बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर प्रधानमंत्री ने किया नमन, झारखंड के वीर सपूत को दी श्रद्धांजलि
नई दिल्ली। देश आज महान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मना रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उनके अद्वितीय योगदान को याद किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेशी शासन के अत्याचारों के विरुद्ध बिरसा मुंडा का संघर्ष और बलिदान सदैव देशवासियों को प्रेरणा देता रहेगा। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर अपने संदेश के माध्यम से राष्ट्र को इस विशेष दिवस की शुभकामनाएं भी दीं।
प्रधानमंत्री ने किया श्रद्धांजलि अर्पित
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में बिरसा मुंडा को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन नायकों में से एक बताया, जिनकी वीरता और अदम्य साहस राष्ट्र को नई ऊर्जा प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस के इस पावन अवसर पर पूरा देश धरती आबा बिरसा मुंडा के महान कार्यों और उनके संघर्ष को नमन कर रहा है। मोदी ने याद दिलाया कि उनका आंदोलन सिर्फ स्वतंत्रता का संघर्ष नहीं था, बल्कि आदिवासी समाज की पहचान, उनके अधिकार और स्वाभिमान की रक्षा के लिए भी था।
झारखंड स्थापना दिवस की शुभकामनाएं
15 नवंबर को न सिर्फ बिरसा मुंडा की जयंती है, बल्कि इसी दिन झारखंड राज्य स्थापना दिवस भी मनाया जाता है। प्रधानमंत्री ने झारखंड के सभी निवासियों को स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा कि यह राज्य अपने आदिवासी गौरव, संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाता है। उन्होंने प्रार्थना की कि झारखंड राज्य निरंतर विकास की राह पर आगे बढ़े और समृद्धि हासिल करे। प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में इस भूमि के इतिहास को साहस, संघर्ष और स्वाभिमान से भरा बताया। उनका कहना था कि झारखंड ने अनेक वीरों को जन्म दिया है और बिरसा मुंडा उनमें सबसे अग्रणी स्थान रखते हैं। उन्होंने राज्य के नागरिकों के साथ मिलकर प्रदेश के उज्जवल भविष्य की कामना व्यक्त की।
बिरसा मुंडा का जीवन और योगदान
बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को मुंडा जनजाति में हुआ था। उनका पूरा जीवन ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष और आदिवासी समाज को जागरूक करने में बीता। 19वीं सदी के अंतिम दशक में उन्होंने आधुनिक बिहार और झारखंड के आदिवासी क्षेत्रों में धार्मिक-सामाजिक आंदोलन का नेतृत्व किया, जो आगे चलकर जनजातीय अधिकारों के लिए बड़े व्यापक संघर्ष में बदल गया। उनकी अगुवाई में ब्रिटिश शासन के खिलाफ उलगुलान आंदोलन शुरू हुआ, जिसका उद्देश्य आदिवासियों की जमीन, संस्कृति और परंपराओं को बचाना था। बिरसा मुंडा ने कम उम्र में ही जनजातीय समुदाय में असाधारण चेतना फैलाकर उन्हें एकजुट किया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ संगठित प्रतिरोध खड़ा किया।
जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन
केंद्र सरकार ने वर्ष 2021 से बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाना शुरू किया, ताकि देशभर में आदिवासी नेताओं के योगदान को उचित सम्मान मिल सके। इस वर्ष, जब उनकी 150वीं जयंती है, केंद्र सरकार विशेष कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है। 15 नवंबर को गुजरात के नर्मदा जिले में राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। यह आयोजन न केवल बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि देने का माध्यम है, बल्कि भारत के जनजातीय नायकों की वीरता और संघर्ष की याद दिलाने का भी उद्देश्य रखता है।
झारखंड राज्य का निर्माण और महत्व
झारखंड राज्य का गठन 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग करके किया गया था। यह दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बिरसा मुंडा की जयंती के साथ-साथ जनजातीय संस्कृति और पहचान के सम्मान का प्रतीक बन गया है। झारखंड के अधिकांश आदिवासी समुदाय बिरसा मुंडा को भगवान के रूप में पूजते हैं और उन्हें धरती आबा की उपाधि से सम्मानित करते हैं। इस विशेष अवसर पर पूरे राज्य में सांस्कृतिक कार्यक्रम, श्रद्धांजलि सभाएं और जनजातीय कला व संस्कृति को बढ़ावा देने वाले आयोजन किए जाते हैं। हर साल की तरह इस बार भी पूरे देश में बिरसा मुंडा जयंती पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। बिरसा मुंडा भारतीय इतिहास के उन योद्धाओं में शामिल हैं जिन्होंने अपने अल्पायु जीवन में जनजातीय समाज के अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए असाधारण संघर्ष किया। प्रधानमंत्री द्वारा उनकी 150वीं जयंती पर किया गया नमन न केवल उनके प्रति श्रद्धांजलि है, बल्कि उन मूल्यों की पुनर्स्मृति भी है जिन्हें उन्होंने जीवनभर जिया। यह विशेष दिन आदिवासी समाज की गौरवशाली परंपराओं, उनकी संस्कृति और देश के विकास में उनके योगदान को याद करने का अवसर बनकर हर वर्ष नए संकल्पों के साथ लौटता है।


