November 13, 2025

बिहार में विधानसभा की तैयारी, तीन चरणों में हो सकता है चुनाव, त्योहारों को ध्यान में रखकर वोटिंग डेट का होगा ऐलान

पटना। बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, और चुनाव आयोग ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस बार भी चुनाव तीन चरणों में कराए जा सकते हैं। पिछली बार यानी 2020 में भी तीन ही चरणों में वोटिंग हुई थी। इस बार त्योहारों के कारण चुनाव कार्यक्रम तय करने में सावधानी बरती जा रही है।
त्योहारों को ध्यान में रखकर तय होगी तारीख
बिहार की सांस्कृतिक और धार्मिक संरचना को देखते हुए चुनाव आयोग दिवाली और छठ जैसे प्रमुख त्योहारों को ध्यान में रखकर तारीखों का निर्धारण करेगा। छठ पूजा बिहार के लोगों की गहरी आस्था से जुड़ा पर्व है और यह नवंबर की शुरुआत में मनाया जाता है। ऐसे में यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि चुनाव प्रक्रिया इन त्योहारों के आसपास न हो, जिससे आम लोगों को असुविधा न हो और प्रशासन भी त्योहारों की तैयारियों को अच्छे से संभाल सके।
सितंबर-अक्टूबर में हो सकता है चुनावी ऐलान
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मौजूदा कार्यकाल 22 नवंबर 2025 तक है, ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि सितंबर के आखिरी हफ्ते में आचार संहिता लागू हो सकती है। इसके बाद अक्टूबर में तीन चरणों में चुनाव कराए जाने की संभावना है। चुनाव आयोग की टीम इसी महीने बिहार का दौरा करने वाली है, ताकि जमीन पर चुनावी तैयारियों की समीक्षा की जा सके।
2020 की तर्ज पर हो सकती है वोटिंग
2020 में तीन चरणों में हुए चुनाव में पहले चरण में 71 सीटों पर, दूसरे में 94 और तीसरे चरण में 78 सीटों पर वोटिंग हुई थी। कुल मिलाकर 243 सीटों पर मतदान हुआ था। इसी तरह का मॉडल इस बार भी अपनाया जा सकता है। माना जा रहा है कि नतीजे नवंबर के पहले सप्ताह में घोषित किए जा सकते हैं, जिससे नई सरकार गठन की प्रक्रिया समय पर पूरी हो सके।
एनडीए ने साफ किया नेतृत्व का चेहरा
एनडीए गठबंधन की ओर से पहले ही स्पष्ट कर दिया गया है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ेगा। यह बयान एनडीए में एकजुटता का संदेश देता है और नीतीश कुमार की स्वीकार्यता को भी दोहराता है। लोकसभा चुनाव में सफलता के बाद एनडीए का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है।
महागठबंधन में असमंजस की स्थिति
वहीं दूसरी ओर विपक्षी महागठबंधन में अब तक मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर स्पष्टता नहीं है। भले ही यह चर्चा में है कि तेजस्वी यादव महागठबंधन का चेहरा हो सकते हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने इस पर कई बार आपत्ति जताई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि महागठबंधन के अंदर एकता की कमी है और चुनाव से पहले सहमति बनाना चुनौतीपूर्ण होगा।
नए राजनीतिक समीकरणों की संभावना
इस बार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी भी मैदान में उतर रही है, जिससे राज्य में नए राजनीतिक समीकरण बन सकते हैं। उनकी पार्टी जन सुराज अभियान पिछले कुछ वर्षों से ज़मीनी स्तर पर सक्रिय रही है और इसका असर कुछ क्षेत्रों में देखने को मिल सकता है।
नतीजों पर होगी सबकी नजर
चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद पूरे राज्य में राजनीतिक हलचल तेज हो जाएगी। एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर के बीच नए दल भी चुनावी गणित को प्रभावित कर सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किसे सत्ता की चाबी सौंपती है। त्योहारों और चुनाव का यह मेल बिहार की राजनीति को एक नई दिशा देने वाला हो सकता है।

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