रूक्मणी बिल्डटेक को सुप्रीम कोर्ट से नही मिली राहत, भू स्वामी नागेश्वर सिंह स्वराज के साथ चल रहे मामले में आर्बिट्रेटर बहाली के खिलाफ गए थे सुप्रीम कोर्ट

फुलवारीशरीफ। संपतचक प्रखंड अंतर्गत भोगीपुर मे निर्माणाधीन अपार्टमेन्ट छत्रपति शिवाजी ग्रीन्स परिसर के डेवलपर रूकमणी बिल्डटेक लिमिटेड को सुप्रीम कोर्ट से भी हार का सामना करना पड़ा। दरअसल, रूकमणी बिल्डटेक लिमिटेड के बिल्डर सुप्रीम कोर्ट में भूस्वामी नागेश्वर सिंह स्वराज के साथ चल रहे मामले में आर्बिट्रेटर बहाल करने के खिलाफ राहत पाने के उद्देश्य से गए थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दलील नही सुनी और मामले को खारिज कर दिया। वही भूस्वामी नागेश्वर सिंह स्वराज के कानूनी सलाहकार व सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता गुंटूर प्रमोद कुमार एवं सुर्य प्रकाश उर्फ सोनु सिंह ने बताया कि पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल के द्वारा आर्बिट्रेटर नियुक्त किये जाने के फैसले के खिलाफ आर्बिट्रेटर रुकवाने के लिए डेवलपर रूक्मणी बिल्डटेक के प्रबंध निदेशक अजीत आजाद एवं निदेशक मानव सिंह के द्वारा 15 जुलाई 2020 को सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दिया गया। वही इसके केस संख्या- एस. पी. एल. (सी) 006161 /2021 मे आज तक सुनवाई तय तिथि पर भी डेवलपर रूक्मणी बिल्डटेक लिमिटेड ने आर्बिट्रेटर बहाली के फैसले के खिलाफ कोई साक्ष्य या दस्तावेज नही सौप सका।

अंतत: सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायधीश जे. के. महेश्वरी के न्यायालय ने साक्ष्य व दस्तावेज के अभाव मे मामले को खारिज कर दिया। बता दें की रुक्मिणी बिल्डटेक को भूस्वामी नागेश्वर सिंह स्वराज व अन्य के साथ 2012 मे डेवलपर एग्रीमेंट कर छत्रपति शिवाजी ग्रीन्स अपार्टमेन्ट का निर्माण 2016 तक पूरा कर सौप देना था। डेवलपर रूक्मणी बिल्डटेक के द्वारा निर्माण कार्य मे विलंब, गुणवता, सरकारी मानदंड की अनदेखी तथा प्रोजेक्ट के पैसो मे बड़े पैमाने पर हेराफेरी के मामले को लेकर भू-स्वामी नागेश्वर सिंह स्वराज पटना उच्च न्यायालय से न्याय की गुहार लगाई थी। वही भू-स्वामी के याचिका रिक्वेस्ट केस संख्या- 68/2019 पर सुनवाई करते हुए पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल के आदेश पर पटना उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जस्टिस वी. एन. सिन्हा को आर्बिट्रेटर बहाल कर मामले को तीव्रता से निपटारे का आदेश दिया। तदुपरांत आर्बिट्रेटर जस्टिस वी. एन. सिन्हा ने भू-स्वामी के पक्ष को सही पाते हुए डेवलपर रूक्मणी बिल्डटेक लिमिटेड को 22 करोड 54 लाख 59 हज़ार 110 रूपये भुगतान करने का आदेश दिया। इसके अलावे जमीन मालिक के हस्ताक्षर के बगैर डेवलपर रूक्मणी बिल्डटेक लिमिटेड के निदेशको द्वारा रजिस्ट्री किये गये तमाम फ्लैट को भी अवैध करार दिया है।

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