December 8, 2025

विधानसभा चुनाव लड़ेंगे सम्राट चौधरी, कहा- मैं पूरी तरह से पार्टी को समर्पित, बीजेपी रहेगी तो मैदान में उतरूंगा

पटना। बिहार की राजनीति एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। राज्य के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने मंगलवार को आयोजित एक निजी मीडिया चैनल के कार्यक्रम में ऐसा बयान दिया जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने पहली बार खुलकर यह संकेत दिया कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में मैदान में उतर सकते हैं। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका निर्णय पूरी तरह पार्टी की नीति और आदेश पर निर्भर करेगा।
पार्टी के प्रति निष्ठा और समर्पण की पुनः पुष्टि
कार्यक्रम के दौरान सम्राट चौधरी ने कहा कि वे हमेशा से पार्टी के आदेशों का पालन करते आए हैं और आगे भी ऐसा ही करेंगे। उन्होंने कहा कि राजनीति उनके लिए सत्ता प्राप्ति का माध्यम नहीं बल्कि जनता की सेवा का अवसर है। अगर पार्टी उन्हें किसी सीट से चुनाव लड़ने का निर्देश देगी, तो वे पूरी निष्ठा के साथ चुनाव मैदान में उतरेंगे। इस बयान से साफ झलकता है कि वे पार्टी संगठन के अनुशासन और सामूहिक निर्णय प्रक्रिया का पूरा सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा, “मैं पार्टी के प्रति समर्पित हूँ और मेरा लक्ष्य केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि बिहार के विकास में योगदान देना है। अगर पार्टी आदेश देगी, तो मैं जनता के बीच जाकर काम करूंगा।” उनके इस कथन ने यह स्पष्ट कर दिया कि वे पूरी तरह से पार्टी की रणनीति पर भरोसा करते हैं और व्यक्तिगत निर्णय से आगे नहीं बढ़ेंगे।
राजधानी से चुनाव लड़ने की अटकलें
सम्राट चौधरी के बयान के बाद राजनीतिक विशेषज्ञों और पर्यवेक्षकों के बीच चर्चा तेज हो गई है कि वे संभवतः राजधानी पटना की किसी सीट से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। उनकी लोकप्रियता और प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए यह माना जा रहा है कि अगर पार्टी उन्हें मौका देती है, तो वे एक मजबूत उम्मीदवार के रूप में सामने आएंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि सम्राट चौधरी के पास संगठनात्मक कुशलता और जनसंपर्क दोनों हैं। उनकी छवि एक ऊर्जावान और युवा नेतृत्वकर्ता की है, जो पार्टी की नीतियों को जनता तक प्रभावशाली तरीके से पहुंचाने में सक्षम हैं।
युवा वर्ग के प्रति सम्राट चौधरी की दृष्टि
कार्यक्रम के दौरान सम्राट चौधरी ने विशेष रूप से युवाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि बिहार के विकास में युवाओं की भागीदारी बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि युवाओं को राजनीति में सकारात्मक भूमिका निभाने की आवश्यकता है और पार्टी कार्यकर्ताओं को उनकी समस्याओं को समझना चाहिए। उनका मानना है कि नई पीढ़ी को प्रेरित करना और उन्हें सामाजिक परिवर्तन के लिए तैयार करना हर नेता का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि बिहार के विकास और परिवर्तन के लिए सशक्त राजनीतिक नेतृत्व जरूरी है। इसके लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को जनता से जुड़ना होगा और संगठन को और मजबूत बनाना होगा।
पार्टी की रणनीति के साथ तालमेल
सम्राट चौधरी ने स्पष्ट किया कि चुनाव लड़ने या न लड़ने का निर्णय वे स्वयं नहीं लेंगे, बल्कि यह फैसला पार्टी के शीर्ष नेतृत्व करेगा। उन्होंने कहा कि एनडीए गठबंधन पूरी तरह एकजुट है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि भाजपा और उसके सहयोगी दल बिहार की जनता को विकास और स्थिरता का विकल्प देना चाहते हैं। यह बयान इस बात का संकेत है कि सम्राट चौधरी अपनी भूमिका को लेकर पूरी तरह तैयार हैं, लेकिन वे किसी भी निर्णय में पार्टी की प्राथमिकता को सर्वोपरि मानते हैं।
राजनीतिक महत्व और संभावनाएं
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सम्राट चौधरी का यह बयान चुनावी माहौल में भाजपा के लिए सकारात्मक संदेश देता है। वे भाजपा के उन नेताओं में से हैं जो जमीनी स्तर पर सक्रिय हैं और जनता के बीच मजबूत पकड़ रखते हैं। अगर वे चुनाव मैदान में उतरते हैं, तो यह भाजपा के लिए न केवल एक रणनीतिक निर्णय होगा बल्कि संगठन को मजबूती देने का अवसर भी साबित होगा। उनका प्रशासनिक अनुभव, संवाद क्षमता और स्पष्ट विचारधारा उन्हें पार्टी का भरोसेमंद चेहरा बनाते हैं। उनके नेतृत्व में भाजपा कार्यकर्ताओं में जोश और आत्मविश्वास दोनों बढ़ा है।
जनता की सेवा को प्राथमिकता
सम्राट चौधरी ने कहा कि राजनीति केवल व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा का मंच नहीं, बल्कि जनता की सेवा का माध्यम है। उन्होंने यह भी कहा कि वे किसी भी परिस्थिति में पार्टी की नीति के खिलाफ नहीं जाएंगे और जनता के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे। उनका मानना है कि नेता का असली उद्देश्य समाज में परिवर्तन लाना और लोगों की समस्याओं का समाधान करना होना चाहिए। सम्राट चौधरी का यह बयान बिहार की राजनीति में नई हलचल का कारण बना है। उनकी राजनीतिक परिपक्वता, पार्टी के प्रति निष्ठा और जनता की सेवा की भावना उन्हें एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित करती है। अगर पार्टी उन्हें चुनावी मैदान में उतारती है, तो यह न केवल भाजपा के लिए बल्कि पूरे एनडीए गठबंधन के लिए भी ऊर्जा देने वाला कदम होगा।
उनकी सोच और दृष्टिकोण से यह स्पष्ट है कि वे केवल राजनीति नहीं, बल्कि बिहार के भविष्य के निर्माण के लिए समर्पित हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में उनका निर्णय और भूमिका राज्य की राजनीति के समीकरणों पर गहरा प्रभाव डाल सकती है।

You may have missed