नवरात्रि से पहले विश्वविद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों का होगा वेतन भुगतान, शिक्षा विभाग का निर्देश जारी
पटना। बिहार में शिक्षा क्षेत्र की वित्तीय समस्याओं को लेकर लंबे समय से शिकायतें सामने आ रही थीं। प्राथमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के प्रधान शिक्षक व प्रधानाध्यापक लगातार वेतन भुगतान में हो रही देरी से परेशान थे। करीब दो महीने से वेतन न मिलने के कारण वे आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे थे। यही नहीं, पारंपरिक विश्वविद्यालयों के शिक्षकों, कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के बीच भी असंतोष और चिंता का माहौल था। अब शिक्षा विभाग ने इन गंभीर शिकायतों को ध्यान में रखते हुए नवरात्र से पहले सभी लंबित वेतन और पेंशन भुगतान सुनिश्चित करने का आदेश जारी किया है।
शिक्षा विभाग का निर्देश
शिक्षा विभाग के सचिव सह माध्यमिक शिक्षा निदेशक दिनेश कुमार ने सभी जिलों के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि एक सप्ताह के भीतर प्रधान शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों का लंबित वेतन भुगतान कर दिया जाए। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब शिक्षक अपने भरण-पोषण और दैनिक जरूरतों को लेकर कठिनाई झेल रहे थे। विभाग ने यह भी आश्वासन दिया है कि नवरात्र तक सभी लाभुकों के खाते में राशि पहुंचा दी जाएगी।
लापरवाही पर सख्ती
कई जिलों में यह शिकायत सामने आई थी कि प्रधान शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों को प्रान संख्या मिलने और उनका ब्योरा एचआरएमएस पोर्टल पर दर्ज होने के बावजूद उन्हें भुगतान नहीं किया जा रहा था। इसे शिक्षा सचिव ने गंभीर लापरवाही माना और अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई का आदेश जारी कर दिया। उनका साफ संदेश था कि इस तरह की देरी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी और तय समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा।
विश्वविद्यालयों के लिए भी राहत
केवल स्कूल स्तर पर ही नहीं, विश्वविद्यालयों के शिक्षकों, कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए भी राहत की घोषणा की गई है। उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से सितंबर महीने के वेतन और पेंशन भुगतान के लिए 325 करोड़ 82 लाख रुपये की राशि जारी की गई है। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. एन.के. अग्रवाल ने इस सिलसिले में सभी विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को पत्र भेजा है। इसमें पटना विश्वविद्यालय, मगध विश्वविद्यालय, बीआरए विश्वविद्यालय, जयप्रकाश विश्वविद्यालय और टीएमबीयू जैसे प्रमुख विश्वविद्यालय शामिल हैं। इस आदेश के लागू होने से हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों को समय पर वेतन और पेंशन का लाभ मिल सकेगा।
आर्थिक असुरक्षा से मिलेगा आराम
अक्सर देखा गया है कि वेतन और पेंशन में देरी होने से शिक्षकों और कर्मचारियों में असंतोष पनपता है। कई बार उन्हें वित्तीय असुरक्षा का सामना करना पड़ता है। इस बार नवरात्र से पहले भुगतान का निर्णय निश्चित रूप से उनकी चिंताओं को दूर करेगा। समय पर वेतन मिलने से वे आर्थिक रूप से स्थिर होंगे और अपनी शिक्षा संबंधी जिम्मेदारियों को भी बेहतर ढंग से निभा पाएंगे।
डिजिटल प्रक्रिया की शुरुआत
शिक्षा विभाग ने कर्मचारियों और शिक्षकों को राहत देने के साथ-साथ प्रशासनिक कामकाज को भी पारदर्शी बनाने पर जोर दिया है। अब छुट्टियों के लिए आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल कर दी गई है। सभी शिक्षकों और कर्मचारियों को एचआरएमएस पोर्टल पर जाकर ही छुट्टी के लिए आवेदन करना होगा। इस कदम का उद्देश्य प्रक्रियाओं को आसान और पारदर्शी बनाना है, ताकि किसी भी तरह की अनियमितता की गुंजाइश न रहे।
शिकायतों का डिजिटल निपटारा
पिछले कुछ वर्षों में यह शिकायत आम रही है कि शिक्षकों को वेतन भुगतान में देरी होती है, पेंशन की राशि नहीं पहुंचती और छुट्टी के आवेदन में जटिलताएं बनी रहती हैं। शिक्षा विभाग ने अब स्पष्ट कर दिया है कि एचआरएमएस पोर्टल ही इन सभी समस्याओं के समाधान का आधार बनेगा। शिकायतों का निपटारा डिजिटल प्लेटफॉर्म से किया जाएगा ताकि कामकाज तेज और पारदर्शी हो सके।
नैतिक बल और मनोबल में वृद्धि
वेतन और पेंशन समय पर मिलने से न केवल शिक्षकों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी बल्कि इससे उनका मनोबल भी बढ़ेगा। लंबे समय से इंतजार कर रहे शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए यह घोषणा उत्साहजनक है। जब सरकारी कर्मचारी वित्तीय परेशानियों से जूझते हैं, तो काम में उनकी एकाग्रता और क्षमता प्रभावित होती है। विभाग का यह कदम शिक्षकों की उत्पादकता और लगन को बढ़ाने में सहायक होगा।
शिक्षा जगत पर असर
बिहार सरकार और शिक्षा विभाग की यह पहल शिक्षा जगत के लिए सकारात्मक संकेत है। अब तक जिस लापरवाही और देरी का सामना शिक्षक और कर्मचारी कर रहे थे, उस पर अंकुश लगाने का प्रयास किया गया है। वेतन और पेंशन वितरण को समय पर सुनिश्चित कर विभाग ने यह भरोसा दिलाने की कोशिश की है कि शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों की समस्याओं को गंभीरता से लिया जा रहा है। नवरात्र से पहले वेतन और पेंशन भुगतान सुनिश्चित करने का निर्णय शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत है। यह केवल एक वित्तीय कदम नहीं बल्कि प्रशासनिक सुधार का भी प्रतीक है। विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि अब डिजिटल माध्यम से ही हर समस्या का समाधान होगा और किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अगर इस आदेश का पालन जिलों में सही ढंग से हुआ, तो यह न सिर्फ शिक्षकों की आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करेगा बल्कि शिक्षा व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव की नींव भी रखेगा।


