November 17, 2025

बिहार में चुनावी तैयारी में आरजेडी: बुजुर्ग नेताओं का टिकट काटने की तैयारी, युवाओं को प्राथमिकता देंगे तेजस्वी

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने से पहले ही राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। सभी दल उम्मीदवारों के चयन से लेकर प्रचार रणनीति तक की तैयारियों में जुट गए हैं। इसी बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने एक अहम फैसला लिया है, जिसने चुनावी माहौल को और भी गरमा दिया है। पार्टी इस बार टिकट वितरण में युवाओं को प्राथमिकता देने जा रही है।
युवाओं को साधने की कोशिश
बिहार की राजनीति में युवा हमेशा निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। राज्य की लगभग 58 प्रतिशत आबादी 40 साल से कम उम्र के लोगों की है। यह एक बड़ा वोट बैंक है, जिसे कोई भी राजनीतिक दल नज़रअंदाज नहीं कर सकता। राजद ने इस आंकड़े को ध्यान में रखते हुए युवाओं को संगठन और चुनावी मैदान दोनों में बड़ी भूमिका देने की योजना बनाई है। पार्टी का मानना है कि अगर युवाओं को मौका दिया गया, तो संगठन में नई ऊर्जा आएगी और जनता के बीच एक सकारात्मक संदेश जाएगा।
वरिष्ठ नेताओं का टिकट कटने की संभावना
राजद की रणनीति के तहत इस बार कई उम्रदराज और पुराने नेताओं का टिकट काटा जा सकता है। अंदरूनी बैठकों में इस विषय पर चर्चा भी हो चुकी है। माना जा रहा है कि कई सीटों पर वरिष्ठ नेताओं की जगह युवा चेहरों को उतारा जाएगा। हालांकि, यह भी संभावना है कि वरिष्ठ नेताओं के प्रभाव को पूरी तरह दरकिनार न किया जाए। ऐसे में उनके परिवार के किसी सदस्य या करीबी को चुनावी मैदान में उतारने का विकल्प खुला रहेगा।
पिछली गलतियों से सबक
पार्टी ने पिछले चुनावों में यह अनुभव किया कि बड़ी संख्या में युवा उसके साथ खड़े नहीं हुए। सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर राजद की पकड़ कमजोर रही, जबकि अन्य दल इस क्षेत्र में मजबूत साबित हुए। इसी कमी को दूर करने के लिए पार्टी अब युवाओं पर ज्यादा भरोसा दिखा रही है। युवाओं से सीधा संवाद और उन्हें राजनीतिक मंच पर जगह देना ही राजद की नई रणनीति का आधार है।
संगठन में युवाओं की भागीदारी
राजद केवल विधानसभा टिकट ही नहीं, बल्कि पार्टी संगठन में भी युवाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दे रही है। कई जिलों में युवा कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी देने का निर्णय लिया गया है। इससे पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूती मिलेगी और संगठन में नई सोच और ऊर्जा का संचार होगा।
विपक्ष को सीधी चुनौती
राजद का यह फैसला एक तरह से विपक्ष पर भी सीधी चुनौती है। पार्टी यह संदेश देना चाहती है कि जहां अन्य दल पुराने चेहरों पर भरोसा करते हैं, वहीं वह बदलाव की दिशा में कदम बढ़ा रही है। युवाओं को मौका देने की घोषणा कर पार्टी खुद को आधुनिक सोच और प्रगतिशील दृष्टिकोण वाला दल साबित करने की कोशिश कर रही है।
चुनौतियां भी कम नहीं
हालांकि इस रणनीति के सामने कई चुनौतियां भी हैं। टिकट कटने से नाराज़ वरिष्ठ नेताओं को संभालना बड़ी मुश्किल साबित हो सकता है। ऐसे नेताओं का संगठन और कार्यकर्ताओं पर गहरा असर होता है। अगर वे बगावत करते हैं, तो पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। दूसरी ओर, नए उम्मीदवारों के पास अनुभव की कमी हो सकती है, जिससे चुनावी मुकाबले में कठिनाइयाँ सामने आ सकती हैं।
चुनावी समीकरण पर असर
राजद की यह नई रणनीति बिहार की चुनावी राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकती है। अगर पार्टी युवाओं को टिकट देकर जनता से जोड़ने में सफल रही, तो यह उसके लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है। लेकिन यदि वरिष्ठ नेताओं की नाराज़गी खुलकर सामने आई, तो अंदरूनी कलह पार्टी की राह मुश्किल बना सकती है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राजद ने युवाओं पर बड़ा दांव लगाने का फैसला लिया है। यह कदम पार्टी की छवि बदलने और युवाओं को साधने की एक गंभीर कोशिश है। हालांकि यह रणनीति कितनी सफल होगी, यह चुनाव परिणाम ही तय करेंगे। लेकिन इतना तो तय है कि इस फैसले से बिहार की राजनीति में नई हलचल जरूर पैदा होगी और युवा नेतृत्व की बहस एक बार फिर तेज हो जाएगी।

You may have missed