पटना में बीज उत्पादन व उद्यानिक फसलों से संबंधित परिचर्चा का आयोजन, कृषि मंत्री रहे मौजूद

  • उद्यानिक फसलों के विकास के लिए जिलावार तैयार की जायेगी कार्ययोजना, दक्षिण बिहार में शुष्क बागवानी के विकास हेतु किया जायेगा विशेष प्रावधान
  • आँवला, जामुन, बेल, कटहल और नींबू की गुणवत्तयुक्त पौध रोपन सामग्री की जायेगी तैयार

पटना(अजीत)। कृषि विभाग द्वारा आज बामेती, पटना के सभागार में बिहार में सीड हब तथा बीज उत्पादन एवं उद्यानिक फसलों से संबंधित परिचर्चा का आयोजन किया गया। बिहार सरकार के कृषि विभाग के मंत्री कुमार सर्वजीत इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। वही इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्यमंत्री, बिहार के कृषि सलाहकार डॉ. मंगला राय द्वारा की गई। मंत्री ने कहा कि जामुन, कटहल, बेल, नींबू का गुणवत्तापूर्ण पौधे बिहार में कम होते जा रहे है। इसे नये क्षेत्र में बढ़ावा देने की आवश्यकता है। प्रत्येक जिला के जरूरत के अनुसार पौधे की उपलब्धता हेतु कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने निर्देश दिया कि मखाना के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि किया जाये। उद्यानिक फसलों से किसानों की आय में वृद्धि की जा सकती है। उन्होंने आगे कहा कि विभागीय योजनाओं का लाभ नये किसानों तक पहुँचाया जाये। अधिकारियों को अपने कर्तव्य का निर्वहन करने की आवश्यकता है, जिससे बिहार का विकास हो सके। मुख्यमंत्री, बिहार के कृषि सलाहकार डॉ. मंगला राय ने कहा कि अपनी कमजोरियों को जाने और उसको दूर करें। उन्होंने अधिकारियों को अपने जिला में नये-नये कार्य करने को कहा। फसलों का चयन जिला के भौगोलिक स्थिति एवं जलवायु के अनुसार किया जाये। उन्होंने तकनीकी आधारित तथा ज्ञानपरक विकास के माध्यम से बागवानी के क्षेत्र में कार्य करने का सलाह दिया। कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि राज्य में लगभग 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उद्यानिक फसलों की खेती की जाती है, जिसमें बढ़ोतरी की अपार संभावनाएँ है। राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 19 प्रतिशत है, जिसमें बागवानी का योगदान लगभग 30 प्रतिशत है। बिहार में कृषि को नये ऊचाईयों तक पहुँचाना है। उन्होंने निर्देश दिया कि बाजार की मांग की आधार पर योजना बनाई जाये।

सब्जी का आच्छादन क्षेत्र, उत्पादन एवं निर्यात को बढ़ाने की बहुत संभावनाएँ है। अन्य राज्यों में उद्यानिक फसलों के विकास से वहां के किसानों की स्थिति सुदृढ हुई है। वही इस क्रम में दक्षिण बिहार में आँवला तथा अमरूद का क्षेत्र विस्तार करना होगा। अभी तक उद्यानिक फसलों की खेती मुख्यतः उतरी बिहार तक ही सीमित थी, परन्तु इसे दक्षिण बिहार के शुष्क क्षेत्रों में भी प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि राज्य में केला के उत्पादन के लिए अपार क्षमता है, विशेषकर पारम्परिक केला के प्रभेदों के क्षेत्र विस्तार तथा इसकी खेती को विकसित करने की आवश्यकता है। राज्य का विशिष्ट केला मालभोग, चिनियां तथा बतीसा जैसे प्रभेदों के पौध रोपन सामग्री का प्रोटोकॉल तैयार करते हुए विकसित करने की जवाबदेही कृषि विश्वविद्यालयों को दी गई है, ताकि आने वाले दिनों में इसका क्षेत्र विस्तार किया जा सके। वही इस कार्यक्रम में कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल, कृषि निदेशक डॉ. आलोक रंजन घोष, संयुक्त सचिव अनिल कुमार झा, संयुक्त सचिव संजय कुमार सिंह, निदेशक, उद्यान अभिषेक कुमार, संयुक्त सचिव शैलेन्द्र कुमार, अपर निदेशक धनंजयपति त्रिपाठी, डॉ. संजय कुमार, निदेशक, भारतीय बीज विज्ञान संस्थान, मऊ सहित विभागीय मुख्यालय एवं क्षेत्र के पदाधिकारीगण तथा कृषि वैज्ञानिकगण उपस्थित थे।

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