पटना में पुलिस पर जमीन कब्जा करने का आरोप, ग्रामीणों का फूटा आक्रोश, डीएम और एसएसपी को दिया आवेदन

पटना। दीदारगंज थाना क्षेत्र से एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें स्थानीय पुलिस पर जमीन कब्जा कराने का आरोप लगा है। यह विवाद मुनटुन साव और उनके परिवार की पुश्तैनी जमीन को लेकर खड़ा हुआ है, जिसमें उन्होंने पूर्व डिप्टी मेयर के बेटे पवन कुमार और मीनू कुमारी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने पुलिस की मिलीभगत से उनकी 52 कट्ठे जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया है। यह जमीन महावीर घाट के पास स्थित है, जो काफी कीमती और विवादास्पद मानी जाती है।
पुश्तैनी जमीन पर अचानक दावा
पीड़ित मुनटुन साव और उनके साथ 12-13 अन्य भूस्वामियों ने बताया कि पवन कुमार ने अचानक इस जमीन पर दावा करना शुरू कर दिया। जब उन्होंने इसका विरोध किया, तो पवन कुमार ने अपने समर्थकों और कथित गुंडों के साथ आकर मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी। मुनटुन साव का कहना है कि उनके पास रैयती जमीन के सभी वैध दस्तावेज हैं, जबकि विपक्षी पक्ष ने अब तक कोई वैध दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया है।
पुलिस पर गंभीर आरोप
मुनटुन साव ने दीदारगंज थाना अध्यक्ष रणवीर कुमार, मुंशी लाल देव और एसआई धनंजय सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनके अनुसार पुलिस ने उन्हें और उनके बेटे को जबरन थाने बुलाया और वहां 30 घंटे तक बिठाए रखा। इस दौरान रात के समय उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया गया। इतना ही नहीं, पुलिस ने उन्हें रेप केस में फंसाने की धमकी दी और एक खाली बॉन्ड पर हस्ताक्षर भी करवा लिया।
प्रदर्शन और न्याय की मांग
इस घटना के विरोध में पीड़ितों ने शनिवार को प्रदर्शन किया और न्याय की गुहार लगाई। उन्होंने पटना के जिलाधिकारी (डीएम), वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) और फतुहा डीएसपी को इस मामले की शिकायत दी। ग्रामीणों का आक्रोश इस बात को लेकर भी है कि जिस संस्था पर उन्हें न्याय दिलाने की जिम्मेदारी है, वही पक्षपात करती नजर आ रही है।
जांच का आदेश
इस पूरे प्रकरण को लेकर पटना एसएसपी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए ग्रामीण एसपी विक्रम सिहाग को जांच का आदेश दिया है। उन्हें 15 दिनों के भीतर पूरी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। ग्रामीण एसपी ने भी बयान दिया है कि उन्हें मामले की जानकारी मिली है और वे जल्द ही जांच प्रक्रिया शुरू कर देंगे।
पुलिस का इनकार और पीड़ितों के आरोप
वहीं, दीदारगंज थाना अध्यक्ष रणवीर कुमार ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि थाना कभी किसी जमीन पर खड़े होकर कब्जा नहीं करवाता। उन्होंने दावा किया कि पुलिस केवल कानून के अनुसार कार्रवाई करती है और इस मामले में भी जांच के अनुसार आगे की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
मामले में उठते सवाल
हालांकि, पुलिस के इस बयान के बावजूद, पीड़ितों द्वारा लगाए गए आरोप गंभीर सवाल खड़े करते हैं। यदि वास्तव में पुलिस की संलिप्तता पाई जाती है, तो यह कानून-व्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न है। खासकर तब, जब किसी व्यक्ति की पुश्तैनी संपत्ति पर दबंगई और सरकारी तंत्र के दुरुपयोग से कब्जा किया जा रहा हो। इस घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था और पुलिस की निष्पक्षता पर गंभीर चिंता जताई है। अब देखना यह है कि ग्रामीण एसपी की जांच में सच्चाई सामने आती है या नहीं। पीड़ित पक्ष को न्याय मिलना इस बात पर निर्भर करता है कि जांच निष्पक्ष रूप से की जाती है या नहीं। यह मामला केवल एक व्यक्ति की जमीन का नहीं, बल्कि पूरे समाज में न्याय व्यवस्था पर लोगों के विश्वास का प्रतीक बन गया है।

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