सीएम पर रोहिणी आचार्य का हमला, कहा- उनकी अगली यात्रा कही विपत्ति यात्रा ना बन जाए
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 23 दिसंबर से ‘प्रगति यात्रा’ के पहले चरण की शुरुआत करने जा रहे हैं। इस यात्रा का उद्देश्य राज्य के विकास कार्यों की समीक्षा और जनता से संवाद स्थापित करना बताया जा रहा है। हालांकि, इस यात्रा पर विपक्षी दलों ने कड़ा रुख अपनाया है। खासतौर पर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस के नेताओं ने इस यात्रा को लेकर मुख्यमंत्री पर तीखे हमले किए हैं। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने बुधवार को नीतीश कुमार की ‘प्रगति यात्रा’ पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि यह यात्रा कहीं “विपत्ति यात्रा” न बन जाए। उन्होंने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “पहले महिला संवाद यात्रा, फिर समाज सुधार यात्रा और अब प्रगति यात्रा। यात्रा एक मगर नाम में फेरबदल अनेक। नाम तय करने में अनिश्चितता से ही मानसिक अस्थिरता जाहिर होती है।” रोहिणी आचार्य ने इससे पहले भी मुख्यमंत्री पर कई बार निशाना साधा है। वह लगातार सोशल मीडिया पर बिहार सरकार की नीतियों और मुख्यमंत्री के फैसलों पर सवाल उठाती रही हैं। विपक्ष के अन्य नेता भी इस यात्रा को लेकर आक्रामक हैं। आरजेडी नेता और बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर सरकारी खजाने का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। तेजस्वी का कहना है कि सरकार जनता की भलाई के नाम पर धन बर्बाद कर रही है, जबकि राज्य में बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी समस्याएं अनदेखी की जा रही हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने भी नीतीश कुमार की यात्रा पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री की यात्राओं से जनता को कोई लाभ नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार को पहले राज्य की बुनियादी समस्याओं का समाधान करना चाहिए, न कि सिर्फ यात्राओं के माध्यम से प्रचार करना चाहिए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस यात्रा के जरिए राज्य के जिलों में चल रहे विकास कार्यों का जायजा लेने और जनता की समस्याओं को समझने का लक्ष्य रखा है। लेकिन विपक्ष इसे एक राजनीतिक स्टंट और आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी के रूप में देख रहा है। विपक्ष का कहना है कि नीतीश कुमार की यात्राएं महज दिखावा हैं और इनसे राज्य की जमीनी स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है। ‘प्रगति यात्रा’ को लेकर बिहार में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां इसे विकास कार्यों की निगरानी और जनता के साथ संवाद स्थापित करने की पहल के रूप में देख रहे हैं, वहीं विपक्ष इसे चुनावी तैयारी और सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग का उदाहरण बता रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह यात्रा किस हद तक अपने उद्देश्यों को पूरा कर पाती है और विपक्ष के आरोपों का मुख्यमंत्री किस तरह जवाब देते हैं।


