सरकारी स्कूलों में अब शिक्षकों को ऑनलाइन मिलेगी छुट्टी, ईमेल से आवेदन, निर्देश जारी

पटना। बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने और इसे पारदर्शी बनाने के लिए शिक्षा विभाग ने एक बड़ा कदम उठाया है। अब राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में शिक्षकों को अवकाश लेने के लिए ऑनलाइन माध्यम का उपयोग करना होगा। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने इस संबंध में नया आदेश जारी किया है।
कागजी प्रक्रिया का होगा अंत
अब तक शिक्षकों को अवकाश के लिए कागजी प्रक्रिया का पालन करना पड़ता था, लेकिन नई व्यवस्था के तहत यह पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा। शिक्षकों को अपने अवकाश के लिए संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) को ईमेल के माध्यम से आवेदन करना होगा। चाहे वह आकस्मिक अवकाश (ईएल), अध्ययन अवकाश, मातृत्व अवकाश या चिकित्सा अवकाश हो, हर तरह के अवकाश के लिए ईमेल द्वारा ही प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
ज्वाइनिंग भी ईमेल के माध्यम से
अवकाश से लौटने के बाद शिक्षकों को अपनी ज्वाइनिंग की सूचना भी ईमेल के जरिए ही देनी होगी। इसके लिए सभी डीईओ को निर्देश दिया गया है कि वे अपना ईमेल पता साझा करें और सुनिश्चित करें कि सभी शिक्षक इसी माध्यम से आवेदन और ज्वाइनिंग की जानकारी दें। शिक्षा विभाग ने इस नई प्रक्रिया को लागू करने का मुख्य कारण बताया है कि कागजी प्रक्रिया के माध्यम से शिक्षकों की अवकाश की जानकारी समय पर प्राप्त नहीं हो पाती थी। विभाग को यह पता लगाने में कठिनाई होती थी कि कितने शिक्षक कब अवकाश पर गए और कब वापस लौटे। इस वजह से विद्यालयों में व्यवस्था बाधित हो रही थी।
ऑनलाइन प्रक्रिया के लाभ
इस नई प्रक्रिया से अवकाश के प्रबंधन में पारदर्शिता आएगी और शिक्षकों की अनुपस्थिति पर सटीक निगरानी रखी जा सकेगी। साथ ही, अवकाश स्वीकृति और ज्वाइनिंग की प्रक्रिया भी तेजी से पूरी होगी। इससे स्कूलों में शैक्षणिक व्यवस्था सुचारू रहेगी और छात्रों की पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
शिक्षकों की चुनौतियां और समाधान
हालांकि, इस नई व्यवस्था से शिक्षकों को कुछ प्रारंभिक दिक्कतें हो सकती हैं, खासकर उन शिक्षकों के लिए जो तकनीकी रूप से ज्यादा सक्षम नहीं हैं। इसके लिए विभाग द्वारा शिक्षकों को आवश्यक सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करने की योजना बनाई जा रही है। शिक्षा विभाग का यह कदम शिक्षकों की अनुपस्थिति पर नियंत्रण और शिक्षा प्रणाली को अधिक सटीक और प्रभावी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा। यह न केवल प्रशासनिक प्रक्रिया को सरल बनाएगा बल्कि राज्य के सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक गुणवत्ता में भी सुधार लाएगा।

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