राज्य के 150 बीएड कॉलेजों पर लटकी तलवार, रद्द होगी मान्यता, एनसीटीई ने भेजा नोटिस

पटना। बिहार में शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों की स्थिति पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने राज्य के करीब 150 बीएड कॉलेजों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। ये नोटिस संस्थानों द्वारा निर्धारित समय सीमा में परफॉर्मेंस एप्रेजल रिपोर्ट (PAR) जमा नहीं करने के कारण भेजे गए हैं। एनसीटीई ने स्पष्ट किया है कि अगर संस्थान 16-17 अप्रैल तक रिपोर्ट ऑनलाइन जमा नहीं करते हैं तो उनकी मान्यता रद्द की जा सकती है और वे आगामी शैक्षणिक सत्र 2025 से नए दाखिले नहीं ले पाएंगे।
परफॉर्मेंस एप्रेजल रिपोर्ट का महत्व
परफॉर्मेंस एप्रेजल रिपोर्ट केवल एक साधारण रिपोर्ट नहीं है, बल्कि यह संस्थान की वार्षिक प्रगति का ब्योरा होता है। इसमें न केवल शैक्षणिक गतिविधियों की जानकारी होती है, बल्कि ऑडिटेड अकाउंट स्टेटमेंट भी अनिवार्य रूप से शामिल होता है। यह रिपोर्ट यह दर्शाती है कि कोई संस्थान शैक्षणिक मानकों, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टाफ की योग्यता और अन्य नियामकीय आवश्यकताओं को किस हद तक पूरा कर रहा है। एनसीटीई ने यह रिपोर्ट समय पर जमा करने के लिए पहले भी कई बार निर्देश जारी किए थे, लेकिन अधिकांश कॉलेजों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
शिकायतों के आधार पर बढ़ी सख्ती
एनसीटीई के मुताबिक, बिहार के कई कॉलेजों के खिलाफ शिकायतें भी मिली हैं। इन शिकायतों में कहा गया है कि कुछ संस्थानों में केवल नाम के लिए पंजीकरण होता है। न तो उनके पास पर्याप्त आधारभूत सुविधाएं हैं और न ही योग्य शिक्षक नियुक्त किए गए हैं। कई जगहों पर तो कक्षाएं भी नियमित रूप से नहीं चलती हैं। इस प्रकार की लापरवाही से न केवल शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ता है, बल्कि प्रशिक्षित शिक्षकों की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है, जो अंततः छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
तेजी से बढ़ती संख्या, घटती गुणवत्ता
बीते कुछ वर्षों में बिहार में बीएड कॉलेजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। निजी क्षेत्र में निवेश को देखते हुए कई नए संस्थान खुले, लेकिन इनकी गुणवत्ता और नियामकीय शर्तों के पालन में गंभीर चूक देखने को मिली है। एनसीटीई ने इस पर पहले भी चिंता जताई थी, लेकिन अब जब लगातार चेतावनियों के बाद भी संस्थानों ने रिपोर्ट नहीं सौंपी, तो परिषद ने सख्त रुख अपनाया है।
संस्थानों को दी गई अंतिम चेतावनी
एनसीटीई ने सभी प्रभावित कॉलेजों को 15 दिनों के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है। उन्हें 16 और 17 अप्रैल तक अपनी परफॉर्मेंस एप्रेजल रिपोर्ट ऑनलाइन जमा करनी होगी। परिषद ने साफ कर दिया है कि अगर निर्धारित समय तक रिपोर्ट नहीं दी गई तो मान्यता रद्द की जाएगी। इससे संबंधित संस्थान शैक्षणिक सत्र 2025 से नए छात्रों को दाखिला नहीं दे पाएंगे। इस पूरी स्थिति से साफ है कि एनसीटीई अब शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता नहीं करना चाहता। बिहार जैसे राज्य में जहां पहले से ही शिक्षकों की गुणवत्ता को लेकर चुनौतियाँ रही हैं, वहां बीएड कॉलेजों की अनियमितता बेहद गंभीर मसला है। यह कदम एक सकारात्मक संकेत हो सकता है, जिससे संस्थानों पर जवाबदेही का दबाव बढ़ेगा और शिक्षक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। अब यह कॉलेजों की जिम्मेदारी है कि वे समय रहते सभी दस्तावेज जमा करें और नियामकीय प्रक्रियाओं का पालन सुनिश्चित करें, ताकि वे छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ न करें।
