बिहार में टलेगा विशेष भूमि सर्वेक्षण का काम, लोगों को आक्रोश के बाद बैकफुट पर सरकार, जल्द फैसला लेंगे सीएम
पटना। बिहार में विशेष भूमि सर्वेक्षण का काम 20 अगस्त 2024 से शुरू हुआ, लेकिन इसे लेकर लोगों में गहरी असंतुष्टि और आक्रोश देखने को मिल रहा है। जमीन सर्वेक्षण की प्रक्रिया में जमीन से संबंधित दस्तावेज जुटाने और प्रखंड तथा जिला कार्यालयों के चक्कर काटने के कारण आम लोग परेशान हैं। इससे सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है।इस पूरे मुद्दे पर सत्तारूढ़ दल, विशेष रूप से जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं ने सरकार को फीडबैक दिया है। नेताओं का मानना है कि इस सर्वे के कारण आम जनता में सरकार के खिलाफ असंतोष बढ़ सकता है, जो आगामी विधानसभा चुनावों में गठबंधन के लिए हानिकारक हो सकता है। इसके चलते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर इस मुद्दे को लेकर जल्द निर्णय लेने का दबाव बढ़ रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार इस सर्वे को कुछ महीनों के लिए स्थगित करने या पूरी तरह वापस लेने पर विचार कर रही है। मुख्य चिंता यह है कि सर्वेक्षण के दौरान जमीनों के स्वामित्व पर पुनर्विचार हो सकता है, जिससे लोग भयभीत हैं कि उनके पास जो जमीन वर्षों से है, वह उनसे छीन ली जा सकती है। हालांकि, राज्य के राजस्व और भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने इस बात को स्पष्ट किया था कि यह सर्वेक्षण लोगों को राहत देने के उद्देश्य से किया जा रहा है, न कि उनकी जमीनें छीनने के लिए। फिर भी, जनता की परेशानी और आशंकाएं बरकरार हैं, जो सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी हैं। इस मुद्दे पर प्रशांत किशोर, जो जनसुराज अभियान चला रहे हैं, ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे नीतीश कुमार की सरकार के लिए “ताबूत की आखिरी कील” करार दिया है। किशोर का कहना है कि इस कदम से नीतीश कुमार ने ऐसी गलती की है कि बिहार की जनता उन्हें सत्ता से बेदखल करने के लिए मजबूर हो जाएगी। उनके अनुसार, यह सर्वे सरकार की लोकप्रियता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट है कि जमीन सर्वेक्षण को लेकर राजनीतिक हलकों में गहरी चिंता है। सत्तारूढ़ गठबंधन इस बात से वाकिफ है कि जनता का असंतोष चुनावी नुकसान का कारण बन सकता है, इसलिए सरकार इस मुद्दे पर सतर्क होकर काम कर रही है।