जदयू प्रदेश कार्यसमिति और एडवाइजरी कमेटी का पुनर्गठन, 115 लोगों को मिली जगह, कुशवाहा फिर अध्यक्ष बने

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने अपने संगठन को मजबूत करने के लिए बड़े बदलाव किए हैं। शुक्रवार को राष्ट्रीय टीम की जिम्मेदारी तय करने के बाद, पार्टी ने प्रदेश स्तर पर भी महत्वपूर्ण कदम उठाए। सबसे पहले, जदयू ने अपनी प्रदेश कार्यसमिति और पॉलिटिकल एडवाइजर कमेटी को भंग कर दिया। इसके तुरंत बाद, लगभग एक घंटे के भीतर इन समितियों का नए सिरे से गठन किया गया। पहले जहां इन समितियों में 500 से अधिक सदस्य थे, वहीं अब इनकी संख्या को घटाकर 115 कर दिया गया है। नई प्रदेश कमेटी में 10 उपाध्यक्ष, 49 महासचिव, 46 सचिव, 9 प्रवक्ता और एक कोषाध्यक्ष शामिल किए गए हैं। उमेश कुशवाहा को एक बार फिर से प्रदेश अध्यक्ष के रूप में बनाए रखा गया है। कुशवाहा, जो पिछले तीन वर्षों में दो बार प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं, पहली बार 10 जनवरी 2021 को वशिष्ठ नारायण सिंह की जगह पर इस पद पर आए थे। सिंह, जो उम्र के कारण पार्टी की जिम्मेदारियों को संभालने में असमर्थ हो रहे थे, ने कुशवाहा को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया था। इसके बाद, 26 नवंबर 2022 को भी कुशवाहा को इस पद पर कंटीन्यू किया गया था, जब प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में केवल उन्हीं का नामांकन हुआ था। जदयू की प्रदेश कमेटी का पिछला गठन 17 महीने पहले 21 मार्च 2023 को हुआ था, जिसमें 20 उपाध्यक्ष, 105 महासचिव, 114 सचिव, 11 प्रवक्ता और एक कोषाध्यक्ष शामिल थे। हालांकि, इसके बाद भी कुछ नए सदस्यों को कमेटी में जोड़ा गया था। जदयू ने अपने नेताओं को संगठित रखने और उनकी सलाहकार भूमिका को सुनिश्चित करने के लिए “पॉलिटिकल एडवाइजर कमेटी” नामक एक नया विंग भी बनाया था। इस जंबो टीम में 273 लोगों को जगह दी गई थी, लेकिन इस समिति की 14 महीने में एक भी बैठक नहीं हो सकी, और न ही यह कोई सलाह देने में सक्षम रही। सूत्रों के मुताबिक, इस कमेटी के अस्तित्व में आने के बाद से ही इसे लेकर असंतोष था, क्योंकि यह प्रभावी रूप से कोई काम नहीं कर पाई। इसे ध्यान में रखते हुए, जदयू ने अब इस पॉलिटिकल एडवाइजर कमेटी को भी भंग कर दिया है। यह कदम संगठन की कार्यक्षमता को बेहतर बनाने और आगामी विधानसभा चुनावों के लिए तैयारियों को मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया है। कुल मिलाकर, जदयू ने अपने संगठन को एक नई दिशा देने के लिए पुराने ढांचे को खत्म कर दिया है और नई टीम का गठन किया है, जिसमें प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं और अनुभवी कार्यकर्ताओं को शामिल किया गया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि ये बदलाव पार्टी की चुनावी तैयारियों पर कितना प्रभाव डालते हैं।

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