पिछड़े व अतिपिछड़े समाज की महिलाओं को अलग से आरक्षण दिए बिना महिला सशक्तकरण का संकल्प अधूरा, विचार करें केंद्र : राजीव रंजन

पटना। केंद्र सरकार से महिला आरक्षण बिल में पिछड़े-अतिपिछड़े समाज की महिलाओं के आरक्षण पर विचार करने का अनुरोध करते हुए JDU के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा कि बिहार की तर्ज पर महिलाओं को लोकसभा व विधानसभा में आरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लाया गया बिल देर से उठाया गया सही कदम है। लेकिन, पिछड़े और अतिपिछड़े समाज की महिलाओं को अलग से आरक्षण दिए बिना इस बिल का उद्देश्य पूरा नहीं हो सकता है। इसलिए केंद्र से अनुरोध है कि बिहार की तर्ज पर बने इस बिल में बिहार की ही तरह पिछड़े और अतिपिछड़े समाज की महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण देने का प्रावधान जोड़ने पर विचार जरुर करे। उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार शुरुआत से ही आधी आबादी को उनका हक दिलाने के लिए कृतसंकल्पित रही है। बिहार देश का पहला राज्य रहा है जिसने 2006 से ही पंचायत व नगर निकाय के चुनावों में महिलाओं को 50% आरक्षण का लाभ दिया हुआ है। लेकिन साथ ही साथ राज्य सरकार ने पिछड़े व अतिपिछड़े समाज की महिलाओं के विकास पर विशेष फोकस करते हुए उन्हें अलग से भी आरक्षण का लाभ दिया है।

हमारा मानना है कि समाज के पिछड़े, अतिपिछड़े तबके की महिलाओं को सशक्त किए बिना महिला सशक्तिकरण का संकल्प अधूरा रह जाता है। इसलिए केंद्र सरकार को भी महिला आरक्षण बिल में इस दिशा के कुछ प्रावधान ज़रूर तय करने चाहिए। JDU महासचिव ने कहा कि केंद्र को स्वयं सोचना चाहिए कि पिछड़े-अतिपिछड़े समाज की संख्या देश में सबसे ज्यादा है, इसके बावजूद अभी तक इस समाज को वह न्याय नहीं मिल सका है जिसका वह हकदार है। उन्हें सोचना चाहिए कि जिस समाज को खुद संविधान ने सभी मानकों पर पिछड़ा-अतिपिछड़ा करार दिया हुआ उन्हें विशेष तवज्जो क्यों नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि महिलाओं को अवसर मिलने पर पूरा समाज तरक्की करता है। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा पिछड़े-अतिपिछड़े समाज की महिलाओं के लिए किये गये कार्यों से समाज में जो ऐतिहासिक परिवर्तन आया है, यह दिखाता है कि मौका मिलने पर इस समाज की महिलाएं पूरा देश बदलने की कुव्वत रखती हैं। इसलिए केंद्र सरकार को इस दिशा में तुरंत विचार कर के प्रभावी कदम उठाने चाहिए।

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