जातीय गणना के आकड़ों को लेकर चल रहे सियासी घमासान के बीच नीतीश सरकार का दो टूक, कहा- जातीय सर्वे रिपोर्ट की समीक्षा की जरूरत नहीं

पटना। जातीय गणना सर्वे रिपोर्ट को लेकर नीतीश सरकार ने साफ कर दिया है कि जातीय गणना की रिपोर्ट की कोई समीक्षा नहीं होगी। बता दे की बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण यानी जातीय गणना की रिपोर्ट से जाति, समुदाय और धर्म की संख्या और आबादी में शेयर की संख्या जारी होने के बाद से विपक्षी दल के साथ-साथ राजद व JDU के कुछ नेता आंकड़ों पर सवाल उठा रहे हैं। वही अधिकतर नेता किसी ना किसी जाति की संख्या कम दिखाने का आरोप लगा रहे हैं। भाजपा के रविशंकर प्रसाद व RLJD के उपेंद्र कुशवाहा ने तो यहां तक कह दिया था कि सर्वेक्षण के दौरान उनसे कोई पूछने नहीं आया। जातीय गणना की गड़बड़ी दूर करने की विपक्षी दलों की मांग के बीच बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने कहा कि जाति सर्वेक्षण डेटा की समीक्षा की कोई जरूरत सरकार महसूस नहीं करती है। सुबहानी ने आगे कहा की सरकार जाति सर्वेक्षण डेटा की किसी भी तरह की समीक्षा की जरूरत महसूस नहीं करती है। अपनी तरह का यह पहला सर्वे वैज्ञानिक तरीकों से किया गया है। बता दे की जातीय गणना सर्वे रिपोर्ट आने के बाद से ही राजधानी में पटना में हर रोज किसी न किसी जाति के लोग धरना दे रहे हैं। रालोजद प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने 11 अक्टूबर को पूरे बिहार में हर जिले में धरना और 14 अक्टूबर को पटना में राजभवन मार्च करने का ऐलान किया है। JDU सांसद सुनील पिंटू ने तेली समाज की संख्या आधी दिखाने का आरोप लगाया है तो राजद के MLC रामबली सिंह चंद्रवंशी भी जातीय गणना के आंकड़ों में घालमेल का आरोप लगा रहे हैं।

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