छात्र अब एक समय में ले सकेंगे 2 डिग्रियां, अलग-अलग विश्वविद्यालय से भी मान्य, यूजीसी की नई गाइडलाइन जारी

नई दिल्ली। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों के लिए एक ऐतिहासिक और प्रगतिशील निर्णय लेते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नई गाइडलाइन जारी की है। इस गाइडलाइन के अनुसार अब विद्यार्थी एक ही समय में दो पूर्णकालिक शैक्षणिक कार्यक्रमों में पंजीकरण कर सकते हैं। यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता, पहुंच और लचीलापन बढ़ाने की दिशा में एक बड़ी पहल मानी जा रही है।
दो डिग्री करने की छूट
यूजीसी के नए दिशा-निर्देशों के तहत छात्र अब एक समय में दो डिग्री या एक डिग्री और एक डिप्लोमा एक साथ कर सकते हैं। ये कोर्सेज नियमित, ऑनलाइन या ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग (ओडीएल) मोड में हो सकते हैं। यह सुविधा एक ही विश्वविद्यालय से या दो अलग-अलग विश्वविद्यालयों से भी ली जा सकती है। इससे छात्रों को विभिन्न विषयों में ज्ञान और कौशल अर्जित करने का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी बहु-आयामी योग्यता विकसित होगी।
प्रावधान का प्रभाव और मान्यता
यूजीसी के अनुसार, यह प्रावधान 2022 से लागू माना जाएगा। खास बात यह है कि 2022 से पहले एक साथ की गई दो डिग्रियों को भी मान्यता दी जा सकती है, यदि वे उस समय के नियमों के अनुसार प्राप्त की गई हों। हालांकि, इस सुविधा को पीएचडी कार्यक्रमों से बाहर रखा गया है क्योंकि शोध कार्य के लिए पूर्णकालिक समर्पण और एकाग्रता की आवश्यकता होती है।
राज्यों में लागू करने की प्रक्रिया
हालांकि यह व्यवस्था राष्ट्रीय स्तर पर लागू हो चुकी है, लेकिन बिहार जैसे राज्यों में इसे लागू करने के लिए राज्य सरकार को अपनी नियमावली तैयार करनी होगी। यह नियमावली राज्यपाल के माध्यम से सभी विश्वविद्यालयों को भेजी जाएगी, जिसके बाद यह प्रावधान विश्वविद्यालयों में प्रभावी रूप से लागू हो सकेगा।
शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका
यूजीसी ने स्पष्ट किया है कि इस व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान को अपने वैधानिक निकायों के माध्यम से आवश्यक प्रशासनिक और शैक्षणिक ढांचा विकसित करना होगा। दोनों कोर्स की समय-सारणी का समायोजन, पाठ्यक्रमों का समन्वय और प्रशासनिक प्रक्रिया को सुसंगठित करना अनिवार्य होगा। इससे छात्रों को पढ़ाई में कठिनाई न हो और दोनों डिग्रियों का समुचित लाभ मिल सके।
अंतरराष्ट्रीय पृष्ठभूमि में यह कदम
यूजीसी की यह पहल अमेरिका, फ्रांस और डेनमार्क जैसे देशों की उच्च शिक्षा प्रणाली से प्रेरित है, जहां दोहरी डिग्री की व्यवस्था पहले से प्रचलित है। इस नीति से भारतीय छात्र भी वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनेंगे और उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में दक्षता हासिल करने का अवसर मिलेगा।
रोजगार के अवसर बढ़ेंगे
यह नई प्रणाली छात्रों की रोजगार क्षमता को भी मजबूत करेगी। एक साथ दो विषयों में विशेषज्ञता हासिल कर छात्र बहु-क्षेत्रीय नौकरी के लिए योग्य बनेंगे। उदाहरण के लिए कोई छात्र विज्ञान और प्रबंधन दोनों की पढ़ाई करके अनुसंधान और प्रशासनिक क्षेत्र दोनों में अवसर तलाश सकता है। यूजीसी की यह पहल शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव है। इससे छात्रों को न केवल शिक्षा का व्यापक दायरा मिलेगा बल्कि वे अपनी रुचि और करियर की दिशा के अनुसार विकल्प चुन सकेंगे। हालांकि, इसके सफल क्रियान्वयन के लिए विश्वविद्यालयों और राज्य सरकारों को तत्परता दिखानी होगी ताकि यह व्यवस्था छात्रों के लिए वास्तव में लाभकारी साबित हो सके।
