आरबीआई ने रेपो की दरों में की कटौती, सस्ते होंगे लोन, घटेगी ईएमआई की किस्त

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आम आदमी को बड़ी राहत देते हुए ब्याज दरों में कटौती की घोषणा की है। आरबीआई ने रेपो रेट में 0.50% की कमी करते हुए इसे 6.00% से घटाकर 5.50% कर दिया है। यह निर्णय मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की तीन दिवसीय बैठक के बाद लिया गया, जिसकी जानकारी आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार सुबह 10 बजे मीडिया को दी। आरबीआई के इस फैसले का सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ेगा। अब होम लोन, ऑटो लोन और अन्य प्रकार के लोन सस्ते हो सकते हैं। इससे ईएमआई (EMI) की मासिक किस्तें घटेंगी और लोगों को आर्थिक राहत मिलेगी। साथ ही यह कदम बाजार को भी मजबूती देगा और मांग बढ़ाने में मदद करेगा। गौरतलब है कि यह कटौती लगभग पांच वर्षों के अंतराल के बाद की गई है। इस साल फरवरी में हुई पहली बैठक में भी आरबीआई ने ब्याज दर को 6.5% से घटाकर 6.25% किया था। इसके बाद अप्रैल में हुई दूसरी बैठक में 0.25% की और कटौती की गई। अब तीसरी बार रेपो रेट में 0.50% की कमी की गई है। इस प्रकार तीन बैठकों में कुल 1% की कटौती हो चुकी है, जो आर्थिक सुस्ती के संकेतों और महंगाई में नियंत्रण को देखते हुए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।विशेषज्ञों का मानना है कि रेपो रेट में कटौती से रियल एस्टेट क्षेत्र को काफी लाभ होगा। ब्याज दरें कम होने से हाउसिंग लोन की दरें घटेंगी, जिससे लोगों में घर खरीदने की इच्छा बढ़ेगी। इससे रियल एस्टेट सेक्टर को नई ऊर्जा मिलेगी और निवेश में इजाफा हो सकता है। मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी में कुल छह सदस्य होते हैं, जिनमें तीन सदस्य आरबीआई से होते हैं, जबकि शेष तीन सदस्य केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। यह समिति हर दो महीने में बैठक करती है और मौद्रिक नीतियों से जुड़े फैसले लेती है। आरबीआई ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक का वार्षिक कार्यक्रम पहले ही जारी कर दिया है। इस वर्ष कुल छह बैठकें प्रस्तावित हैं। पहली बैठक 7 से 9 अप्रैल के बीच हो चुकी है और यह जून की बैठक दूसरी थी। रेपो रेट में कटौती के बाद बैंकों पर दबाव बढ़ेगा कि वे अपनी ब्याज दरों में कमी करें। अगर बैंक इस कटौती को ग्राहकों तक पहुंचाते हैं, तो इससे बाजार में मांग बढ़ेगी और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ सकती है। खासकर मध्यम वर्ग और गृह खरीददारों को इससे बड़ी राहत मिल सकती है। आरबीआई द्वारा रेपो रेट में की गई यह कटौती न केवल उपभोक्ताओं को राहत देने वाली है, बल्कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी गति मिलने की उम्मीद है। आने वाले दिनों में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं, बशर्ते बैंक इस फैसले को जल्दी अपने ब्याज दरों में परिलक्षित करें। अब देखना यह होगा कि बैंक कब तक इस कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाते हैं।
