केजरीवाल के बयान पर भड़के संजय झा, कहा- उन्होंने पूर्वांचल का अपमान किया, गंभीर परिणाम होंगे

पटना। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के हालिया बयान ने बिहार और उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में भूचाल ला दिया है। केजरीवाल ने दिल्ली में फर्जी वोटरों के मुद्दे पर सवाल उठाते हुए बिहार और यूपी के लोगों को निशाने पर लिया, जिसके बाद जेडीयू और बीजेपी ने उन पर तीखा हमला बोला।
केजरीवाल का बयान और विवाद की शुरुआत
गुरुवार, 9 जनवरी 2025 को, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुख्य चुनाव आयुक्त से मुलाकात के बाद मीडिया से कहा कि पिछले एक महीने (15 दिसंबर 2024 से 8 जनवरी 2025) में दिल्ली में 13 लाख नए वोटर पंजीकृत हुए हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि अचानक इतने नए वोटर कहां से आए। केजरीवाल ने आरोप लगाया कि दिल्ली में बिहार, यूपी और अन्य पड़ोसी राज्यों से लोगों को लाकर फर्जी वोटर बनाया जा रहा है। उनके इस बयान को जेडीयू और बीजेपी ने पूर्वांचल और बिहार-यूपी के लोगों के अपमान के रूप में लिया। केजरीवाल के इन शब्दों ने सियासी भूचाल खड़ा कर दिया है।
संजय झा का पलटवार
जेडीयू के राज्यसभा सांसद संजय झा ने केजरीवाल के इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने पूर्वांचल के लोगों का अपमान किया है। झा ने सवाल किया कि केजरीवाल को बिहार और यूपी के लोगों से इतनी नफरत क्यों है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सिर्फ केजरीवाल की जागीर नहीं, बल्कि यह पूरे देश की राजधानी है और हर भारतीय नागरिक का उस पर समान अधिकार है। संजय झा ने आगे कहा कि बिहार और यूपी के लोगों ने न केवल दिल्ली बल्कि पूरी दुनिया में अपने मेहनत और काबिलियत का लोहा मनवाया है। उन्होंने चेतावनी दी कि केजरीवाल को इस बयान की राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली का हर यूपी और बिहार का वोटर इस अपमान का जवाब आगामी चुनाव में देगा।
बीजेपी ने भी साधा निशाना
बीजेपी ने भी केजरीवाल के बयान की निंदा की। पार्टी के नेताओं ने इसे पूर्वांचल के लोगों का अपमान बताते हुए कहा कि यह बयान न केवल विभाजनकारी है बल्कि उनकी मानसिकता को भी उजागर करता है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और आगामी चुनाव पर प्रभाव
केजरीवाल के इस बयान से बिहार और यूपी के राजनीतिक दलों को उनके खिलाफ एकजुट होने का मौका मिल गया है। बिहार और यूपी के वोटरों का दिल्ली में एक बड़ा प्रभाव है, और उनके खिलाफ ऐसा बयान आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को महंगा पड़ सकता है। अरविंद केजरीवाल का बयान न केवल सियासी हलचल का कारण बना है, बल्कि यह दिल्ली और अन्य राज्यों के बीच की सामाजिक एकता पर भी सवाल खड़ा करता है। बिहार और यूपी के लोगों की मेहनत और योगदान को अनदेखा करना किसी भी राजनेता के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है। इस विवाद से यह स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली के चुनावी मैदान में क्षेत्रीय राजनीति और वोटर वर्ग के मुद्दे अब और अधिक तीखे हो सकते हैं।
दिल्ली में कितने पूर्वांचली वोटर
देश की राजधानी दिल्ली में बड़ी संख्या में बिहार-यूपी के लोग यानी पूर्वांचल के लोग रहते हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों की माने तो करीब डेढ़ करोड़ वोटर्स में 24 फीसदी बिहार-यूपी से हैं। इनकी संख्या करीब 40 लाख है।
इन सीटों पर पूर्वांचल वोटर्स का दबदबा
दिल्ली की करीब 30 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर पूर्वांचल के लोग असर डालते हैं। इनमें द्वारका, पालम, विकासपुरी, उत्‍तम नगर, राजेन्‍द्र नगर, देवली, बदरपुर, लक्ष्‍मी नगर, बुराड़ी, पटपड़गंज, मॉडल टाउन और करावल नगर शामिल है। इन सीटों पर करीब 50 फीसदी वोटर्स ऐसे हैं, जो पूर्वांचली यानी बिहार और यूपी से है।
2015-2022 में किसके साथ पूर्वांचली वोटर
अगर बात करें 2015 और 2022 दिल्ली विधानसभा चुनाव की तो कई सीटों पर अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की जीत हुई थी। हालांकि 2024 लोकसभा चुनाव में सभी 7 सीटों पर जीत से बीजेपी उत्साहित है। बता दें कि बीजेपी ने 26 सालों से दिल्ली की सत्ता का स्वाद नहीं चखा है।

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