इंडिया गठबंधन की बैठक से पहले सहनी की मांग, कहा- 60 सीटों पर तैयारी, पीछे नहीं हटेंगे, आरजेडी बोली- सब समय पर तय होगा

पटना। बिहार में अगले विधानसभा चुनाव की हलचल तेज हो गई है। विपक्षी इंडिया गठबंधन की आगामी बैठक 12 जून को प्रस्तावित है, जिसकी अध्यक्षता राजद नेता तेजस्वी यादव करेंगे। इस बैठक से पहले ही सहयोगी दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बयानबाज़ी शुरू हो चुकी है। खासकर विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी ने अपने दावे से सियासी पारा चढ़ा दिया है।
60 सीटों पर वीआईपी की तैयारी
पूर्व मंत्री और वीआईपी पार्टी प्रमुख मुकेश सहनी ने स्पष्ट किया है कि उनकी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए 60 सीटों पर पूरी तरह से तैयारी कर रही है। उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी के पास इन सभी सीटों पर मजबूत उम्मीदवार हैं और चुनावी रणनीति भी तैयार है। यह वीआईपी का आंतरिक ब्लूप्रिंट है, लेकिन अंतिम निर्णय इंडिया गठबंधन के साझा मंच पर ही लिया जाएगा। सहनी ने कहा कि यदि महागठबंधन द्वारा कुछ सीटें कम दी जाती हैं, तो भी उनकी पार्टी तैयार है, लेकिन कोशिश होगी कि तय रणनीति के अनुसार ही अधिकतम सीटों पर लड़ने का मौका मिले।
सीतामढ़ी पर विशेष ध्यान
मुकेश सहनी ने सीतामढ़ी जिले की सीटों पर विशेष रुचि दिखाई है। उन्होंने कहा कि यदि महागठबंधन की ओर से सीतामढ़ी की सभी सीटें उनकी पार्टी को दी जाती हैं, तो वीआईपी उसे स्वीकार करेगी। सीतामढ़ी जिले में कुल आठ विधानसभा सीटें हैं, जिन पर वीआईपी अपनी स्थिति मजबूत मान रही है। सहनी का मानना है कि इन क्षेत्रों में उनकी पार्टी की पहुंच और सामाजिक समीकरण उन्हें बढ़त दिला सकते हैं।
राजद और कांग्रेस की प्रतिक्रियाएं
वीआईपी के दावे के बाद महागठबंधन की अन्य प्रमुख पार्टियों राजद और कांग्रेस ने संयमित प्रतिक्रिया दी है। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि सीटों का अंतिम निर्णय सभी दलों की बैठक में लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि हर पार्टी अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, जो स्वाभाविक है, लेकिन अंतिम फैसला सामूहिक सहमति से ही होगा। तिवारी ने मुकेश सहनी को महागठबंधन का मजबूत सहयोगी बताया और यह भरोसा दिलाया कि जब समय आएगा, तब सभी दल मिलकर एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे।
गठबंधन में तालमेल की परीक्षा
वीआईपी के इस दावे से साफ हो गया है कि आगामी चुनावों में इंडिया गठबंधन के भीतर सीटों का बंटवारा आसान नहीं होगा। हर दल अपनी ताकत के अनुसार अधिक सीटें चाहता है, लेकिन एकजुटता बनाए रखने के लिए संतुलन भी जरूरी होगा। ऐसे में गठबंधन के नेताओं के सामने एक बड़ी चुनौती है कि वे हर दल को उसकी राजनीतिक और सामाजिक हैसियत के आधार पर संतुलित हिस्सेदारी दें।
चुनावी रणनीति और भविष्य की राह
मुकेश सहनी के 60 सीटों पर चुनाव लड़ने के दावे को यदि गंभीरता से देखा जाए, तो यह साफ है कि वीआईपी पार्टी अपने जनाधार को मजबूत मान रही है। सहनी, खासकर निषाद और मल्लाह समुदायों में अपनी पकड़ के चलते कुछ क्षेत्रों में खुद को निर्णायक मानते हैं। अब देखना यह होगा कि 12 जून की बैठक में इस मुद्दे पर कितना मंथन होता है और गठबंधन किन समीकरणों के आधार पर सीटों का बंटवारा करता है। बहरहाल, महागठबंधन के अंदर खींचतान की हल्की झलक अब साफ दिखाई देने लगी है, लेकिन अभी भी सहयोगी दल एकजुटता की बात कह रहे हैं। आने वाले हफ्तों में सीट बंटवारे को लेकर चर्चा और तेज होने वाली है, और तब स्पष्ट होगा कि वीआईपी को उसकी इच्छा के मुताबिक स्थान मिल पाता है या नहीं।

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