बंगाल में एसआईआर का खौफ: अवैध नागरिकों में हड़कंप, सीमा पार भागे 500 बांग्लादेशी
कोलकाता। पश्चिम बंगाल सहित देश के कई राज्यों में चुनाव आयोग द्वारा एसआईआर यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन की प्रक्रिया शुरू होते ही राजनीतिक और सामाजिक माहौल में हलचल मच गई है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची की सटीकता को सुनिश्चित करना है, जिसके लिए बूथ लेवल अधिकारी घर-घर जाकर लोगों की पहचान और मतदान संबंधी दस्तावेजों की पुष्टि कर रहे हैं। इस व्यापक जांच ने उन लोगों में भय पैदा किया है, जो देश में अवैध रूप से रह रहे थे।
एसआईआर प्रक्रिया और अवैध नागरिकों में हड़कंप
एसआईआर के तहत अधिकारियों द्वारा पूछा जा रहा है कि क्या लोगों का नाम 2003 की वोटर लिस्ट में दर्ज था या उस समय परिवार के किसी सदस्य का नाम सूची में उपलब्ध था। जो लोग अवैध रूप से देश में प्रवेश कर रहे थे, वे इन सवालों का जवाब देने की स्थिति में नहीं हैं। यही वजह है कि पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठियों में अफरा-तफरी का माहौल है।
बीएसएफ का बड़ा खुलासा
बीएसएफ ने जानकारी दी है कि पिछले कुछ दिनों में लगभग 500 बांग्लादेशी नागरिक अचानक भारत छोड़कर सीमा पार कर गए। यह मूवमेंट उत्तर 24 परगना जिले के स्वरूपनगर के पास स्थित हाकिमपुर चेक पोस्ट से देखा गया। बीएसएफ की 143वीं बटालियन ने संदिग्ध गतिविधि देखते ही इन लोगों को रोका और पूछताछ के बाद यह स्पष्ट हुआ कि वे सभी अवैध रूप से भारत में रह रहे थे। बीएसएफ अधिकारियों का कहना है कि इस वर्ष यह सबसे बड़ी संख्या है, जब इतने अधिक अवैध घुसपैठियों ने वापस लौटने का प्रयास किया है।
अवैध घुसपैठियों की स्वीकारोक्ति
पूछताछ में पकड़े गए कई लोगों ने स्वीकार किया कि वे बिना किसी पासपोर्ट, वीजा या पहचान पत्र के भारत में घुसे और वर्षों तक यहां विभिन्न कार्यों में लगे रहे। इनमें से कई पश्चिम बंगाल के बिराती, मध्यमग्राम, राजरहाट, न्यू टाउन और सॉल्ट लेक जैसे क्षेत्रों में घरेलू सहायकों, दिहाड़ी मजदूरों और निर्माण कार्यों में कार्यरत थे। कुछ लोगों ने बताया कि वे एक दशक से अधिक समय से किराये के मकानों में रह रहे थे और स्थानीय स्तर पर अपनी पहचान छिपाकर काम कर रहे थे।
एसआईआर का बढ़ता दबाव
इस महीने की शुरुआत में भी बीएसएफ ने करीब 100 बांग्लादेशियों को पकड़ा था, जो किसी तरह बांग्लादेश लौटने की फिराक में थे। एक व्यक्ति ने बताया कि वह लगभग बारह वर्षों से घरेलू सहायक के रूप में काम कर रहा था, लेकिन एसआईआर के तहत हो रही जांच ने उसकी स्थिति को मुश्किल कर दिया। दस्तावेजों की मांग और पहचान की कठोर जांच ने उसके सामने विकल्प के रूप में केवल सीमा पार कर वापस लौटने का रास्ता छोड़ा।
सीमा सुरक्षा बल की प्रक्रिया
सीमा पर पकड़े गए इन बांग्लादेशी नागरिकों को वापस भेजने की भी एक निर्धारित प्रक्रिया होती है। बीएसएफ पहले इनकी पहचान की पुष्टि करती है, फिर इनके मूल देश के अधिकारियों को जानकारी भेजी जाती है। भारत-बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक संवाद के बाद इन्हें औपचारिक रूप से वापस भेजा जाता है। यह पूरी प्रक्रिया दोनों देशों के आपसी सहयोग और सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत की जाती है।
घुसपैठ पर नियंत्रण की आवश्यकता
पश्चिम बंगाल लंबे समय से बांग्लादेशी घुसपैठ का केंद्र रहा है। एसआईआर की प्रक्रिया ने पहली बार इतने बड़े पैमाने पर अवैध नागरिकों की गतिविधियों को उजागर किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि मतदाता सूची के सत्यापन का यह अभियान न केवल चुनाव व्यवस्था में पारदर्शिता लाएगा, बल्कि अवैध घुसपैठ पर नियंत्रण को भी मजबूत करेगा।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
इस पूरी प्रक्रिया ने राज्य के सामाजिक ढांचे पर भी गहरा प्रभाव छोड़ा है। वर्षों से भारत में रहने वाले कई अवैध नागरिक अचानक अपने अस्तित्व को लेकर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। दूसरी ओर, राजनीतिक दल भी इस मसले को लेकर अपनी रणनीति तैयार करने में जुटे हैं, क्योंकि यह आगामी चुनावों पर सीधा प्रभाव डाल सकता है।
बदलते परिदृश्य के बीच आगे की राह
बंगाल में एसआईआर के चलते शुरू हुई यह बड़ी हलचल केवल प्रशासनिक कार्रवाई नहीं, बल्कि सीमा सुरक्षा, मतदाता सूची की शुद्धता और आंतरिक सुरक्षा के व्यापक प्रश्नों को सामने लाती है। आने वाले दिनों में इस तरह की गतिविधियाँ और तेज़ होंगी और अवैध रूप से रह रहे नागरिकों पर प्रशासन की सख्ती और बढ़ सकती है। कुल मिलाकर, एसआईआर ने बंगाल की राजनीति, समाज और सुरक्षा व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव ला दिया है, जिसका प्रभाव लंबे समय तक देखा जाएगा।


