कंकड़बाग में सीएम नीतीश के कार्यक्रम में स्थानीय लोगों का विरोध, पुलिस ने जाने से रोका, हुआ हंगामा
पटना। पटना के कंकड़बाग क्षेत्र स्थित बहादुरपुर हाउसिंग कॉलोनी में गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यक्रम के दौरान अप्रत्याशित स्थिति उत्पन्न हो गई। कार्यक्रम में स्थानीय निवासियों ने विरोध प्रदर्शन की कोशिश की, जिसे पुलिस ने समय रहते रोक लिया। विरोध का मुख्य कारण चंद्रशेखर पार्क की जमीन को एक निजी शिक्षण संस्थान को आवंटित किया जाना था, जिसे लोग जनहित के खिलाफ बता रहे हैं।
पार्क की जमीन को लेकर नाराजगी
स्थानीय निवासियों का कहना है कि चंद्रशेखर पार्क वर्षों से उनके लिए मनोरंजन, व्यायाम और सामाजिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। यह जगह बुजुर्गों के टहलने, बच्चों के खेलने और युवाओं के खेल अभ्यास के लिए एकमात्र विकल्प थी। अब इस जमीन को निजी स्कूल को सौंप देने के फैसले से वे बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि यह निर्णय आम जनता की जरूरतों को नजरअंदाज कर लिया गया है।
विरोध प्रदर्शन और पुलिस की रोकथाम
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब बहादुरपुर हाउसिंग कॉलोनी में कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे, तब कई स्थानीय लोग वहां अपना विरोध जताने के उद्देश्य से एकत्र हुए। हालांकि पुलिस ने उन्हें कार्यक्रम स्थल के पास जाने से रोक दिया और भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मुख्यमंत्री का कार्यक्रम शांतिपूर्वक संपन्न हुआ। इसके बाद जैसे ही मुख्यमंत्री कार्यक्रम स्थल से रवाना हुए, लोगों ने अपनी नाराजगी जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह के समक्ष जाहिर की।
जिलाधिकारी की सफाई और कानूनी पहलू
विरोध को देखते हुए जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि चंद्रशेखर पार्क की जमीन को पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद एक निजी शैक्षणिक संस्थान को सौंपा गया है। उन्होंने यह भी बताया कि पहले इसी जमीन को लेकर स्थानीय लोगों ने अदालत में याचिका दाखिल की थी, जिसमें पार्क के निर्माण की मांग की गई थी। लेकिन अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद यह निर्णय लिया कि उक्त भूमि शैक्षणिक उपयोग के लिए दी जा सकती है। इसलिए प्रशासन ने कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए यह कदम उठाया है।
स्थानीय लोगों की मांग और प्रशासन की सलाह
विरोध कर रहे लोगों ने प्रशासन से जमीन के आवंटन को रद्द करने की मांग की और इसे जनविरोधी बताया। उनका कहना है कि सरकार को लोगों की जरूरतों को प्राथमिकता देनी चाहिए, न कि निजी संस्थानों को लाभ पहुंचाना चाहिए। इस पर जिलाधिकारी ने उन्हें सुझाव दिया कि यदि उन्हें अदालत के फैसले से आपत्ति है, तो वे पुनः न्यायालय में याचिका दाखिल कर सकते हैं।
विवाद की व्यापकता और संभावित समाधान
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि शहरीकरण और निजी संस्थानों के विस्तार के बीच आम नागरिकों की सार्वजनिक सुविधाएं कहां खोती जा रही हैं। चंद्रशेखर पार्क केवल एक खाली जमीन नहीं थी, बल्कि स्थानीय लोगों के जीवन का हिस्सा थी। ऐसे में प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यदि उस स्थान को किसी अन्य प्रयोजन के लिए उपयोग किया जा रहा है, तो उसके विकल्प के रूप में लोगों को अन्यत्र समान सुविधाएं प्रदान की जाएं। इस पूरे घटनाक्रम ने प्रशासन और आम जनता के बीच संवाद की आवश्यकता को भी उजागर किया है। पारदर्शी प्रक्रिया, जनसुनवाई और वैकल्पिक व्यवस्था ही ऐसे विवादों को शांतिपूर्वक सुलझाने का रास्ता हो सकता है।


