गांधीनगर में नवरात्रि गरबा में दो गुटों के बीच पथराव, कई दुकानें जलाई, अबतक 60 लोग गिरफ्तार

गांधीनगर। गुजरात का नवरात्रि उत्सव अपनी भव्यता और सांस्कृतिक महत्व के लिए देश-दुनिया में प्रसिद्ध है। लेकिन गांधीनगर जिले के देहगाम तालुका स्थित बहियल गांव में यह उत्सव अचानक हिंसा का रूप ले बैठा। गुरुवार रात गरबा के दौरान दो गुटों में विवाद इतना बढ़ा कि पथराव, तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं हो गईं। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को दहशत में डाल दिया, बल्कि पूरे राज्य में कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
विवाद की शुरुआत और सोशल मीडिया की भूमिका
पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि घटना की जड़ एक सोशल मीडिया पोस्ट थी। पोस्ट के बाद दोनों गुटों के बीच तनाव बढ़ा और गरबा कार्यक्रम के दौरान यह तनाव खुलकर हिंसा में बदल गया। पहले कहा-सुनी हुई और देखते ही देखते पथराव शुरू हो गया। दोनों ओर से पत्थर चलने लगे और भीड़ बेकाबू हो गई। इस दौरान दुकानों और वाहनों को भी निशाना बनाया गया।
पथराव और आगजनी की घटनाएं
हिंसा के दौरान कई दुकानों और घरों में तोड़फोड़ की गई। भीड़ ने दुकानों में आग लगा दी, जिससे सामान जलकर राख हो गया। कुछ वाहनों को भी क्षति पहुंचाई गई। यहां तक कि पुलिस के वाहन भी इस उपद्रव से नहीं बच सके। घटनास्थल पर अफरातफरी मच गई और लोग अपनी जान बचाने के लिए घरों में छिप गए।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस का बड़ा दस्ता बहियल गांव पहुंचा। दहेगाम थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली इस घटना को नियंत्रित करने के लिए विशेष रूप से एसआरपी (स्टेट रिजर्व पुलिस) की दो कंपनियों को भी तैनात किया गया। कुल मिलाकर लगभग 200 पुलिसकर्मियों ने मोर्चा संभाला। पुलिस ने स्थिति पर काबू पाने के लिए गांव में तलाशी अभियान शुरू किया और देर रात तक गश्त जारी रही।
गिरफ्तारियां और प्रारंभिक जांच
पुलिस ने इस हिंसक घटना के मामले में अब तक 60 लोगों को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों का कहना है कि गिरफ्तारी की संख्या और बढ़ सकती है क्योंकि उपद्रव फैलाने वालों की पहचान की जा रही है। जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनसे पूछताछ की जा रही है ताकि इस हिंसा के पीछे की साजिश और मास्टरमाइंड का पता लगाया जा सके।
घायलों का इलाज और राहत कार्य
इस झड़प में कुछ लोग घायल भी हुए। हालांकि उनकी चोटें गंभीर नहीं थीं, फिर भी उन्हें पास के अस्पतालों में इलाज के लिए भेजा गया। स्थानीय प्रशासन ने दुकानों में लगी आग को बुझाने के लिए तुरंत दमकल विभाग की मदद ली। गांव में शांति बहाल करने के लिए लोगों से अपील की गई कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करें।
पुलिस वाहन भी बने निशाना
इस हिंसा का असर पुलिस पर भी पड़ा। भीड़ ने पुलिस के वाहनों को भी निशाना बनाया और उनमें तोड़फोड़ की। यह दर्शाता है कि उपद्रवियों की भीड़ पूरी तरह आक्रामक थी और किसी भी तरह से स्थिति पर नियंत्रण नहीं चाहती थी। इसके बावजूद पुलिस ने संयम दिखाते हुए स्थिति को हाथ से निकलने नहीं दिया।
गांव में कड़े सुरक्षा इंतजाम
हिंसा की पुनरावृत्ति रोकने के लिए पुलिस ने बहियल गांव में कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं। जगह-जगह गश्त बढ़ा दी गई है और संदिग्ध लोगों की तलाशी ली जा रही है। पुलिस अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। साथ ही सोशल मीडिया पर भी निगरानी रखी जा रही है ताकि किसी तरह की भड़काऊ पोस्ट या अफवाह फिर से माहौल खराब न कर सके।
सामाजिक और सांस्कृतिक असर
नवरात्रि का गरबा आयोजन गुजरात की पहचान माना जाता है। यह उत्सव लोगों को जोड़ने और एकता का संदेश देने का माध्यम होता है। लेकिन बहियल गांव की यह घटना इस परंपरा पर एक धब्बा है। सामाजिक सौहार्द बिगड़ने से लोग आहत हैं और कई परिवार अब ऐसे आयोजनों में शामिल होने से डर महसूस कर रहे हैं। स्थानीय बुद्धिजीवियों और समाजसेवियों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं समाज की एकजुटता को कमजोर करती हैं और इन्हें रोकने के लिए सभी को आगे आना चाहिए। गांधीनगर के बहियल गांव में नवरात्रि के अवसर पर हुई हिंसा इस बात की चेतावनी है कि छोटी-सी चिंगारी भी बड़े उपद्रव का रूप ले सकती है। सोशल मीडिया से शुरू हुआ विवाद आखिरकार आगजनी और पथराव में बदल गया। पुलिस की त्वरित कार्रवाई से स्थिति पर काबू पा लिया गया, लेकिन इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि त्योहारों के समय सतर्कता और शांति बनाए रखना कितना जरूरी है। फिलहाल गांव में माहौल नियंत्रण में है, लेकिन लोगों के मन में डर और आक्रोश अब भी कायम है।
