अनुग्रह नारायण सिंह की जयंती पर पटना में राजकीय कार्यक्रम आयोजित, मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने दी श्रद्धांजलि

पटना। पटना में बुधवार को बिहार विभूति डॉ. अनुग्रह नारायण सिंह की जयंती के अवसर पर एक गरिमामयी राजकीय समारोह का आयोजन किया गया। यह आयोजन बिहार विधानमंडल परिसर स्थित उनकी आदमकद प्रतिमा के समक्ष संपन्न हुआ, जहां राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहुंचकर उन्हें माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस समारोह में अनेक गणमान्य लोगों की उपस्थिति रही, जिन्होंने एक स्वर में बिहार की इस महान विभूति को नमन किया।
बिहार विभूति: डॉ. अनुग्रह नारायण सिंह का योगदान
डॉ. अनुग्रह नारायण सिंह को ‘बिहार विभूति’ और ‘बाबू साहब’ के नाम से जाना जाता है। वे भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख सेनानियों में से एक थे। उन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। वे बिहार में गांधीवादी आंदोलनों के अग्रणी नेता थे और उन्होंने समाज में जागरूकता फैलाने के साथ-साथ स्वतंत्रता के मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया। mस्वतंत्र भारत में डॉ. सिंह ने प्रशासनिक और राजनीतिक रूप से भी उल्लेखनीय योगदान दिया। वे बिहार के पहले उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री बने और 1946 से 1957 तक इस पद पर कार्यरत रहे। उनका वित्तीय प्रबंधन और राज्य के विकास की दिशा में लिया गया निर्णय आज भी उनके योगदान की मिसाल पेश करता है।
राजकीय समारोह में गणमान्य जनों की उपस्थिति
राजकीय समारोह के दौरान अनेक उच्च पदस्थ और विशिष्ट जन उपस्थित रहे। इसमें बिहार विधानसभा अध्यक्ष नन्दकिशोर यादव, विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी, ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेशी सिंह जैसे वरिष्ठ नेता शामिल रहे। इसके अतिरिक्त विधान पार्षद संजय सिंह, पूर्व सांसद रामकृपाल यादव, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ, बिहार राज्य नागरिक परिषद् के पूर्व महासचिव अरविंद कुमार उर्फ छोटू सिंह, बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पूर्व सदस्य शिवशंकर निषाद समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता, जनप्रतिनिधि और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी श्रद्धांजलि दी।
संविधान सभा के सदस्य और गांधीवादी विचारक
डॉ. अनुग्रह नारायण सिंह भारत की संविधान सभा के सदस्य भी थे। यह वही संस्था थी, जिसने आजाद भारत का संविधान तैयार किया। संविधान निर्माण में उनकी भागीदारी ने यह सिद्ध किया कि वे न केवल एक कुशल प्रशासक थे, बल्कि दूरदर्शी राष्ट्रनिर्माता भी थे। वे गांधीजी के करीबी सहयोगी थे और गांधीवादी मूल्यों में उनकी गहरी आस्था थी। उनका राजनीतिक जीवन सादगी, ईमानदारी और लोककल्याण की भावना से ओतप्रोत था। बिहार के विकास के लिए उन्होंने जो योजनाएं बनाईं, उन्होंने राज्य की आधारभूत संरचना को मजबूत किया। खासकर शिक्षा, सिंचाई और सार्वजनिक निर्माण कार्यों में उनके द्वारा शुरू की गई नीतियों का प्रभाव आज भी देखा जा सकता है।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सजी श्रद्धांजलि
इस अवसर पर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के कलाकारों द्वारा श्रद्धांजलि स्वरूप आरती पूजन, बिहार गीत और देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति दी गई, जिसने समारोह को एक सांस्कृतिक रंग प्रदान किया। गीतों और संगीत के माध्यम से बिहार की इस महान विभूति को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई।
समारोह का संदेश और महत्व
डॉ. अनुग्रह नारायण सिंह की जयंती पर आयोजित यह समारोह न केवल उन्हें सम्मानित करने का एक अवसर था, बल्कि आज के युवाओं और जनसाधारण को उनके विचारों और कार्यों से प्रेरणा लेने का भी संदेश देता है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि एक सच्चा जननेता वही होता है जो न केवल संघर्ष करता है, बल्कि संघर्ष के बाद समाज को दिशा भी देता है। डॉ. सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर बिहार के प्रशासनिक निर्माण तक हर मोर्चे पर अपनी अद्वितीय छाप छोड़ी। इस प्रकार, यह समारोह न केवल एक श्रद्धांजलि था, बल्कि उस परंपरा और मूल्यों का स्मरण भी था, जिसे डॉ. अनुग्रह नारायण सिंह ने अपने जीवन में आत्मसात किया और जनमानस को सौंपा।
