राजद-150 कांग्रेस-80,तो फिर कहां जाएंगे उपेंद्र कुशवाहा,जीतन राम मांझी तथा मुकेश सहनी

पटना।(बन बिहारी)आसन्न विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार में महागठबंधन के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर अभी से ही हाई वोल्टेज ड्रामेबाजी आरंभ हो गई है। महागठबंधन के मुख्य दल राजद तथा कांग्रेस के वर्तमान लक्षण ही बता रहे हैं कि इस बार महागठबंधन में छोटे दलों की दाल बहुत ज्यादा गलने नहीं जा रही है। जानकार सूत्रों का मानना है कि राजद बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में कम से कम डेढ़ सौ सीट पर उम्मीदवार खड़ा करेगी।वहीं कांग्रेस भी 80 सीटों पर अपनी दावेदारी मजबूती से रख रही है। ऐसे में बिहार विधानसभा के कुल 243 सीटों में से राजद के 150 तथा कांग्रेस के 80 बाहर निकाल देते हैं।तो मात्र 13 सीटें बचती हैं,ऐसे में इन 13 सीटों पर उपेंद्र कुशवाहा की रालोसापा,जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान आवाम मोर्चा,तथा मुकेश सहनी के विकासशील इंसान पार्टी तीनों को समायोजित करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन दिखाई दे रहा है।महागठबंधन के मुख्य दल राजद तथा कांग्रेस इस बार किसी किस्म का रिस्क उठाने के लिए तैयार नहीं है।बिहार के सिंहासन से लगभग 15 वर्षों से (बीच में दिसंबर 2015 से जून 2017 तक) को छोड़ दिया जाए तो राजद तथा कांग्रेस सत्ता से दूर रही है। राजद के लिए बिहार विधानसभा 2020 उसके अस्तित्व की लड़ाई है।क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में राजद का एक भी उम्मीदवार नहीं जीत सका।इसलिए भी बिहार विधानसभा 2020 राजद के लिए अग्निपरीक्षा के समान है। पिछली दफा 2015 के विधानसभा चुनाव में समीकरण कुछ दूसरे थे।उस समय एक तरफ राजद जदयू तथा कांग्रेस थी।वहीं दूसरी तरफ भाजपा,लोजपा,रालोसापा तथा हम थी। मुकेश साहनी का राजनीतिक वजूद उस समय कोई रूप नहीं ले सका था।2015 के विधानसभा चुनाव में जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा तथा रामविलास पासवान के साथ पूरी मजबूती से लड़ने के बावजूद भाजपा की करारी हार हुई थी।वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा तथा मुकेश सहनी राजद कांग्रेस के साथ थें।मगर राजद एवं कांग्रेस को संभवतः इन पार्टियों से जुड़े मतों का कोई खास लाभ नहीं हासिल हो सका। उल्लेखनीय है की 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की करारी हार हुई थी।सिर्फ किशनगंज में कांग्रेस की उम्मीदवार को जीत हासिल हुई थी।इन तथ्यों को समझते हुए महागठबंधन 2020 के विधानसभा चुनाव के लिए बेहद गंभीरता तैयारी कर रहा है।जानकार सूत्रों का मानना है कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव इस बार उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी तथा मुकेश सहनी को कोई तवज्जो नहीं देने वाले हैं।देखा जाए तो विगत लोकसभा चुनाव के बाद से ही बिहार के नेता प्रतिपक्ष तथा राजद के मुख्यमंत्री पद के दावेदार तेजस्वी यादव महागठबंधन में खुद को शामिल मानने वाली हम,रालोसपा तथा वीआईपी पार्टियों को बिल्कुल भी भाव नहीं दे रहे हैं।कहा जा रहा है की रालोसपा के सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस आलाकमान से बात करने के लिए दिल्ली जा रहे हैं।अब कांग्रेस आलाकमान उनकी कितनी सुनता है,यह तो अलग बात है।बिहार में महागठबंधन के अंदर अब पहले जैसे समीकरण नहीं दिखाई पड़ते हैं।हालांकि विगत 6 माह से महागठबंधन में शामिल रालोसपा,हम तथा वीआईपी के द्वारा प्रेशर पॉलिटिक्स का प्रयास किया जा रहा है।मगर अभी तक इसके भी नतीजे सिफर हैं।अब कल ही कांग्रेस के बड़े नेताओं ने एक बैठक के दौरान बिहार विधानसभा के कुल 243 में से 80 सीटों पर अपना दावा ठोक दिया।राजद कम से कम 150 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। ऐसे में रालोसपा,हम तथा वीआईपी का नया पॉलीटिकल स्टैंड क्या होता है।यह देखने का फिलहाल इंतजार रहेगा।

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