January 1, 2026

बंपर वोटिंग पर प्रशांत किशोर का बड़ा दावा, कहा- बदलाव चाहती है जनता, प्रवासी बनेंगे एक्स फैक्टर

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के मतदान के बाद राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। बंपर वोटिंग के आंकड़ों ने सभी दलों का ध्यान खींचा है। इस बीच जन सुराज अभियान के प्रमुख प्रशांत किशोर (पीके) ने दावा किया है कि इस बार की उच्च मतदान दर परिवर्तन का संकेत है। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता अब पुराने राजनीतिक समीकरणों से निकलकर एक नए विकल्प की तलाश में है, और जन सुराज आंदोलन ने उन्हें यह रास्ता दिखाया है।
रिकॉर्ड वोटिंग को बताया बदलाव का संकेत
गया में मीडिया से बातचीत के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि इस बार बिहार में जिस तरह की वोटिंग हुई है, वह ऐतिहासिक है। उन्होंने कहा, “आजादी के बाद पहली बार बिहार में इतना ज्यादा मतदान देखने को मिला है। यह कोई सामान्य बात नहीं है, यह बदलाव की आहट है। जनता अब ठोस विकल्प चाहती है और इस बार उसने उसी दिशा में कदम बढ़ाया है।” पीके के अनुसार, पिछले तीन दशकों से बिहार की राजनीति दो ही ध्रुवों — एनडीए और महागठबंधन — के बीच घूमती रही, लेकिन इस बार जनता ने तीसरे विकल्प के रूप में जन सुराज को देखा है। उन्होंने कहा कि “60 प्रतिशत से ज्यादा जनता बदलाव चाहती है और यह बदलाव अब रुकने वाला नहीं है।”
प्रवासी मजदूर बने चुनाव के एक्स फैक्टर
प्रशांत किशोर ने इस चुनाव में प्रवासी मजदूरों की भूमिका को निर्णायक बताया। उन्होंने कहा, “छठ पर्व के बाद बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने गांवों में रुके हुए थे। उन्होंने न केवल खुद मतदान किया बल्कि अपने परिवार और समुदाय को भी वोट डालने के लिए प्रेरित किया।”पीके ने कहा कि इस बार के मतदान में महिलाओं के साथ-साथ प्रवासी मजदूरों की भागीदारी उल्लेखनीय रही है। “यह वही वर्ग है जो राज्य की आर्थिक रीढ़ है और अब वही राजनीति की दिशा तय कर रहा है। जो लोग पहले चुनाव को सिर्फ रस्म समझते थे, अब वह अपने वोट की ताकत को पहचान चुके हैं।”उन्होंने कहा कि बिहार के इतिहास में यह पहली बार है जब जनता ने इतनी बड़ी संख्या में मतदान कर यह जताया है कि वह ‘डर की राजनीति’ को नकारने के लिए तैयार है।
“जनता अब नीतीश-लालू की मजबूरी से आगे बढ़ चुकी है”
राजनीतिक हमले करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार की जनता अब पुरानी दोधारी राजनीति से ऊब चुकी है। उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार के डर से लालू यादव को और लालू के डर से नीतीश कुमार को वोट देने की मजबूरी अब खत्म हो गई है। जनता अब ऐसे विकल्प की ओर देख रही है जो सिर्फ सत्ता की राजनीति नहीं, बल्कि समाज की भलाई की बात करे।” पीके ने कहा कि एनडीए और राजद-कांग्रेस दोनों गठबंधन बिहार को वैकल्पिक राजनीति देने में असफल रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों गठबंधनों की राजनीति “डर, जातीय समीकरण और सत्ता की खींचतान” तक सीमित रही, जबकि जनता को विकास, शिक्षा और रोजगार की जरूरत है।
एनडीए और राजद पर साधा निशाना
प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय नेतृत्व पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “सम्राट चौधरी कहते हैं कि हमारी पार्टी का चेहरा साफ है, लेकिन बिहार में आज भी असुरक्षा का माहौल है। पहले जनता डरती थी, अब खुद नेता और मंत्री भी डर में जी रहे हैं।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए, जिसमें उन्होंने कहा था कि “राजद और कांग्रेस एक-दूसरे का बाल नोचेंगे,” पीके ने कहा, “बाल नोचेंगे या सिर नोचेंगे, यह उनका काम है। लेकिन बिहार की जनता ने दिखा दिया है कि अब वह इन सब से ऊपर उठ चुकी है। अब जनता को असली विकल्प मिल गया है।”
जनसुराज को बताया बिहार की नई राजनीतिक ताकत
जनसुराज आंदोलन के संस्थापक प्रशांत किशोर ने कहा कि यह चुनाव बिहार की राजनीति में निर्णायक मोड़ साबित होगा। उन्होंने कहा, “14 नवंबर को बिहार का इतिहास लिखा जाएगा। यह चुनाव सिर्फ सत्ता तय नहीं करेगा, बल्कि यह भी तय करेगा कि विपक्ष में कौन रहेगा और कौन जनता की आवाज बनेगा।” उन्होंने आगे कहा कि जन सुराज का मकसद केवल चुनाव जीतना नहीं है, बल्कि जनता की भागीदारी से शासन की नई व्यवस्था तैयार करना है। “हमारे लिए यह चुनाव नहीं, बिहार के भविष्य की दिशा तय करने की प्रक्रिया है। जनता का यह भरोसा हमारी सबसे बड़ी पूंजी है।”
युवाओं और महिलाओं की भूमिका को बताया अहम
पीके ने कहा कि इस बार युवा और महिलाएं भी मतदान के केंद्र में रहे। उन्होंने कहा, “युवा बेरोजगारी से त्रस्त हैं, और महिलाएं अपने परिवारों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। यही वर्ग अब परिवर्तन का इंजन बन रहा है।” उन्होंने कहा कि जन सुराज की सफलता यही है कि उसने इन वर्गों को राजनीति से जोड़ा है। “अब जनता सिर्फ नाराज नहीं, सक्रिय भी है — यही बिहार में सबसे बड़ा परिवर्तन है।” बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण की बंपर वोटिंग ने राज्य की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। प्रशांत किशोर का दावा है कि यह उच्च मतदान दर बदलाव का संकेत है, जहां जनता अब पुराने समीकरणों से निकलकर एक नए रास्ते पर चलने को तैयार है। प्रवासी मजदूरों की भूमिका, युवाओं की सक्रियता और महिलाओं की भागीदारी इस चुनाव को अलग बनाती है। अब देखना यह है कि जन सुराज का यह आत्मविश्वास मतगणना के नतीजों में कितना झलकता है। लेकिन एक बात साफ है — बिहार की राजनीति में जनता ने अपनी आवाज बुलंद कर दी है और वह अब केवल तमाशबीन नहीं, बल्कि परिवर्तन की प्रेरक बन चुकी है।

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