प्रशांत किशोर ने कार्यकर्ताओं से मांगा आर्थिक सहयोग, कहा- पार्टी चलाने के लिए एक-एक हजार दे, अभी लड़ना है
- पीके बोले- मैंने अपना घर छोड़कर सारी संपत्ति की दान, 15 जनवरी से फिर शुरू होगा अभियान
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में जन सुराज के अपेक्षा से कहीं कम प्रदर्शन के बाद प्रशांत किशोर ने पहली बार खुलकर अपनी बात सामने रखी है। चुनावी हार के बाद पार्टी के भविष्य, संगठन के संचालन और सरकार पर गंभीर आरोपों को लेकर उन्होंने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कार्यकर्ताओं से आर्थिक सहयोग की अपील की और जन सुराज को मजबूती से आगे बढ़ाने का संकल्प व्यक्त किया।
सरकार पर पैसे देकर वोट खरीदने का आरोप
प्रशांत किशोर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बिहार में चुनाव निष्पक्ष नहीं हुए। उनके अनुसार, एनडीए सरकार ने प्रशासनिक अधिकारियों की मदद से 10-10 हजार रुपये देकर वोट खरीदे हैं। पीके ने दावा किया कि सैकड़ों लोगों ने उनसे बात कर स्वीकार किया कि उन्हें वोट के बदले रुपये मिले। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि छह महीने के भीतर महिलाओं के खातों में 2-2 लाख रुपये नहीं पहुंचे, तो वे एक-एक मंत्री और अधिकारी का घेराव करेंगे। उनका कहना था कि चुनाव प्रक्रिया में धनबल का प्रयोग लोकतंत्र के लिए घातक है और बिहार की राजनीतिक संस्कृति को गलत दिशा में ले जा रहा है।
जन सुराज अभियान के लिए आर्थिक मदद की अपील
कार्यकर्ताओं और समर्थकों से आर्थिक सहयोग मांगते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि पार्टी चलाने के लिए आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हर कार्यकर्ता और समर्थक साल में कम से कम एक हजार रुपये दें। यदि कोई चाहे तो इससे अधिक भी दे सकता है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जो लोग आर्थिक रूप से पार्टी का साथ नहीं देंगे, वे उनसे मिलने की उम्मीद भी न रखें। पीके ने कहा कि अगले पांच वर्षों में वे जो भी कमाई करेंगे, उसका 90% हिस्सा जन सुराज के अभियान पर खर्च किया जाएगा। उन्होंने घोषणा की कि 20 साल में बनाई गई अपनी अधिकांश संपत्ति वह जन सुराज को दान कर रहे हैं। दिल्ली में स्थित अपना घर वे निजी उपयोग में रखेंगे, लेकिन बाकी सब पार्टी हित में अर्पित करेंगे।
15 जनवरी से नए अभियान की शुरुआत
प्रशांत किशोर ने बताया कि वे 15 जनवरी से ‘बिहार नवनिर्माण संकल्प अभियान’ के तहत पूरे प्रदेश का दौरा करेंगे। उनका लक्ष्य बिहार के सभी 1 लाख 18 हजार वार्ड, लगभग 550 प्रखंड और गांवों तक पहुंचना होगा। इस अभियान के दौरान वे लोगों से संवाद करेंगे, सरकार से किए गए वादों की याद दिलाएंगे और जन समस्याओं को उठाएंगे। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम डेढ़ साल तक चलेगा और जन सुराज का संगठन बूथ, गांव और पंचायत स्तर तक मजबूत किया जाएगा।
हार की जिम्मेदारी स्वीकार, जनता से मांगी माफी
चुनाव परिणाम आने के बाद प्रशांत किशोर ने पश्चिम चंपारण के भितिहरवा स्थित गांधी आश्रम में 24 घंटे का मौन व्रत रखा। जन सुराज के अनुसार, यह विरोध प्रदर्शन नहीं था, बल्कि आत्ममंथन का तरीका था। मौन के दौरान पीके पूरी रात वहीं बैठे रहे और धूप-बुझते बीच स्वयं को जनता के संदेश को समझने में लगाया। उन्होंने कहा कि जन सुराज ने 243 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सका। लगभग 98% उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई, जिसका पूरा दायित्व वे स्वयं लेते हैं। पीके ने जनता से माफी मांगते हुए कहा कि वे आने वाले समय में और अधिक मेहनत करेंगे और संगठन को मजबूत बनाएंगे।
नीतीश मंत्रिमंडल पर भी साधा निशाना
नवगठित नीतीश मंत्रिमंडल को लेकर भी प्रशांत किशोर ने तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि कई मंत्री आपराधिक छवि वाले हैं और कुछ तो पढ़े-लिखे भी नहीं हैं। उनके अनुसार, कई लोग सिर्फ इसलिए मंत्री बने क्योंकि उनके पिता पहले मंत्री रह चुके थे। उन्होंने कहा कि ऐसा मंत्रिमंडल बिहार के घाव पर नमक छिड़कने जैसा है और यह राज्य को तरक्की की दिशा में नहीं ले जा सकता। प्रशांत किशोर की ताज़ा प्रेस कॉन्फ्रेंस ने बिहार की राजनीति में नई चर्चा छेड़ दी है। चुनावी हार के बाद जहां अधिकतर नेता मौन हो जाते हैं, वहीं पीके ने खुलकर अपनी गलतियों को स्वीकार किया, कार्यकर्ताओं से सहयोग मांगने की अपील की और जन सुराज को आगे ले जाने की नई रणनीति पेश की। अब बिहार की राजनीति में यह देखना दिलचस्प होगा कि उनके दावे और अभियान कितना असर छोड़ते हैं और क्या जन सुराज खुद को फिर से खड़ा कर पाता है।


