मेजर ध्यानचंद खेल रतन पुरस्कार पाने वाले बिहार के पहले खिलाड़ी बने प्रमोद भगत, पुरस्कार लेने के बाद कहीं अनोखी बात

बिहार। पैराओलंपिक में भारत के लिए उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले हाजीपुर के प्रमोद भगत को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा ध्यानचंद खेल रत्न से सम्मानित किया गया। बीते दिनों राष्ट्रपति भवन में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में टोक्यो पैरालंपिक में भारत के लिए किए गए प्रदर्शन के आधार पर प्रमोद को यह पुरस्कार प्रदान किया गया है। पुरस्कार मिलने के बाद जहां एक और बिहार के साथ-साथ हाजीपुर का भी नाम रोशन हो रहा है वही इस खुशी के बाद प्रमोद ने बिहार के लोक आस्था के बारे में एक बेहद ही अनूठी बात कही है।

टोक्यो पैरालिंपिक में स्वर्ण पदक विजेता हाजीपुर के प्रमोद भगत मानते हैं कि उनकी कामयाबी में मेहनत के साथ छठ महापर्व का भी बड़ा योगदान है। शनिवार को नई दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के हाथों ध्यानचंद खेल रत्न से सम्मानित प्रमोद ने कहा कि मेरी माँ सलामती के लिए छठ किया। तब से लेकर अब तक वह मेरी कामयाबी के लिए महापर्व कर रही है। यह साल मेरे लिए खास है। हालांकि प्रमोद को इस बात का दुख है कि इस साल वह खेलों में व्यस्त होने के कारण अपने गांव हाजीपुर में छठ महापर्व के दौरान शामिल नहीं हो सके थे।

बता दें कि ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद प्रमोद भगत का नाम बिहार के साथ-साथ पूरे देश में प्रसिद्ध हुआ। इनाम के तौर पर प्रमोद को अब तक विभिन्न राज्य सरकारों के द्वारा 10 करोड़ 25 लाख रुपए दिए जा चुके हैं। लेकिन उन्होंने इस खेल रत्न सम्मान को अपने जीवन का सबसे बड़ा पुरस्कार बताया है। इससे पहले साल 2019 में प्रमोद को अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।

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