September 16, 2025

सोनिया की विरासत बरकरार रखने को रायबरेली के सांसद बनेंगे राहुल गांधी, छोड़ेंगे वायनाड सीट

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी लोकसभा चुनाव 2024 में केरल के वायनाड और यूपी की रायबरेली सीट से चुनाव जीते हैं। नियम के मुताबिक उन्हें वह एक जगह के सांसद बने रह सकते हैं। चुनाव जीतने के साथ ही इस बारे में जानने के लिए जनता उत्सुक थी कि राहुल कौन सी सीट से सांसद बने रहेंगे। अब इस बारे में फैसला ले लिया गया है। राहुल गांधी वायनाड छोड़ रायबरेली से सांसद बने रहे। इसके लिए प्रदेश नेतृत्व की ओर से केंद्रीय कमेटी को प्रस्ताव भेजा जा रहा है। यूपी कांग्रेस की टीम की तरफ से इस बारे में प्रस्ताव भेजा जाएगा। लोकसभा चुनाव में रायबरेली और वायनाड की सीटों पर भारी जीत दर्ज करने के बाद व राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने अभी तक यह तय नहीं किया है कि दोनों में से कौन सी सीट बरकरार रखेंगे। राहुल गांधी ने रायबरेली की सीट पर बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह को 3,90,030 वोटों के अंतर से हराया। गांधी ने 2019 में अमेठी हारने के बाद राज्य में पार्टी के एकमात्र गढ़ को बचाने के लक्ष्य से इस सीट से चुनाव लड़ा था। कांग्रेस नेता ने वायनाड की सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी की उम्मीदवार एनी राजा को 3,64,422 वोटों से हराया है। यह भी कहा जा रहा है कि प्रियंका दोबारा यूपी प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल सकती हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में हार के बाद उन्होंने इस पद को छोड़ दिया था। राहुल के सीट छोड़ने पर प्रियंका वायनाड से उपचुनाव लड़ सकती हैं। गांधी परिवार इसके जरिए उत्तर के साथ दक्षिण में पकड़ मजबूत रखना चाहता है। राहुल के रायबरेली में बने रहने की सहमति के पीछे मां सोनिया की वह भावुक अपील भी है, जिसमें उन्होंने कहा था, ‘आपको बेटा सौंप रही हूं।’ राहुल ने भी रिजल्ट के दिन पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका संकेत दिया था, उन्होंने यूपी को स्पेशल थैंक्यू बोला था। पार्टी के एक सीनियर लीडर ने बताया कि मां सोनिया, बहन प्रियंका और जीजा रॉबर्ट वाड्रा से बातचीत करके रायबरेली नहीं छोड़ने पर सहमत हो गए हैं। परिवार ने समझाया कि रायबरेली की जीत इस लिहाज से भी बड़ी है कि परिवार ने अमेठी की खोई सीट भी हासिल कर ली। रायबरेली में राहुल को वायनाड से बड़ी जीत मिली। ऐसे में रायबरेली छोड़ेंगे तो UP में गलत मैसेज जाएगा। यहीं नहीं, गांधी परिवार के मुखिया ने हमेशा यूपी से ही राजनीति की। पिता राजीव गांधी अमेठी और परदादा जवाहरलाल नेहरू इलाहाबाद से चुनाव लड़ते रहे हैं। रायबरेली सीट उनकी मां, दादी इंदिरा और दादा फिरोज गांधी की सीट है। सूत्र बताते हैं कि प्रियंका गांधी के खेमे के कुछ लोग पहले की तरह चाहते थे कि राहुल वायनाड में ही रहें और प्रियंका रायबरेली से उपचुनाव लड़ें। दरअसल, नामांकन से ठीक एक दिन पहले ही गांधी परिवार ने फैसला लिया था कि राहुल रायबरेली से लड़ेंगे। यह फैसला आखिरी वक्त में इसलिए हुआ कि प्रियंका और रॉबर्ट दोनों चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन पार्टी के सीनियर नेताओं ने प्रियंका को समझाया कि परिवारवाद के आरोप से कांग्रेस कमजोर होगी। पूरे परिवार को चुनाव में उतरने की बजाय राहुल को ब्रांड बनाना जरूरी है। 17 मई को सोनिया गांधी इस लोकसभा चुनाव की पहली रैली में रायबरेली पहुंची थीं। उन्होंने मंच से कहा- ‘मैं आपको बेटा सौंप रही हूं। जैसे मुझे माना, वैसे ही मानकर रखना। राहुल आपको निराश नहीं करेंगे। राहुल ने 3।90 लाख वोटों से जीत दर्ज की, जबकि 2019 में सोनिया गांधी ने 1।67 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में केरल में कांग्रेस को 20 में से 14 सीटें, तमिलनाडु में 9 और कर्नाटक में 9 सीटें मिलीं। अब राहुल गांधी नॉर्थ इंडिया खासकर हिंदी पट्‌टी को मजबूत करने पर फोकस करना चाहते हैं। यही वजह है कि दूसरी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उन्होंने जो रूट चुना उसमें ज्यादातर समय इसी इलाके को दिया। यूपी के बाद कांग्रेस का राजस्थान में भी अच्छा प्रदर्शन रहा। अब दोनों भाई-बहन यूपी में अपनी एक्टिविटी और बढ़ा सकते हैं। अमेठी में किशोरी लाल के साथ 4 अन्य सीट जीतने पर उनका कॉन्फिडेंस भी काफी बढ़ा है। दोनों की बॉडी लैंग्वेज भी बदल चुकी है। इसके अलावा उन्हें यह भी पता है कि अगर वे यूपी छोड़ देंगे, तो अखिलेश का उन्हें हमेशा सहारा लेना पड़ेगा और कांग्रेस कभी अपने दम पर यूपी में खड़ी नहीं हो पाएगी।

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