September 16, 2025

पटना में सातवीं क्लास की नाबालिक छात्रा के साथ रेप, आरोपी समेत तीन गिरफ्तार

  • स्कूल से आते समय बनाया हवस का शिकार, कहा- गर्भवती हुई तो मैं अबॉर्शन करवा दूंगा, पुलिस ने तुरंत लिया एक्शन

पटना। पटना की एक दर्दनाक घटना ने समाज को झकझोर दिया है। कंकड़बाग इलाके में सातवीं कक्षा की 12 वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आने के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। यह घटना केवल अपराध भर नहीं है बल्कि इंसानियत को शर्मसार करने वाली स्थिति को सामने लाती है। बच्ची की मां और नानी द्वारा बिहार राज्य महिला आयोग में दी गई शिकायत ने पूरे मामले का सच उजागर किया और प्रशासन को भी तुरंत हरकत में ला दिया। मामला 8 सितंबर की सुबह का है। पीड़िता की मां दिव्यांग हैं और वह देख नहीं सकतीं। उस दिन उन्होंने सुबह करीब सात बजे अपनी बेटी को स्कूल छोड़ा था। बच्ची रोज की तरह घर लौटी, लेकिन उसकी ड्रेस खून से सनी हुई थी। यह देखकर उसकी नानी ने उससे सवाल किए, पर डरी-सहमी बच्ची ने उस समय कुछ नहीं बताया। घर का माहौल चिंता और बेचैनी से भर गया लेकिन सच्चाई सामने नहीं आई।
बच्ची का खुलासा
अगले दिन जब बच्ची ने अपनी मां से हिम्मत जुटाकर बात की तो पूरा मामला खुला। पीड़िता ने बताया कि मोहल्ले का ही एक शख्स, 34 वर्षीय नीलमणि, उसे बहला-फुसलाकर एक अनजान स्थान पर ले गया और वहां उसके साथ दुष्कर्म किया। बच्ची ने यह भी बताया कि आरोपी ने उसे होटल में खाने का लालच देकर बुलाया था, इसी बहाने वह उसे अपने साथ ले गया। दुष्कर्म के बाद बच्ची को स्कूल छुट्टी के समय किसी वाहन से वापस भेज दिया गया। घर पहुंचते समय उसकी सलवार खून से लथपथ थी।
आरोपी की धमकी और बहला-फुसलाने की कोशिश
नीलमणि का रवैया और भी अमानवीय था। दुष्कर्म करने के बाद उसने मासूम को यह कहा कि अगर गर्भवती हो जाओ तो मुझे बताना, मैं तुम्हें अबॉर्शन करवा दूंगा। उसने यहां तक कहा कि घरवालों को कुछ मत बताना, कुछ दिन बाद प्रेग्नेंसी टेस्ट कर लेना। इस तरह बच्ची को डर और लालच देकर चुप रहने के लिए मजबूर किया गया। इतने कम उम्र की बच्ची मानसिक और शारीरिक रूप से आहत हो चुकी थी, यही वजह थी कि पहले दिन उसने अपनी नानी को कुछ नहीं बताया।
शिकायत और पुलिस की कार्रवाई
घटना के सामने आने के बाद बच्ची की मां ने बिहार राज्य महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई। मामला गंभीर था, इसलिए तुरंत ही महिला आयोग ने पहल की और परिवार की मदद की। 112 पर कॉल कर पुलिस को सूचना दी गई। इसके बाद दानापुर थाने में मामला दर्ज हुआ और पुलिस ने तेजी दिखाते हुए विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया।
गिरफ्तारी और जांच
पुलिस की इस त्वरित कार्रवाई के बाद तीन युवकों को पावापुरी से गिरफ्तार किया गया। शुरुआती जांच में पाया गया कि इनमें से दो युवक सीधे तौर पर इस अपराध में शामिल थे। तीसरे की भूमिका की भी पड़ताल की जा रही है। पुलिस ने बच्ची का मेडिकल परीक्षण कराने की तैयारी की है ताकि घटना के सभी तथ्य कानूनी तौर पर मजबूत आधार पर साबित किए जा सकें।
परिवार की पीड़ा
इस पूरी घटना में सबसे ज्यादा पीड़ित बच्ची और उसका परिवार है। मां दिव्यांग होने के कारण खुद अपनी बेटी की समस्या को समय पर नहीं समझ पाईं। बच्ची की सुरक्षा और शिक्षा दोनों पर अब गहरा असर पड़ने की संभावना है। वहीं समाज में डर और असुरक्षा का माहौल भी बन गया है क्योंकि यह घटना दिखाती है कि किस तरह एक विश्वासपात्र जैसा दिखने वाला शख्स बच्चों को बहलाकर इस तरह के अपराध कर सकता है।
समाज और प्रशासन की जिम्मेदारी
यह घटना केवल पुलिस केस बनकर समाप्त नहीं होनी चाहिए। यह आवश्यक है कि बच्चियों की सुरक्षा के लिए समाज और प्रशासन दोनों ही मिलकर काम करें। स्कूल आते-जाते समय छोटे बच्चों पर निगरानी रखना, जागरूकता फैलाना और अपराधियों को कठोर सजा दिलाना इस दिशा में जरूरी कदम हैं। महिलाओं और नाबालिगों के खिलाफ अपराधों में तुरंत सुनवाई और कड़ी सजा से ही ऐसे मामलों में कमी आ सकती है। पटना की इस घटना ने फिर से यह साबित कर दिया है कि समाज में नाबालिग लड़कियों की सुरक्षा कितनी बड़ी चुनौती बनी हुई है। एक 12 साल की बच्ची को झेलनी पड़ी यह पीड़ा केवल उसके लिए नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए चिंता का विषय है। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई कर तीन गिरफ्तारियां की हैं और जांच आगे बढ़ रही है। अब देखना होगा कि न्यायालय किस तेजी और सख्ती से इस केस को अंजाम तक पहुंचाता है।

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