संसद भवन से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करने को सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार, याचिकाकर्ता ने वापस ली याचिका

नई दिल्ली। नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने की मांग वाली याचिका शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने नहीं सुनी। कोर्ट ने बस इतना कहा- समझ में नहीं आता आप लोग ऐसी याचिका लाते ही क्यों हैं? इसमें आपका क्या इंटरेस्ट है? इसके बाद याचिकाकर्ता एडवोकेट जया सुकिन ने पिटिशन वापस ले ली। उन्होंने कहा कि वे हाईकोर्ट भी नहीं जाएंगे। सुनवाई के दौरान जस्टिस माहेश्वरी ने कहा- काफी देर तक बहस करने के बाद याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी गई है। उन्होंने सॉलिसिटर जनरल से पूछा- मिस्टर आपको कोई समस्या इस पर मेहता ने कहा याचिका वापस लेने का मतलब है कि वह हाईकोर्ट जाएंगे और बहस करेंगे। अदालत को कहना चाहिए कि इन मामलों में बहस ही नहीं करनी है। इसके बाद याचिकाकर्ता एडवोकेट जया सुकिन ने पिटिशन वापस ले ली। उन्होंने कहा कि वे हाईकोर्ट भी नहीं जाएंगे। सुकिन ने गुरुवार को यह याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा था कि लोकसभा सचिवालय ने राष्ट्रपति को इनॉग्रेशन में न बुलाकार संविधान का उल्लंघन किया है। मामले में लोकसभा सचिवालय, गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय को पार्टी बनाया जाए। याचिकाकर्ता ने कहा- राष्ट्रपति प्रथम नागरिक, सारे काम उन्हीं के नाम पर होते हैं एडवोकेट जया सुकिन ने याचिका में कहा-18 मई को लोकसभा सचिवालय की ओर से बताया गया था कि नए संसद का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। संसद राष्ट्रपति और संसद के दोनों सदनों से मिलकर बनती है। राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक होता है। राष्ट्रपति के पास संसद बुलाने और उसे खत्म करने की शक्ति है। वही प्रधानमंत्री और दूसरे मंत्रियों की नियुक्ति करता है और सभी कार्य राष्ट्रपति के नाम पर ही किए जाते हैं। लोकसभा सचिवालय ने मनमाने तरीके से बिना सोचे-समझे आदेश जारी कर दिया है। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को नए संसद भवन के इनॉग्रेशन में आमंत्रित ना करना संविधान का उल्लंघन है। राष्ट्रपति को कार्यकारी, विधायी, न्यायिक और सैन्य शक्तियां भी प्राप्त हैं।
20 विपक्षी पार्टियों ने बहिष्कार किया, 25 दल शामिल होंगे
कांग्रेस समेत 20 विपक्षी पार्टियों ने उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का ऐलान किया है। विपक्ष का कहना है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दरकिनार कर प्रधानमंत्री से इसका इनॉग्रेशन कराने का निर्णय न केवल गंभीर अपमान है, बल्कि यह लोकतंत्र पर भी सीधा हमला है। वहीं, भाजपा समेत 25 पार्टियां उद्घाटन समारोह में शामिल होंगी।

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