November 16, 2025

लालू के ऑफर पर तेजस्वी की प्रतिक्रिया, कहा- उनका बयान केवल मीडिया को ठंडाने के लिए, नही दिया सीधा जबाब

पटना। बिहार की राजनीति में इन दिनों बयानबाजी के जरिए सियासी हलचल मची हुई है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के एक ताजा बयान ने राजनीतिक पारा और चढ़ा दिया है। बुधवार को एक साक्षात्कार के दौरान लालू यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को साथ आने और सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ मिलकर लड़ने का खुला ऑफर दिया। इस बयान के बाद सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हो गईं। गुरुवार को जब तेजस्वी यादव से इस बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने इसे हल्के अंदाज में टालते हुए कहा कि यह बयान केवल मीडिया को ठंडाने के लिए दिया गया है।
तेजस्वी का रुख और जवाब से बचाव
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अपने पिता लालू प्रसाद यादव के बयान पर सीधा जवाब देने से बचते हुए इसे हल्के-फुल्के अंदाज में मीडिया का ध्यान खींचने वाला बताया। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कुछ कहने के बजाय यह संकेत दिया कि उनके पिता ने यह बयान मीडिया को शांत करने के लिए दिया है। तेजस्वी का यह रुख उनके पिछले बयानों के विपरीत दिखा, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया था कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के दरवाजे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं।
लालू का ऑफर और तेजस्वी का विरोधाभास
राजद सुप्रीमो लालू यादव ने बुधवार को एक साक्षात्कार में कहा था कि यदि नीतीश कुमार उनके साथ आते हैं, तो वे उनका स्वागत करेंगे। लालू ने यह भी जोड़ा कि उनका दिल बहुत बड़ा है और वे पुराने मतभेदों को भूलकर सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ मिलकर लड़ने को तैयार हैं। इसके विपरीत, तेजस्वी यादव ने कुछ दिनों पहले सीतामढ़ी में कहा था कि नीतीश कुमार के लिए राजद के सभी दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो गए हैं।
राजनीतिक समीकरण में संभावित बदलाव
लालू यादव और तेजस्वी यादव के बयानों में यह विरोधाभास बिहार की राजनीति में संभावित बदलाव की ओर इशारा करता है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि लालू यादव के बयान के पीछे एक रणनीतिक सोच हो सकती है। नीतीश कुमार और भाजपा के बीच खटास की खबरें पहले ही राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। ऐसे में लालू का यह बयान कहीं न कहीं बिहार में एक नई राजनीतिक धारा की संभावनाओं को जन्म दे सकता है। लालू प्रसाद यादव का बयान और तेजस्वी यादव की प्रतिक्रिया ने बिहार की राजनीति को नई दिशा में सोचने पर मजबूर कर दिया है। जहां लालू यादव पुराने मतभेदों को भूलकर एक नई शुरुआत के संकेत दे रहे हैं, वहीं तेजस्वी यादव के लिए यह कदम अभी अनिश्चित है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार की राजनीति किस ओर करवट लेती है और इस बयानबाजी का क्या असर पड़ता है।

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