इंडियन शेयर मार्केट में अचानक भारी गिरावट, निवेशकों के करोड़ों डूबे, सेंसेक्स और निफ्टी पर भारी असर

मुंबई। भारतीय शेयर बाजार 31 जुलाई को जबरदस्त गिरावट के साथ खुला, जिससे निवेशकों को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ। इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा को माना जा रहा है। यह टैरिफ खासकर उन वस्तुओं पर लागू किया गया है, जिनका भारत अमेरिका को निर्यात करता है, जिससे भारतीय कंपनियों के शेयरों में हाहाकार मच गया।
सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट
बाजार की शुरुआत से ही गिरावट का रुख देखने को मिला। सेंसेक्स 683 अंकों की गिरावट के साथ 80,798 पर कारोबार करता दिखा, जबकि निफ्टी 209 अंक लुढ़क कर 24,675 पर आ गया। शुरुआती एक घंटे में ही बीएसई सेंसेक्स 500 अंक तक गिर चुका था और निफ्टी भी 160 अंकों की गिरावट के साथ कारोबार कर रहा था। बीएसई की टॉप 30 कंपनियों में से 26 के शेयर लाल निशान में थे।
प्रमुख सेक्टरों पर प्रभाव
शेयर बाजार में आईटी, फार्मा, पीएसयू बैंक, रियल एस्टेट और कंज्यूमर सेक्टर को अमेरिकी टैरिफ से सबसे अधिक नुकसान हुआ है। इसके अलावा ऑयल एंड गैस सेक्टर में भी सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई। अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ से टेक्सटाइल और सीफूड इंडस्ट्री जैसी एक्सपोर्ट-आधारित कंपनियों के शेयरों में भी तीव्र गिरावट आई।
विशेषज्ञों की राय
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट वीके विजयकुमार का कहना है कि 25 प्रतिशत टैरिफ और रूस से आयात पर संभावित जुर्माना भारतीय निर्यात को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। इसके चलते निकट भविष्य में भारत की आर्थिक वृद्धि दर यानी जीडीपी ग्रोथ पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है।
अन्य वैश्विक कारण
अमेरिका की फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कोई बदलाव न करने के फैसले का असर भी भारतीय शेयर बाजार पर पड़ा है। फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने यह भी संकेत दिया कि सितंबर में ब्याज दरों में कटौती की संभावना फिलहाल अनिश्चित है, जिससे वैश्विक निवेशकों में असमंजस की स्थिति बन गई है। इस अनिश्चितता ने निवेशकों को सतर्क कर दिया है और जोखिम भरे निवेश से पीछे हटने को मजबूर किया है।
कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता
रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़ी टैरिफ धमकियों और आपूर्ति बाधाओं के जोखिम के बीच वैश्विक तेल कीमतों में स्थिरता बनी रही। ब्रेंट क्रूड 73 डॉलर प्रति बैरल के आसपास और डब्ल्यूटीआई 70 डॉलर से नीचे कारोबार कर रहा था। हालांकि अमेरिकी कच्चे तेल के भंडार में अचानक वृद्धि के कारण तेल कीमतों में अपेक्षित बढ़त सीमित रही। वैश्विक बाजारों में बनी यह स्थिति भारतीय बाजारों में भी निवेशकों की चिंता का कारण बनी हुई है।
आगे की स्थिति
भारत पर लगाए गए टैरिफ 1 अगस्त से प्रभावी होंगे, जिससे कई उद्योगों पर सीधा असर पड़ेगा। ट्रंप ने यह भी कहा कि रूस से तेल और हथियार खरीदने के लिए भारत को आर्थिक दंड देना होगा। इससे भारत की विदेश नीति और आर्थिक रणनीति दोनों पर दबाव बढ़ सकता है। निवेशक फिलहाल सतर्क रुख अपनाए हुए हैं और आने वाले दिनों में बाजार की दिशा अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों पर निर्भर करेगी। शेयर बाजार की यह गिरावट केवल आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक परिस्थितियों का भी परिणाम है। अमेरिकी नीतियों का असर भारतीय निवेशकों की भावनाओं पर पड़ा है और इससे बाजार में भारी अस्थिरता देखी जा रही है। यदि स्थिति जल्दी नहीं सुधरी, तो निवेशकों के लिए यह और भी मुश्किल समय साबित हो सकता है।

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