सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच पर न्यूज एंकरों की भूमिका पर भी उठाए सवाल, कहा- आखिर क्यों मूक दर्शक बनी है सरकार

नई दिल्ली। हेट स्पीच की बढ़ती घटनाओं के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार से कई सवाल किए। साथ ही मीडिया को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी तंत्र की नहीं होने पर गंभीर चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने नफरत फैलाने वालों को अपनी डिबेट में जगह देने के लिए टीवी एंकरों की भूमिका पर भी सवाल उठाया है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि आखिर हेट स्पीच के लिए सरकार “मूक दर्शक” की तरह क्यों खड़ी है। न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कानून आयोग की 267वीं रिपोर्ट में इस खतरे से निपटने के लिए की गई सिफारिशों पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए भी कहा है। कोर्ट ने कहा की टीवी एंकर की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। हेट स्पीच या तो मुख्यधारा के टेलीविजन में होती है या फिर यह सोशल मीडिया में होती है जो कि काफी हद तक नियंत्रण में नहीं है। ​​मुख्यधारा के टेलीविजन चैनलों का अब भी दबदबा कायम है।

वही बेंच ने कहा की एंकर की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि जैसे ही आप किसी को विवादास्पद या फिर भड़काऊ बयान देते हुए देखते हैं, एंकर का यह कर्तव्य है कि वह तुरंत उस व्यक्ति को टोके और आगे बोलने से रोके। दुर्भाग्य से कई बार जब कोई कुछ कहना चाहता है तो वह मौन हो जाता है। व्यक्ति को उचित समय नहीं दिया जाता है। उसके साथ विनम्र व्यवहार भी नहीं किया जाता है। जस्टिस जोसेफ ने कहा, ”हेट स्पीच पूरी तरह से जहर बोने का काम करती है। इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। हमारे पास एक उचित कानूनी ढांचा होना चाहिए। जब तक हमारे पास एक ढांचा नहीं है लोग ऐसा करना जारी रखेंगे। हेट स्पीच से राजनेताओं को सबसे अधिक लाभ होता है। इसे देखते हुए बेंच ने कहा की राजनीतिक दल आएंगे और जाएंगे। पूरी तरह से स्वतंत्र प्रेस के बिना कोई भी देश आगे नहीं बढ़ सकता है। एक मुक्त बहस होनी चाहिए। आपको यह भी पता होना चाहिए कि बहस की सीमा क्या है। बोलने की स्वतंत्रता वास्तव में श्रोता के लाभ के लिए है।

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