बिहार में मतदाता सूची के लिए चलेगा विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान, जुलाई से घर-घर जाकर शुरू होगा वेरीफिकेशन

पटना। बिहार में चुनावी पारदर्शिता और वास्तविक मतदाताओं को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। भारत निर्वाचन आयोग ने करीब 22 साल बाद राज्य में मतदाता सूची के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है। यह अभियान एक जुलाई से शुरू होकर 30 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी का सत्यापन किया जाएगा।
2003 के बाद पहली बार इतने बड़े स्तर पर पुनरीक्षण
बिहार में पिछली बार इस तरह का विशेष गहन पुनरीक्षण वर्ष 2003 में हुआ था। अब 2025 में इसे दोबारा शुरू किया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मतदाता सूची में कोई भी अयोग्य नाम न रहे और सभी योग्य नागरिकों के नाम सूची में शामिल हों। बीते वर्षों में मतदाता सूची में हेराफेरी के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में आयोग का यह प्रयास चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
बीएलओ करेंगे घर-घर जाकर सत्यापन
इस अभियान के तहत मतदान केंद्रों पर नियुक्त बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) घर-घर जाकर मतदाता सूची में दर्ज जानकारी का सत्यापन करेंगे। वे यह सुनिश्चित करेंगे कि सूची में दर्ज व्यक्ति जीवित है, वही उस पते पर निवास करता है और वह मतदान के लिए योग्य है। पहले यह कार्य निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ) अपने स्तर पर करते थे, लेकिन अब इस प्रक्रिया को अधिक व्यापक और पारदर्शी बनाने के लिए जमीनी स्तर से शुरू किया जा रहा है।
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर दस्तावेजों की अपलोडिंग
अब पात्रता से संबंधित दस्तावेजों को भारत निर्वाचन आयोग के पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा, ताकि पारदर्शिता बनी रहे। हालांकि, दस्तावेजों की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए इन्हें केवल अधिकृत निर्वाचन अधिकारी ही देख सकेंगे। यदि किसी व्यक्ति या राजनीतिक दल को कोई आपत्ति या दावा करना है, तो उसे सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (एईआरओ) के समक्ष प्रस्तुत करना होगा, जो जांच के बाद ईआरओ को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। इसके बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
अपील की सुविधा और जनसहयोग की अपील
अगर किसी को ईआरओ के निर्णय से असहमति होगी तो वह जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम के अंतर्गत जिला पदाधिकारी या मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के समक्ष अपील कर सकता है। निर्वाचन आयोग सभी राजनीतिक दलों से अपील करेगा कि वे प्रत्येक मतदान केंद्र पर अपने बूथ लेवल एजेंट्स (बीएलए) की नियुक्ति करें, ताकि पुनरीक्षण की प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे और पहले ही चरण में सूची की त्रुटियां सुधारी जा सकें।
वंचित वर्गों को मिलेगा विशेष सहयोग
इस अभियान में वृद्ध, बीमार, दिव्यांग, गरीब और अन्य वंचित वर्गों के लिए आवश्यकतानुसार स्वयंसेवकों की भी तैनाती की जाएगी, ताकि उन्हें मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने में कोई कठिनाई न हो। यह पहल इन वर्गों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में समान भागीदारी देने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है।
समय की मांग है गहन पुनरीक्षण
राज्य में तेजी से हो रहे शहरीकरण, लोगों के लगातार प्रवास, नए युवाओं के मतदाता बनने की उम्र में प्रवेश, मृत्यु की सूचना समय पर न मिलना और कभी-कभी विदेशी नागरिकों के अवैध रूप से सूची में नाम दर्ज होने जैसे कारणों से मतदाता सूची में कई खामियां आ जाती हैं। ऐसे में इस बार का गहन पुनरीक्षण न केवल तकनीकी रूप से आवश्यक है, बल्कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए भी अनिवार्य है। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा शुरू किया गया यह विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान बिहार की चुनावी व्यवस्था को सुधारने की दिशा में एक बड़ा और सराहनीय कदम है। इससे न सिर्फ मतदाता सूची को त्रुटि-मुक्त बनाया जा सकेगा, बल्कि लोकतंत्र की नींव माने जाने वाले आम मतदाताओं का विश्वास भी मजबूत होगा।

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