श्रमिक ट्रेन में नहीं था पानी तो दवा नहीं खा पाया प्रवासी मजदूर, परिजनों के सामने तड़पकर हो गई मौत

भागलपुर।(गौतम सुमन गर्जना) दूसरे प्रदेशों में काम करने वाले प्रवासी कामगारों का घर लौटने का सिलसिला निरंतर जारी है। प्रतिदिन दिल्ली समेत दूसरे प्रदेशों से आ रहे ट्रेनों से लाखों की संख्या में प्रवासी कामगार लौट रहे हैं, लेकिन ट्रेन में व्याप्त अव्यवस्था और धीमी गति के कारण प्रवासी कामगारों की मुश्किलें भी बढ़ती जा रही हैं। फलस्वरूप यात्रा के दौरान प्रवासी कामगारों को भोजन पानी के साथ लगातार बढ़ रही गर्मी के कारण जान भी गंवानी भी पड़ रही है। गुजरात के वापी में सिक्यूरिटी गार्ड का काम करने वाले 52 वर्षीय लालबाबू कामत की श्रमिक ट्रेन में मौत हो गयी। परिजनों के अनुसार पानी के अभाव में वे दवा नहीं खा पाए और और उनकी मौत हो गई। हालांकि इस संबंध में रेलवे प्रशासन और पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया है।
गौरतलब हो कि मृतक लालबाबू कामत अपने परिजनों के पत्नी व तीन बच्चियों को साथ लेकर 23 मई को गुजरात के वापी स्टेशन से भागलपुर के लिए चले थे। उन्हें दरभंगा जिला के जाले थानान्तर्गत राढ़ी गांव जाना था। मूल रूप से मृतक दरभंगा के इसी गांव का रहने वाला है।भागलपुर स्टेशन पर मृतक का शव उतारने के बाद शव को पोस्टमार्टम हेतु जेएलएनएमसीएच भेजा गया, वहीं पोस्टमार्टम से पहले कोरोना जांच के लिए सैंपल लिया गया।रेल पुलिस ने इस मामले में यूडी केस भी दर्ज कर लिया है। इस शव के साथ ट्रेन से उतरी मृतक की पत्नी कृष्णा देवी और उनकी बेटी अनुष्का कुमारी ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन में व्याप्त कुव्यवस्था को मौत का जिम्मेवार बताया है।
परिवारवालों का कहना है कि गुजरात के वापी से चले श्रमिक स्पेशल ट्रेन में न तो बिजली थी और न पंखा और न ही पीने के लिए पानी। इतना ही नहीं उन्होंने बाथरूम में भी पानी नहीं होने की बात बताई। उन्होंने बताया कि सफर के दौरान उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। मृतक की पत्नी ने कहा कि बीमार पति की दवाइयां मौजूद थीं, लेकिन पीने के लिए पानी का प्रबंध नहीं था;जिसके कारण पति को दवाई नहीं खिला सकी और उनके पति ने उनके सामने ही तड़पते हुए दम तोड़ दी।
बताया जा रहा है कि मृतक पहले से पैरालाइसिस से ग्रसित थे और उनकी मौत मुंगेर के अभयपुर स्टेशन के आसपास में हो चुकी थी।भागलपुर में ट्रेन के प्लेटफॉर्म संख्या एक पर पहुंचने पर मौजूद अधिकारियों को ट्रेन में मौत होने की सूचना दी गयी, जिसके बाद निबंधन उपरांत शव को ट्रेन कोच से बाहर निकाला गया। शव के बाहर निकलने के बाद प्लेटफॉर्म पर मौजूद चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों के दल ने भौतिक तौर पर जांच की और उसे मृत बता दिया। तत्पश्चात शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।
गौरतलब हो कि लाल बाबू कामत वापी में 15 सालों से गार्ड का काम किया करते थे। पत्नी कृष्णा देवी ने बताई कि तीन बेटियों और एक बेटे समेत वह सभी साथ में ही रहते थे। उन्होंने बताया कि जनवरी माह में उनके पति श्रीकामत लकवा के शिकार हो गए थे। इलाज के बाद इनके तबीयत में सुधार हो गया था इस बीच अप्रैल में फिर तबीयत खराब हो गई लॉग डॉन के बाद सरकारी अस्पताल में इलाज कराया गया 23 मई को वापी से भागलपुर के लिए खुली श्रमिक स्पेशल ट्रेन में परिवार के साथ सवार हुए और रास्ते में फिर उनकी तबीयत खराब हो गई दवाइयां पहले से जो चल रही थी उसे वा दिया गया मगर ठीक नहीं हुए जमालपुर से ट्रेन खुलने के बाद ही उन्होंने अंतिम सांस ली।
इस बाबत रेल थानाध्यक्ष अरविंद कुमार ने बताया कि ट्रेन पहुंचने के बाद सबको रेल थाना लाया गया फिर पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया कोरोना जांच की रिपोर्ट आने के बाद पोस्टमार्टम किया जाएगा।

शव लेने हेतु खुले आसमान के नीचे भूखे- प्यासे बैठे हैं परिजन
शव के लिए गए सैंपल की रिपोर्ट 3 दिनों में आएगी और तभी रिपोर्ट के मुताबिक उनका पोस्टमार्टम होगा और उनके परिजनों को शव सौंपा जाएगा। रिपोर्ट और शव की प्रतीक्षा में मृतक की पत्नी अपनी बेटियों के साथ पोस्टमार्टम हाउस परिसर में ही खुले आसमान के नीचे भूखे प्यासे बैठी हुई है।
बहरहाल,जिस कदर प्रवासी कामगारों को लेकर आने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेन में कुव्यवस्था की बात सामने आ रही है, वह चिंता का सबब जरूर है।