आरबीआई ने नहीं किया रेपो रेट में बदलाव, लोन और ईएमआई पर राहत, ग्लोबल ट्रेड की चुनौती
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अगस्त 2025 में मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद यह फैसला किया है कि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। रेपो रेट को 5.5% पर स्थिर रखा गया है। यह निर्णय 4 से 6 अगस्त तक चली तीन दिवसीय मीटिंग में लिया गया, जिसकी जानकारी आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 6 अगस्त को दी।
लोन और ईएमआई पर असर
रेपो रेट में बदलाव न होने से लोन लेने वाले लोगों को राहत मिली है। चूंकि रेपो रेट स्थिर है, इसलिए बैंकों से मिलने वाले लोन की ब्याज दर भी स्थिर रहेगी, जिससे ईएमआई नहीं बढ़ेगी। इससे उन लोगों को फायदा होगा जो होम लोन, कार लोन या अन्य प्रकार के कर्ज चुका रहे हैं।
तीन बार पहले हो चुकी है कटौती
इस साल अब तक आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने तीन बार रेपो रेट में कटौती की है। फरवरी में रेपो रेट को 6.5% से घटाकर 6.25% किया गया था। अप्रैल में फिर 0.25% की कटौती हुई और जून में 0.50% की कटौती की गई। इस प्रकार अब तक कुल 1% की कटौती हो चुकी है। इसके बावजूद अगस्त में कोई कटौती नहीं करना यह दर्शाता है कि वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों में स्थिरता को प्राथमिकता दी जा रही है।
फैसले के पीछे की वजहें
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि समिति के सभी सदस्यों ने रेपो रेट को यथावत रखने के पक्ष में मत दिया। इसके पीछे प्रमुख कारण वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता और टैरिफ संबंधित चुनौतियां हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारत में मानसून संतोषजनक रहा है और त्योहारों का मौसम नजदीक है, जो उपभोक्ता मांग और आर्थिक गतिविधियों में तेजी ला सकता है।
महंगाई और पॉलिसी रेट का संबंध
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। जब महंगाई अधिक होती है तो रेपो रेट बढ़ाकर मनी फ्लो को नियंत्रित किया जाता है ताकि बाजार में मांग घटे और कीमतें नीचे आएं। वहीं जब अर्थव्यवस्था सुस्त होती है तो रेपो रेट में कटौती कर बैंकों को सस्ता कर्ज मुहैया कराया जाता है जिससे ग्राहक भी सस्ती दरों पर लोन ले सकें और बाजार में मांग बढ़े।
मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी का ढांचा
मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी में कुल 6 सदस्य होते हैं। इनमें से 3 सदस्य आरबीआई से होते हैं और बाकी 3 केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। समिति की बैठक हर दो महीने में होती है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए आरबीआई ने कुल 6 बैठकें निर्धारित की हैं, जिनमें पहली अप्रैल में हो चुकी है और दूसरी अगस्त में संपन्न हुई है। रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं होना आम नागरिकों और व्यवसायियों के लिए राहत की खबर है। यह निर्णय देश की मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों, वैश्विक व्यापार की स्थिति और भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। सरकार और आरबीआई की नीतियों के समन्वय से देश की आर्थिक स्थिति को स्थिर और संतुलित बनाए रखने की कोशिश की जा रही है।


