बिहार पुलिस सोशल मीडिया पर करेगी कड़ी निगरानी, भड़काऊ पोस्ट पर रहेगी नजर, आपत्तिजनक कंटेंट पर होगी कार्रवाई
पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद राजनीतिक माहौल बदल रहा है, लेकिन सोशल मीडिया पर गतिविधियाँ अब भी तेज़ी से जारी हैं। मतदान से लेकर मतगणना और सरकार गठन तक, सोशल मीडिया लोगों की राजनीतिक भावनाओं का प्रमुख माध्यम बना रहा। अब चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद कई जगहों पर माहौल बिगड़ने की आशंका देखते हुए बिहार पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कड़ी निगरानी का फैसला किया है।
पुलिस मुख्यालय ने जिलों को जारी किए सख्त निर्देश
पुलिस मुख्यालय ने भागलपुर सहित सभी जिलों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि किसी भी प्रकार की भड़काऊ, आपत्तिजनक या माहौल बिगाड़ने वाली पोस्ट पर तुरंत कार्रवाई की जाए। विभाग के अनुसार चुनाव हारने वाले प्रत्याशियों के समर्थकों द्वारा सोशल मीडिया पर उकसाने वाली टिप्पणियाँ, गाली-गलौज भरे वीडियो और विरोधी दलों के खिलाफ अपमानजनक संदेश साझा किए जा रहे हैं। इससे दोनों पक्षों के बीच तनाव की स्थिति बन सकती है, जिसे गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने साइबर मॉनिटरिंग बढ़ाने का आदेश दिया है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बढ़ी निगरानी
मुख्यालय के निर्देश के बाद राज्यभर की साइबर टीम सक्रिय हो गई है। फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और अन्य प्लेटफॉर्म पर नजर रखी जा रही है। साइबर टीम उन पोस्टों की पहचान कर रही है जो राजनीतिक माहौल को प्रभावित कर सकते हैं या किसी वर्ग के खिलाफ नफरत फैलाते हैं। कई जिलों में ऐसे पोस्टों की सूची भी तैयार की जा रही है जिन्हें आपत्तिजनक श्रेणी में रखा गया है। अधिकारियों ने कहा है कि यदि किसी पोस्ट से सामाजिक सद्भाव बिगड़ने की आशंका हो तो संबंधित व्यक्ति की पहचान कर उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी और आवश्यकता पड़ने पर तुरंत गिरफ्तारी भी की जा सकती है।
आम लोगों और समर्थकों से सावधानी बरतने की अपील
पुलिस ने आम नागरिकों और राजनीतिक दलों के समर्थकों से अपील की है कि वे सोशल मीडिया पर किसी भी तरह का भ्रामक, भड़काऊ या अपमानजनक कंटेंट साझा न करें। यदि कोई ऐसा पोस्ट वायरल पाता है, तो उसे साझा करने के बजाय तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दें। पुलिस ने स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया पर की गई हर पोस्ट साइबर कानूनों के अंतर्गत आती है और आपत्तिजनक कंटेंट पोस्ट करने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
भागलपुर में जदयू नेता को धमकी का मामला सामने आया
इसी बीच भागलपुर से सोशल मीडिया से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है। जदयू नेता राकेश कुमार ओझा ने तातारपुर थाना में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। ओझा का कहना है कि उन्होंने 22 नवंबर को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने पार्टी-विरोधी गतिविधियों में शामिल कार्यकर्ताओं की जांच कर कानूनी कार्रवाई करने की बात लिखी थी। कुछ ही देर बाद उन्हें एक अज्ञात व्यक्ति का फोन आया, जिसने उन्हें अपशब्द कहे और जान से मारने की धमकी दी। ओझा ने बताया कि धमकी मिलने के बाद वे मानसिक रूप से परेशान हैं और अपनी सुरक्षा की मांग की है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। कॉल करने वाले व्यक्ति की पहचान के लिए मोबाइल नंबर ट्रेस किया जा रहा है और साइबर टीम को भी जांच में लगाया गया है।
सोशल मीडिया से बढ़ते विवादों को लेकर सतर्क हुई पुलिस
राजनीतिक माहौल में सोशल मीडिया का प्रभाव बढ़ने के कारण कई बार छोटे विवाद भी बड़े रूप ले लेते हैं। चुनाव के दौरान कई समर्थकों ने सोशल मीडिया को अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया, लेकिन अब चुनाव खत्म होने के बाद भी कई पोस्ट विवाद को जन्म दे रहे हैं। पुलिस प्रशासन का मानना है कि यदि समय रहते ऐसे पोस्टों पर कार्रवाई नहीं की गई तो कहीं-कहीं तनाव की स्थिति बन सकती है। इसलिए पुलिस ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी तरह की उकसाने वाली गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रशासन का उद्देश्य है कि चुनावी माहौल शांत बना रहे और सोशल मीडिया किसी तरह की नकारात्मक प्रवृत्ति को बढ़ावा न दे।
राजनीतिक माहौल शांत रखने की दिशा में पुलिस के प्रयास
अधिकारियों ने बताया कि सोशल मीडिया पर पोस्ट की निगरानी के लिए विशेष टीमें गठित की गई हैं। ये टीमें पूरे समय सक्रिय रहेंगी और जैसे ही कोई संदिग्ध गतिविधि सामने आती है, तुरंत उसे उच्च अधिकारियों को सूचित किया जाएगा। पुलिस ने जिलों को निर्देश दिया है कि स्थानीय स्तर पर भी साइबर तकनीक का उपयोग बढ़ाया जाए और किसी भी विवाद को समय पर नियंत्रण में लिया जाए। बिहार में सोशल मीडिया पर बढ़ती असंवेदनशीलता और भड़काऊ सामग्री को रोकने के लिए पुलिस ने जो कदम उठाए हैं, वे जरूरी और समयोचित हैं। चुनाव के बाद के दिनों में राजनीतिक बयानबाजी और समर्थकों के बीच तीखी प्रतिक्रियाओं की संभावना हमेशा रहती है। ऐसे में सोशल मीडिया की निगरानी न केवल कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी है बल्कि सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है।


