RJD में अंतर्कलह पर सुशील मोदी का ट्वीट, कांग्रेस एवं वामपंथियों पर भी निशाना साधा

पटना। बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने राजद में जारी अंतर्कलह पर ट्वीट करते हुए कहा है कि राजद के जो नेता सामान्य वर्ग के युवाओं को 10 फीसद आरक्षण देने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले का विरोध कर अपना जनाधार खो चुके हैं, वे असली मुद्दे उठाने के बजाय पार्टी में अपना राजनीतिक वजूद बचाने के लिए आपस में तलवारबाजी कर रहे हैं। दोनों ही “जयकारा पार्टी” में शामिल हैं। कोई सुप्रीमो का खास बन रहा है, तो कोई युवराज का। उन्होंने कहा कि सामान्य वर्ग के लोग इनकी पार्टी को लोकसभा चुनाव में सबक सिखा चुके हैं।

राजद के जो नेता सामान्य वर्ग के युवाओं को 10 फीसद रिजर्वेशन देने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले का विरोध कर अपना जनाधार खो चुके हैं, वे असली मुद्दे उठाने के बजाय पार्टी में अपना राजनीतिक वजूद बचाने के लिए आपस में तलवारबाजी कर रहे हैं।
दोनों ही "जयकारा पार्टी " में…. pic.twitter.com/W9cjvB6fWA
— Sushil Kumar Modi (मोदी का परिवार ) (@SushilModi) January 13, 2020
मोदी ने आगे कहा कि दुनिया में जहां भी वामपंथी सत्ता में आये, वहां लोकतंत्र समाप्त हो गया। ये लोग भारत में और भारत के विश्वविद्यालयों में लोकतंत्र की दुहाई देकर लोकतांत्रिक उदारता का बेजां लाभ उठाते हुए राजनीतिक गतिविधियां चलाते हैं, लेकिन जैसे ही ये जेएनयू, जामिया और विश्वभारती जैसे किसी विश्वविद्यालय पर कब्जा करते हैं, दूसरों को बोलने नहीं देकर लोकतंत्र की ही हत्या करते हैं। केरल के कन्नूर विश्वविद्यालय में राज्यपाल और विश्वभारती में सांसद को बोलने से रोकना कहां का लोकतंत्र है? लोकतंत्र बचाने की नौटंकी करने वालों ने विश्वविद्यालयों में हुई इन घटनाओं पर चुप्पी क्यों साध ली?
दुनिया में जहां भी वामपंथी सत्ता में आये, वहां लोकतंत्र समाप्त हो गया।
ये लोग भारत में और भारत के विश्वविद्यालयों में लोकतंत्र की दुहाई देकर लोकतांत्रिक उदारता का बेजा लाभ उठाते हुए राजनीतिक गतिविधियां चलाते हैं, लेकिन जैसे ही ये जेएनयू, जामिया और विश्वभारती जैसे किसी…….. pic.twitter.com/XYNexGmxdn
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उन्होंने साथ ही कहा कि नागरिकता कानून पर छात्रों को गुमराह कर कांग्रेस और वामपंथी दलों ने देश के कुछ बड़े विश्वविद्यालयों को जिस तरह से हिंसा और उपद्रव के हवाले किया, उससे न केवल गरीब छात्रों के दाखिले रुके, बल्कि देश-विदेश की दर्जन भर कंपनियों को कैंपस प्लेसमैंट कैंप टालने पड़े। गरीबों का नाम लेकर राजनीति करने वालों ने गरीब युवाओं के सामने आए नौकरी के सैंकड़ों मौके आंदोलन की आग में झोंक दिये।
नागरिकता कानून पर छात्रों को गुमराह कर कांग्रेस और वामपंथी दलों ने देश के कुछ बड़े विश्वविद्यालयों को जिस तरह से हिंसा और उपद्रव के हवाले किया, उससे न केवल गरीब छात्रों के दाखिले रुके, बल्कि देश-विदेश की दर्जन-भर कंपनियों को कैंपस प्लेसमैंट कैंप टालने पड़े।
गरीबों का नाम…. pic.twitter.com/EEzYNIbixM
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