कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्र गुरूवार से : जयकारा व वेदोक्त मंत्र से गूंजेगा बिहार, विजयादशमी 15 को

पटना। भगवती मां दुर्गा की उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र कल आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से शुरू हो रहा है। गुरूवार को नवरात्र के पहले दिन अभिजीत मुहूर्त या अन्य शुभ मुहूर्तों में कलश स्थापना के साथ देवी माता की आराधना आरंभ हो जायेगा। पूरा शहर देवी के आराधना में लीन हो गया है। श्रद्धालु आजे पूजा की तैयारी में जुटे रहे। कल गंगा मिट्टी या बालू में जौ डालकर उसके ऊपर विधि विधान से घट की स्थापना करेंगे। आश्विन शुक्ल दशमी 15 अक्टूबर (शुक्रवार) को देवी की विदाई तथा विजयादशमी का पर्व मनाया जायेगा। कल से घर, मंदिर व पंडालों में पूजा से पहले संकल्प लेकर साधक दुर्गा सप्तशती, देवी पुराण, दुर्गा सहस्त्रनाम, रामचरितमानस, सुंदरकांड, अर्गला, कवच आदि का पाठ शुरू करेंगे। सुबह-शाम आवाहित देवी-देवताओं को भोग अर्पण कर आरती उतारी जाएगी। कीर्तन, भजन, स्तुति से भगवती को प्रसन्न किया जायेगा। विशेष कामना से विशेष मंत्र और विधि द्वारा जगत जननी की पूजा भी होगी।
कोरोना के बाद सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए पूजा समितियां मूर्ति और पंडाल निर्माण कर रही है। मेले के आयोजन पर पूर्ण पाबंदी है। कहीं-कहीं पूजा पंडालों में वैक्सीनेशन सेंटर खोलने की तैयारी हो रही है। शारदीय नवरात्रि को सभी नवरात्रों में सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण होने से भगवती के उपासक पूरी निष्ठा से आराधना करते है। कल आश्चिन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से विजया दशमी तक माता के विभिन्न रूपों की पूजा होगी।
अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना
आचार्य राकेश झा ने बताया कि कल से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है, इसीलिए इसकी स्थापना शुभ मुहूर्त में करना फलदायी होगा। घट स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त सबसे उत्तम है। यह मुहूर्त दोपहर 11:14 बजे से 12:01 बजे तक है। कलश पूजन से सुख-समृद्धि, धन, वैभव, ऐश्वर्य, शांति, पारिवारिक उन्नति तथा रोग-शोक का नाश होता है। कलश-गणेश की पूजा से शारदीय नवरात्र का महाअनुष्ठान आरंभ हो जायेगा। इस बार एक तिथि के क्षय होने से आठ दिन का नवरात्र होगा। जगत जननी की कृपा व सर्वसिद्धि की कामना से उपासक फलाहार या सात्विक अन्न ग्रहण करते हुए दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय के कुल 700 श्लोको का सविधि पाठ करेंगे।

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