नेपाल में प्रधानमंत्री ओली ने दिया इस्तीफा: प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में लगाई आग, पूर्व पीएम को पीटा, जलाया राष्ट्रपति का घर

नई दिल्ली। नेपाल इस समय एक गहरे राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने देश में बढ़ते हिंसक प्रदर्शनों और असामान्य हालात के बीच अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे ने जहां नई राजनीतिक संभावनाओं को जन्म दिया है, वहीं देश में अराजकता और तनाव भी तेजी से बढ़ गया है। संसद भवन से लेकर शीर्ष नेताओं के घरों तक प्रदर्शनकारियों का कब्जा और आगजनी यह संकेत दे रहा है कि नेपाल इस समय अभूतपूर्व हालात से जूझ रहा है।
संसद और प्रमुख इमारतों पर हमला
काठमांडू की सड़कों पर हजारों की संख्या में उतरे प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में आग लगा दी। यही नहीं, सिंह दरबार, जहां मंत्रियों के दफ्तर हैं, और सर्वोच्च न्यायालय जैसी अहम इमारतों पर भी कब्जा कर लिया गया। इन घटनाओं के बाद राजधानी के कई हिस्सों में धुएं का गुबार फैल गया। सुरक्षा बलों ने मंत्रियों को सुरक्षित निकालने के लिए ऑपरेशन चलाया, लेकिन हालात पर काबू पाना बेहद मुश्किल साबित हो रहा है।
नेताओं के घरों पर हमला
हिंसक भीड़ ने केवल सरकारी इमारतों को ही निशाना नहीं बनाया, बल्कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और अन्य वरिष्ठ नेताओं के निजी आवासों को भी आग के हवाले कर दिया। राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल, गृहमंत्री रमेश लेखक और वित्त मंत्री विष्णु पौडेल के घरों पर हमला कर आगजनी और तोड़फोड़ की गई। वित्त मंत्री को तो प्रदर्शनकारियों ने उनके घर के पास दौड़ा-दौड़ाकर पीटा, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया। इसी तरह पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के घरों पर भी भीड़ ने हमला कर दिया।
प्रधानमंत्री ओली का इस्तीफा
लगातार बढ़ते दबाव और हिंसा के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया। अपने त्यागपत्र में उन्होंने लिखा कि देश में असामान्य स्थिति उत्पन्न हो चुकी है और संविधान के अनुच्छेद 77 (1) (ए) के तहत वे पद छोड़ रहे हैं। इस्तीफा देने के तुरंत बाद उन्हें सेना के हेलिकॉप्टर से अज्ञात स्थान पर ले जाया गया। राष्ट्रपति पौडेल ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर आगे की प्रक्रिया पर चर्चा शुरू कर दी है।
गठबंधन सरकार पर संकट
नेपाल की मौजूदा सरकार जुलाई 2024 से नेपाली कांग्रेस और सीपीएन (यूएमएल) के गठबंधन के रूप में चल रही थी। नेपाली कांग्रेस के पास 88 और ओली की पार्टी के पास 79 सीटें थीं। लेकिन हाल की घटनाओं से यह गठबंधन टूटने के कगार पर पहुंच गया है। अभी तक इस्तीफे ज्यादातर कांग्रेस नेताओं ने दिए हैं, जिससे राजनीतिक अस्थिरता और गहरी होती जा रही है।
आंदोलन और युवाओं की भूमिका
काठमांडू के मेयर बालेंदु शाह ने इन प्रदर्शनों को पूरी तरह ‘जनरेशन-ज़ेड’ का आंदोलन बताया। उनका कहना है कि अब नई पीढ़ी को नेतृत्व संभालना चाहिए। शाह ने युवाओं से अपील की कि वे एक नए नेपाल के निर्माण के लिए तैयार रहें। उन्होंने सेना प्रमुख से बातचीत की बात भी कही, लेकिन शर्त रखी कि पहले संसद को भंग किया जाए। इस बयान ने युवाओं के आंदोलन को और बल दे दिया है।
अंतरिम सरकार का प्रस्ताव
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. बाबूराम भट्टाराई ने भी इस संकट से निकलने का एक रास्ता सुझाया है। उन्होंने कहा कि युवाओं की भागीदारी के साथ एक अंतरिम सरकार बनाई जानी चाहिए, जो वर्तमान राजनीतिक अस्थिरता का समाधान निकाल सके। उनका मानना है कि युवाओं की आवाज को दबाने के बजाय उन्हें नेतृत्व में शामिल करना जरूरी है।
बढ़ती हिंसा और जनहानि
इन प्रदर्शनों में अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है और 400 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। हालात इतने बिगड़ गए कि काठमांडू का त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी बंद कर दिया गया। हवाई सुरक्षा खतरे में पड़ने के कारण सभी उड़ानें रोक दी गईं। प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू के हिल्टन होटल तक को नहीं छोड़ा और वहां आगजनी कर दी।
सुरक्षा बलों की कार्रवाई
स्थिति को देखते हुए नेपाल की चारों सुरक्षा एजेंसियों को तैनात कर दिया गया है। नेताओं और मंत्रियों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए सेना और निजी हेलिकॉप्टरों का लगातार इस्तेमाल हो रहा है। हालांकि, उन्हें कहां ले जाया गया है, इसकी जानकारी गुप्त रखी जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि यह उनका कर्तव्य है कि नेताओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, क्योंकि हालात बेहद असामान्य हैं।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने नेपाल की मौजूदा स्थिति पर गहरी चिंता जताई है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि युवाओं की मौत दुखद है और भारत शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़ा है। भारत ने यह भी उम्मीद जताई कि नेपाल के सभी पक्ष संयम बरतेंगे और बातचीत के जरिए समाधान निकालेंगे। भारत-नेपाल सीमा पर सतर्कता बढ़ा दी गई है और कई जगह हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। पश्चिम बंगाल के पनिटांकी बॉर्डर पर विशेष निगरानी रखी जा रही है। नेपाल में रह रहे भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की सलाह दी गई है। नेपाल इस समय एक ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ा है। प्रधानमंत्री का इस्तीफा, संसद और न्यायालय पर हमले, नेताओं के घरों पर आगजनी और युवाओं का गुस्सा यह सब इस ओर इशारा करता है कि देश में राजनीतिक व्यवस्था को पूरी तरह से बदलने की मांग उठ चुकी है। अब यह देखना होगा कि राष्ट्रपति पौडेल और राजनीतिक दल इस संकट से निकलने के लिए क्या कदम उठाते हैं। अंतरिम सरकार का गठन हो या नई संसद का चुनाव, आने वाले समय में नेपाल की राजनीति किस दिशा में जाएगी, यह आने वाले कुछ हफ्तों में तय होगा।
