पटना में रिश्वत लेते एएसआई समेत तीन पुलिसकर्मी गिरफ्तार, वायरल वीडियो के आधार पर कार्रवाई, जांच जारी

पटना। राजधानी पटना से एक बार फिर पुलिस की छवि को धक्का पहुंचाने वाला मामला सामने आया है। जिस विभाग पर जनता की सुरक्षा का जिम्मा होता है, उसी के कुछ कर्मचारी जब रिश्वतखोरी में लिप्त पाए जाएं तो जनता का भरोसा टूटना लाजमी है। यह मामला पटना के धनकी मोड़ इलाके से जुड़ा है, जहां एक एएसआई और दो सिपाही वाहनों से जबरन वसूली करते हुए रंगे हाथ पकड़े गए।
वायरल वीडियो ने खोली पोल
यह मामला तब सामने आया जब एक जागरूक नागरिक ने इन पुलिसकर्मियों की अवैध वसूली का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। वीडियो में साफ देखा गया कि तीनों पुलिसकर्मी वर्दी में हैं और खुलेआम सड़क पर वाहनों को रोककर उनसे पैसे ले रहे हैं। वीडियो के वायरल होते ही हड़कंप मच गया और मामला पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंच गया।
एसएसपी ने की तत्काल कार्रवाई
वीडियो के आधार पर पटना के एसएसपी ने खुद इस पूरे मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच के आदेश दिए। जांच में यह साबित हो गया कि यह कोई एक-दो दिन की घटना नहीं थी, बल्कि पुलिसकर्मी लंबे समय से इस अवैध वसूली में लिप्त थे। मामले की पुष्टि होते ही एसएसपी ने तीनों पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से गिरफ्तार करने के आदेश दिए और उनके खिलाफ सख्त विभागीय और कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई।
पूछताछ में हो सकते हैं बड़े खुलासे
फिलहाल तीनों आरोपी पुलिसकर्मियों से पूछताछ की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि इनसे कई चौंकाने वाली जानकारियां मिल सकती हैं। यह पता लगाया जा रहा है कि क्या इनकी गतिविधियों में और भी कोई अधिकारी या कर्मचारी शामिल था। साथ ही, यह भी जांच का विषय है कि इन्होंने अब तक कितनी बार और कितनी राशि वसूली है।
जनता में नाराजगी, पुलिस की साख पर सवाल
इस घटना ने पटना पुलिस की छवि को गहरा नुकसान पहुंचाया है। एक ओर जहां बिहार सरकार और पुलिस प्रशासन कानून व्यवस्था को लेकर सख्ती के दावे करते नहीं थकते, वहीं दूसरी ओर उनके अपने कर्मचारी ही भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाएं तो सवाल उठना स्वाभाविक है। आम लोगों का कहना है कि अगर पुलिस ही अवैध वसूली करेगी तो न्याय की उम्मीद किससे की जाए।
भविष्य में रोकथाम के उपाय
इस मामले के सामने आने के बाद यह ज़रूरी हो गया है कि पुलिस विभाग अपनी आंतरिक निगरानी व्यवस्था को और मजबूत करे। विभागीय निरीक्षण को नियमित किया जाए और ऐसे इलाकों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं जहां अक्सर ट्रैफिक जांच होती है। इसके अलावा, आम नागरिकों को भी ऐसे मामलों की जानकारी देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सके।
भरोसे को फिर से बनाना चुनौती
यह घटना एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि भ्रष्टाचार केवल राजनीतिक गलियारों में ही नहीं बल्कि कानून व्यवस्था की नींव माने जाने वाले तंत्र में भी गहराई से फैला हुआ है। ऐसे में पुलिस प्रशासन के लिए यह एक चेतावनी है कि वह न केवल दोषियों को सजा दे, बल्कि ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए ठोस व्यवस्था भी करे। जनता का खोया हुआ भरोसा दोबारा पाना अब पुलिस के सामने एक बड़ी चुनौती बन गया है।
