महिलाओं के आरक्षण पर बीजेपी क्रेडिट ले रही, इस बिल को लोकसभा चुनाव से पहले लागू होना चाहिए : विजय चौधरी

पटना। महिला आरक्षण बिल लोकसभा और राज्यसभा से पारित हो गया है। बिल पारित होने के साथ अब इस पर सियासत देखने को मिल रही है। महिलाओं के लिए बड़े ढाल के रूप में इसे जरूर देखा जा रहा है। बिल पर क्रेडिट लेने और नकारने की बीच आरक्षण बिल में पेंच पर राजनीति शुरू हो चुकी है। बिहार सरकार की जनता दल यूनाइटेड पार्टी ने महिला आरक्षण को मौलिक सपोर्टर मान रही है। जदयू ने कहा है कि महिलाओं को आरक्षण देने को लेकर जदयू ने वर्ष 2006 से काम की है। बिहार में महिलाओं को नगर निकाय और पंचायत निकाय चुनाव में आरक्षण दिया है। जदयू के मंत्री विजय चौधरी ने कहा है कि महिलाओं को आरक्षण देने में बीजेपी क्रेडिट ले रही है। सच्चाई यह है कि महिला आरक्षण लागू में कई पेंच हैं। यह कब लागू होगा और कैसे। यह बड़ा सवाल है। जदयू ने ओबीसी और ईबीसी महिलाओं को आरक्षण देने की मांग दोहराई है। जदयू नेता विजय चौधरी ने कहा कि महिला आरक्षण लोकसभा चुनाव 2024 के पहले लागू हो। महिला आरक्षण में पिछड़े ,अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षण का अगल से प्रावधान हो। महिला आरक्षण का जेडीयू ने समर्थन करते हुए कहा है कि महिला आरक्षण में दो शर्त रखी गई है, जो इसे लागू होने पर संदेह पैदा करता है। विजय चौधरी ने कहा है कि जनगणना और परिसीमन के बाद ही यह लागू होगा। विजय चौधरी ने कहा है कि केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि जनगणना लोकसभा चुनाव 2024 के बाद कराए जाएंगे। लेकिन जनगणना को रोकना और लंबित करना उचित नहीं है। उन्होंने जनगणना होने पर ही संशय करार दिया है। विजय चौधरी ने कहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद बिहार के अलावा अन्य राज्यों में चुनाव है। बैक टू बैक चुनाव है। बीजेपी को क्रेडिट लेने का आरोप लगाते हुए कहा है कि यदि बीजेपी महिला के बारे में सही में सोचती है तो महिला आरक्षण विधेयक 2008 को लोकसभा से पारित करवाती। यह बिल राज्यसभा में वर्ष 2010 में आया था। राज्यसभा में पहले से पारित था। राज्यसभा में पारित बिल जस का तस है। संविधान संशोधन 108 के तहत यह बिल लाया गया था। अब 128 वा संशोधन कर इसे लागू किया गया। बीजेपी क्रेडिट लेने के लिए जानी जाती है। विजय चौधरी ने बिल के नाम को क्लिस्ट बताया है। उन्होंने कहा कि नाम बदल कर नारी शक्ति वंदन विधेयक रखा गया। नया दिखाने और दूसरा कोई श्रेय ना ले, इसलिए नाम बदल कर विधेयक लाया गया। विधेयक का नाम हमेशा सरल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बीजेपी अपनी पीठ खुद थपथपा रही है। सभी दलों ने समर्थन किया है। यह यूपीए और उससे पहले की सोच थी। श्रेय लेने की बीजेपी को बीमारी है।

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