बिहार में सुधा दूध के दाम बढ़े, दो से तीन रुपए की बढ़ोतरी, नई दरें कल से लागू

पटना। बिहार में दूध उपभोक्ताओं को एक बार फिर से जेब ढीली करनी होगी, क्योंकि राज्य के प्रमुख दुग्ध उत्पादक संगठन सुधा ने दूध के दामों में वृद्धि का ऐलान कर दिया है। यह बढ़ोतरी 22 मई से प्रभावी होगी, जिससे रोजमर्रा की जरूरतों में शामिल दूध का बजट अब लोगों को थोड़ा और भारी महसूस होगा।
नई दरों की घोषणा
बिहार स्टेट मिल्क को-ऑपरेटिव फेडरेशन ने सुधा दूध के विभिन्न प्रकारों की कीमतों में 2 से 3 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है। सुधा फुल क्रीम दूध जिसे ‘सुधा गोल्ड’ के नाम से जाना जाता है, उसकी कीमत पहले 62 रुपये प्रति लीटर थी, जो अब बढ़कर 65 रुपये हो गई है। वहीं ‘सुधा शक्ति’ दूध की दरें 55 रुपये से बढ़ाकर 57 रुपये कर दी गई हैं। गाय के दूध की कीमत अब 52 रुपये से बढ़कर 54 रुपये हो गई है। इस तरह सभी प्रमुख श्रेणियों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिससे आम घरों के बजट पर असर पड़ेगा।
झारखंड में भी बढ़े दाम
कॉम्फेड ने यह स्पष्ट किया है कि बिहार के साथ-साथ झारखंड में भी सुधा दूध के दाम बढ़ाए गए हैं। हालांकि दोनों राज्यों के लिए अलग-अलग आदेश जारी किए गए हैं, लेकिन दरों में वृद्धि की सीमा लगभग एक जैसी ही है। इससे दोनों राज्यों के लाखों उपभोक्ताओं पर महंगाई का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
अन्य उत्पादों की कीमतें यथावत
गौरतलब है कि इस बार केवल दूध की कीमतों में ही बढ़ोतरी की गई है। सुधा द्वारा उत्पादित अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे घी, दही, पेड़ा, लस्सी आदि की कीमतों में अभी कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसका सीधा मतलब है कि फिलहाल इन उत्पादों को उपभोक्ता पुराने दामों पर ही खरीद सकेंगे। हालांकि आने वाले समय में इन उत्पादों के दामों में भी बढ़ोतरी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
कीमत बढ़ाने के पीछे संभावित कारण
हालांकि कॉम्फेड की ओर से दूध की कीमतें बढ़ाने का कारण स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है, लेकिन सामान्य तौर पर ऐसी बढ़ोतरी के पीछे पशु आहार की लागत में वृद्धि, परिवहन खर्च, बिजली और प्रशीतन लागत तथा किसानों को उचित भुगतान की आवश्यकता जैसे कारण होते हैं। इन तमाम कारकों का सीधा असर दूध उत्पादन की लागत पर पड़ता है, जिसके चलते कंपनियां कीमत बढ़ाने को मजबूर होती हैं।
अमूल ने भी दूध की कीमतों में किया था इजाफा
सुधा से पहले देश की अन्य प्रमुख डेयरी ब्रांड अमूल ने भी इसी वर्ष दूध की कीमतों में इजाफा किया था। अमूल द्वारा 2 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की गई थी, जिससे उनके स्टैंडर्ड दूध, गोल्ड, गाय के दूध, भैंस के दूध, स्लिम एंड ट्रिम और टी-स्पेशल जैसे सभी प्रकार प्रभावित हुए थे। इससे यह स्पष्ट होता है कि दूध की कीमतों में वृद्धि केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है।
उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया
दूध जैसी अनिवार्य वस्तु की कीमत में वृद्धि का सीधा प्रभाव आम जनता पर पड़ता है। खासकर मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए यह महंगाई एक और बोझ बनकर सामने आती है। बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए आवश्यक दूध की मात्रा में कटौती करना मुश्किल होता है, इसलिए लोग मजबूरन बढ़ी कीमतों पर ही दूध खरीदते हैं। सुधा दूध की कीमतों में इस हालिया बढ़ोतरी ने उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ा दी है। एक तरफ सरकार महंगाई पर काबू पाने के दावे कर रही है, वहीं दूसरी ओर रोजमर्रा की जरूरतों की चीजों के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। आने वाले समय में यह देखना होगा कि सरकार और संबंधित संस्थाएं इस दिशा में कोई राहत देने के उपाय करती हैं या नहीं। लेकिन फिलहाल के लिए आम जनता को बढ़ी हुई दरों पर दूध खरीदना ही पड़ेगा।
