प्रधानमंत्री ने छठ महापर्व की दी बधाई, कहा- ये लोक आस्था का अनोखा पर्व, सभी व्रतियों को नमन और वंदन
नई दिल्ली। देशभर में आस्था और परंपरा का महापर्व छठ पूजा नहाय-खाय के साथ आरंभ हो चुका है। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड सहित पूरे देश और विदेशों में बसे भारतीय समुदाय इस त्योहार को गहरी श्रद्धा, विश्वास और उत्साह के साथ मनाते हैं। छठ पूजा सूर्य देव और छठी मइया की आराधना का पर्व है, जिसमें प्रकृति, पवित्रता और व्यक्तिगत अनुशासन का अद्भुत समन्वय देखा जाता है। इसी अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं और इस पर्व की महान सांस्कृतिक विरासत को सलाम किया।
नहाय-खाय से शुरुआत
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर संदेश साझा करते हुए कहा कि नहाय-खाय के पवित्र अनुष्ठान के साथ चार दिवसीय महापर्व छठ का शुभारंभ हो रहा है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है बल्कि इसमें परिवार और समाज के सामूहिक सहयोग की भावना शामिल होती है। उन्होंने कहा कि बिहार सहित देश-विदेश में रह रहे सभी श्रद्धालु इस पर्व को अत्यंत श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ मनाते हैं।
सादगी और संयम का पर्व
अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने छठ महापर्व की विशेषताओं को रेखांकित करते हुए कहा कि यह पर्व हमारी संस्कृति में सादगी, संयम और कठोर अनुशासन का प्रतीक है। छठ व्रत करने वाले व्रती कई दिनों तक पवित्र नियमों का पालन करते हुए उपवास रखते हैं। इस व्रत में किसी दिखावे, भोग या आडंबर की जगह सरलता और प्राकृतिक तत्वों का उपयोग मुख्य होता है। यही इस पर्व की सबसे बड़ी विशेषता और इसकी आस्था की गहराई को दर्शाने वाली पहचान है।
पारिवारिक और सामाजिक सद्भाव का संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि छठ पूजा के अवसर पर घाटों पर जो दृश्य दिखाई देता है, वह केवल धार्मिक भावना का ही नहीं बल्कि सामाजिक एकता और सामूहिकता का भी प्रतीक है। परिवार के सभी सदस्य मिलकर व्रतियों की सेवा और सहयोग में स्वयं को समर्पित कर देते हैं। नदी, तालाब और पोखरों के किनारे सजने वाले घाट सामूहिक विश्वास और सौहार्द का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करते हैं। यह पर्व समाज को जोड़ने और आपसी प्रेम बढ़ाने का कार्य करता है।
प्रकृति और सूर्य उपासना का अनूठा संगम
छठ पूजा का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसमें सूर्य देव के अस्त और उदय दोनों समय अर्घ्य दिया जाता है। यह प्रकृति के प्रति सम्मान, आभार और विश्वास का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में बताया कि प्रसाद में प्रयुक्त होने वाले ठेकुआ, फल और अन्य सामग्री भी प्रकृति के उपहारों का ही प्रतीक होती है। इस प्रकार छठ पर्व में मानव जीवन, प्रकृति और अध्यात्म तीनों का अद्भुत संगम दिखाई देता है।
छठ गीतों की सांस्कृतिक पहचान
प्रधानमंत्री ने बेगूसराय की अपनी यात्रा का उल्लेख करते हुए बताया कि छठ गीतों ने इस पर्व को विशेष रूप से भावनात्मक और सांस्कृतिक ऊंचाई प्रदान की है। बिहार की सुप्रसिद्ध लोकगायिका शारदा सिन्हा और अन्य लोक कलाकारों ने अपनी गायकी से इस पर्व को विश्व पटल पर पहचान दिलाई है। छठ के गीत घर-घर में गूंजते हैं और पर्व के वातावरण को और अधिक पवित्र और भक्ति-मय बना देते हैं।
वैश्विक पहचान
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज छठ पूजा केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। दुनिया के कई देशों में बसे भारतीय समुदाय इस महापर्व को पूरी परंपरा और आत्मीयता के साथ मनाते हैं। यह पर्व भारत की सांस्कृतिक विरासत और भावनात्मक एकता का संदेश विश्व स्तर पर प्रसारित करता है। भारतीय संस्कृति की यह विशेषता है कि वह जहां जाती है, वहां प्रेम, अपनापन और आस्था की रोशनी फैलाती है। प्रधानमंत्री के संदेश से स्पष्ट है कि छठ महापर्व केवल धार्मिक आस्था नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति की गहरी नैतिक और सामाजिक जड़ों का प्रतीक है। यह पर्व हमें सादगी, अनुशासन, प्रकृति सम्मान और सामाजिक एकता का संदेश देता है। छठी मइया और सूर्य देवता की उपासना के माध्यम से श्रद्धालु अपने जीवन में संतुलन, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अंत में यही प्रार्थना की कि छठी मइया सब पर अपनी कृपा और आशीर्वाद बनाए रखें और देश तथा समाज में प्रेम, सद्भाव और विकास का प्रकाश फैलाए।


