November 12, 2025

आरजेडी को मतदान से पहले झटका, पूर्व प्रत्याशी सुरेश यादव बीजेपी में शामिल, सम्राट चौधरी ने दिलाई सदस्यता

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच सियासी समीकरण लगातार बदल रहे हैं। एक ओर जहां सभी राजनीतिक दल प्रचार के अंतिम चरण में अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं, वहीं दूसरी ओर दलबदल की राजनीति ने भी चुनावी तापमान को और बढ़ा दिया है। इसी क्रम में सोमवार को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को एक बड़ा झटका लगा जब पार्टी के वरिष्ठ नेता और रक्सौल विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी सुरेश प्रसाद यादव ने आरजेडी से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया। यह कदम उस समय आया है जब राज्य में दूसरे चरण का मतदान बेहद नजदीक है, जिससे भाजपा को चुनावी मोर्चे पर नई ऊर्जा और मनोवैज्ञानिक बढ़त मिलती दिखाई दे रही है।
भाजपा में हुए शामिल, सम्राट चौधरी ने दिलाई सदस्यता
सुरेश यादव ने पटना स्थित भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान औपचारिक रूप से भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। इस मौके पर राज्य के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। समारोह में भाजपा के वरिष्ठ नेता और मुख्य प्रवक्ता संजय मयुख सहित कई प्रमुख पदाधिकारी मौजूद थे। सदस्यता ग्रहण करते हुए सुरेश यादव ने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नीतियों से गहराई से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा, “भाजपा ही एक ऐसी पार्टी है जो राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखती है और गरीबों, किसानों, युवाओं तथा समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए कार्य कर रही है। मैं इस विचारधारा से प्रभावित होकर भाजपा में शामिल हुआ हूं और संगठन को मजबूत करने के लिए पूरी निष्ठा के साथ कार्य करूंगा।”
भाजपा नेतृत्व ने किया स्वागत
कार्यक्रम के दौरान उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने सुरेश यादव का पार्टी में स्वागत करते हुए कहा कि भाजपा परिवार में ऐसे जमीनी नेताओं का जुड़ना पार्टी की ताकत को और बढ़ाता है। उन्होंने कहा, “सुरेश यादव जैसे अनुभवी नेता जनता से जुड़े हुए हैं। उनका अनुभव और क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता भाजपा के लिए बहुत उपयोगी साबित होगी। हमें विश्वास है कि वे प्रधानमंत्री मोदी के ‘विकसित बिहार, सशक्त भारत’ के संकल्प को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।” भाजपा प्रवक्ता संजय मयुख ने इसे आरजेडी के लिए बड़ा झटका बताया। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट संकेत है कि आरजेडी के अंदर असंतोष और नेतृत्वहीनता का माहौल है। मयुख ने कहा, “बिहार की जनता अब यह भलीभांति जान चुकी है कि विकास और सुशासन केवल भाजपा के नेतृत्व में ही संभव है। भाजपा का परिवार लगातार बढ़ रहा है और जनता इसका स्वागत कर रही है।”
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि सुरेश यादव का भाजपा में शामिल होना सीमांचल और उत्तर बिहार की राजनीति को प्रभावित कर सकता है। रक्सौल जैसे सीमावर्ती क्षेत्र में यादव समुदाय की संख्या और प्रभाव दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। सुरेश यादव का इस क्षेत्र में व्यापक जनाधार रहा है, जो भाजपा के लिए चुनावी लाभ का कारण बन सकता है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस दलबदल से भाजपा को न केवल रक्सौल बल्कि आसपास के जिलों में भी फायदा मिल सकता है। वहीं, आरजेडी के लिए यह घटना एक मनोवैज्ञानिक झटका है, खासकर उस समय जब मतदान नजदीक है और विपक्षी दलों को एकजुटता दिखाने की जरूरत है।
आरजेडी खेमे में मचा सियासी घमासान
सुरेश यादव के इस्तीफे से आरजेडी खेमे में हलचल मच गई है। हालांकि पार्टी की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार यह कदम पार्टी के भीतर टिकट वितरण और नेतृत्व से असंतोष का परिणाम माना जा रहा है। कई स्थानीय कार्यकर्ताओं ने पहले भी नेतृत्व की निर्णय प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे। इस घटनाक्रम के बाद से आरजेडी में चर्चा का दौर तेज हो गया है। पार्टी के कुछ नेता मान रहे हैं कि ऐसे दलबदल चुनाव से पहले संगठन की छवि को कमजोर करते हैं। वहीं भाजपा इसे “मोदी-नीतीश की नीतियों में जनता के विश्वास” के रूप में पेश कर रही है।
भाजपा के लिए मनोवैज्ञानिक बढ़त
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इस दलबदल से भाजपा को “मनोवैज्ञानिक लाभ” मिला है। पार्टी लगातार राज्य में अपने संगठन को मजबूत कर रही है और विपक्षी दलों के असंतुष्ट नेताओं को अपने साथ जोड़ने में सफल हो रही है। पिछले कुछ महीनों में कई क्षेत्रीय स्तर के नेता भाजपा में शामिल हुए हैं। इस वजह से पार्टी की पकड़ गांवों और पंचायत स्तर तक मजबूत होती जा रही है।
चुनावी समीकरणों पर असर
बिहार के सीमांचल और उत्तरी हिस्सों में यादव समुदाय का प्रभाव काफी मजबूत है। ऐसे में सुरेश यादव जैसे नेता का भाजपा में शामिल होना इस समीकरण को बदल सकता है। अब देखना यह होगा कि भाजपा इस नए सियासी “गैन” को अपने पक्ष में कैसे भुनाती है और क्या आरजेडी इस झटके से उबरने में सक्षम होगी। बिहार चुनाव के बीच सुरेश यादव का भाजपा में शामिल होना सियासी हलचल का बड़ा संकेत है। यह कदम न केवल आरजेडी के लिए एक झटका है, बल्कि भाजपा के लिए रणनीतिक बढ़त का अवसर भी है। चुनाव के ठीक पहले हुए इस दलबदल ने राजनीतिक वातावरण को और गर्म कर दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मतदान से पहले इस नए सियासी समीकरण का क्या असर पड़ता है और क्या भाजपा इसे अपने लिए निर्णायक लाभ में बदल पाती है या नहीं। फिलहाल इतना तय है कि बिहार की राजनीति में एक बार फिर दलबदल का खेल चुनावी मैदान में नई करवट ले चुका है।

You may have missed