September 30, 2025

शशि थरूर का विवादित बयान, कहा- खिलाड़ियों को आपस में हाथ मिलाना चाहिए, राजनीति से अलग रखें खेल भावना

नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच हुए हाल ही में खेले गए टी20 एशिया कप मैच के बाद खिलाड़ियों के व्यवहार को लेकर विवाद शुरू हो गया। मैच के अंत में भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव और बल्लेबाज शिवम दुबे बिना पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हाथ मिलाए मैदान से बाहर चले गए। इस घटना के बाद खेल भावना पर बहस छिड़ गई। इस विवाद पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अपनी प्रतिक्रिया दी और खेल भावना को राजनीति और सैन्य टकराव से अलग रखने की बात कही।
थरूर का बयान
शशि थरूर ने कहा कि यदि भारत को पाकिस्तान से इतनी आपत्ति है तो हमें उनके साथ क्रिकेट खेलना ही नहीं चाहिए। लेकिन जब खेलने का निर्णय ले लिया गया, तो हमें खेल की परंपराओं और नियमों का सम्मान करना चाहिए। खिलाड़ियों का दायित्व होता है कि वे मैच के अंत में हाथ मिलाकर खेल भावना का परिचय दें। उन्होंने कहा कि हाथ मिलाने से इनकार करना साहस नहीं बल्कि असुरक्षा का प्रतीक है।
1999 विश्वकप का उदाहरण
अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए उन्होंने 1999 विश्वकप का उदाहरण दिया। उस समय कारगिल युद्ध चल रहा था और सीमा पर भारतीय सैनिक लड़ाई लड़ रहे थे। बावजूद इसके मैनचेस्टर में खेले गए भारत-पाकिस्तान मैच के अंत में दोनों टीमों ने हाथ मिलाकर परिपक्वता और साहस का परिचय दिया था। थरूर के मुताबिक यही असली खेल भावना होती है, जहां मैदान की राजनीति सीमा के टकराव से अलग होनी चाहिए।
खेल और राजनीति का अंतर
थरूर ने कहा कि क्रिकेट या कोई भी खेल राजनीति और सैन्य संघर्ष से अलग होना चाहिए। खिलाड़ियों का काम है कि वे खेल को खेल की तरह खेलें और आपसी सम्मान बनाए रखें। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर पहली बार भारतीय खिलाड़ियों के व्यवहार पर पाकिस्तान ने प्रतिक्रिया दी और दूसरी बार पाकिस्तान ने भी वैसा ही किया, तो यह दोनों तरफ से खेल भावना की कमी को दर्शाता है।
खिलाड़ियों की जिम्मेदारी
कांग्रेस सांसद ने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाले मैच हमेशा खेल से आगे बढ़कर राष्ट्रीय भावनाओं और राजनीतिक संदर्भों से जुड़ जाते हैं। लेकिन इस संवेदनशील पृष्ठभूमि में खिलाड़ियों की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। उनका कर्तव्य है कि वे खेल भावना को निभाएं और प्रतिद्वंद्वी का सम्मान करें।
पाकिस्तान के प्रति नीति
शशि थरूर ने आतंकवाद और पाकिस्तान की आम जनता में फर्क करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को पूरे पाकिस्तान से जोड़ना खतरनाक हो सकता है। भारत को कट्टरपंथी विचारधाराओं को कमजोर करने और पाकिस्तान में शांति व संयम की ताकतों को समर्थन देने वाली नीति अपनानी चाहिए। उनके अनुसार, पूरे मुल्क को दुश्मन मान लेना न केवल बौद्धिक भूल है बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी नुकसानदायक है।
आत्मविश्वास का प्रदर्शन
थरूर ने कहा कि भारत एक आत्मविश्वासी लोकतंत्र और वैश्विक स्तर पर उभरती हुई शक्ति है। ऐसे में हमारे आचरण और नीतियों में यही आत्मविश्वास झलकना चाहिए। सच्ची ताकत तभी दिखती है जब हम अपने विरोधियों को भी सम्मान दे सकें।
मैच का संवेदनशील संदर्भ
यह मैच ऐसे समय में खेला गया जब 22 अप्रैल को पहलगाम में एक आतंकी हमला हुआ था और उसके बाद भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। इस कारण भारत और पाकिस्तान के बीच इस मैच को लेकर तनाव और बढ़ गया था। कई लोगों ने सवाल उठाया कि ऐसे हालात में पाकिस्तान से मैच खेलना सही है या नहीं।
टीम इंडिया का संदेश
मैच जीतने के बाद भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने अपनी जीत को सशस्त्र बलों को समर्पित किया और पहलगाम हमले में शहीदों और पीड़ितों के प्रति एकजुटता जताई। टीम इंडिया ने एशिया कप में शानदार प्रदर्शन किया और फाइनल में जगह बनाने में सफल रही। भारत और पाकिस्तान के बीच खेले गए मुकाबले हमेशा सिर्फ क्रिकेट नहीं होते, बल्कि वे राजनीतिक और भावनात्मक संदर्भों से भी जुड़े होते हैं। विवाद चाहे खिलाड़ियों के बीच हाथ मिलाने का हो या फिर किसी और मुद्दे का, उसकी गूंज पूरे देश में सुनाई देती है। शशि थरूर का कहना साफ है कि खेल भावना राजनीति से बड़ी है और हमें इसे राजनीति तथा सैन्य संघर्ष से अलग रखकर देखना चाहिए। उनके अनुसार, भारत का आचरण ऐसा होना चाहिए जो आत्मविश्वास और परिपक्वता का उदाहरण बने और खेल के जरिए शांति और सहयोग का संदेश दिया जा सके।

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