकर शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि सभी शिक्षक समय पर नई जगह पर ज्वाइन करें।
फुलप्रूफ और तकनीकी रूप से सुरक्षित प्रणाल
इस बार शिक्षा विभाग ने ट्रांसफर प्रक्रिया को तकनीकी और प्रशासनिक रूप से मजबूत बनाने के लिए विशेष तैयारी की है। पोर्टल आधारित आवेदन, ऑनलाइन दस्तावेज सत्यापन, वरीयता सूची और स्कूल आवंटन सभी प्रक्रियाएं डिजिटल माध्यम से हो रही हैं। इससे प्रक्रिया में किसी तरह के भेदभाव, पक्षपात या भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं रह जाएगी।
किस-किस स्तर के शिक्षक होंगे शामिल
इस बड़े ट्रांसफर अभियान में राज्य के प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक शामिल हैं। इससे स्कूलों में शिक्षक संतुलन बेहतर होगा और छात्रों को पढ़ाई में भी लाभ मिलेगा। शिक्षा विभाग का यह प्रयास राज्य के शैक्षणिक माहौल को बेहतर बनाने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
गर्मी की छुट्टियों में भी नहीं होगी परेशानी
अपर मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि अब शिक्षक गर्मी की छुट्टियों को निश्चिंत होकर मना सकते हैं। उन्हें ट्रांसफर के कारण किसी तरह की दौड़भाग नहीं करनी होगी। ऑनलाइन जानकारी मिलने से हर शिक्षक समय से अपनी जिम्मेदारियों को निभा सकेगा और उसे बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
ट्रांसफर प्रणाली में बदलाव की जरूरत क्यों थी
पिछले वर्षों में शिक्षकों की तबादला प्रक्रिया में देरी, भेदभाव और भ्रष्टाचार की कई शिकायतें मिलती रही हैं। शिक्षक संघों ने भी समय-समय पर इस पर आवाज उठाई थी। अब पोर्टल आधारित सिस्टम के जरिए इन सभी समस्याओं को दूर करने की कोशिश की जा रही है। तकनीकी हस्तक्षेप से जहां ट्रांसफर पारदर्शी होगा, वहीं शिकायतों की संख्या भी घटेगी।
शिक्षकों और स्कूलों को मिलेगा बड़ा लाभ
इस व्यापक ट्रांसफर योजना से शिक्षकों को उनकी वरीयता के अनुसार स्थान मिलने की संभावना बढ़ गई है। इससे वे मानसिक रूप से संतुलित रहकर पढ़ाने में बेहतर योगदान दे पाएंगे। साथ ही, स्कूलों में योग्य शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित होने से छात्रों को भी लाभ मिलेगा। शिक्षा विभाग का यह कदम राज्य की शिक्षा व्यवस्था को डिजिटल और पारदर्शी दिशा में ले जाने वाला साबित हो सकता है।
