23 अक्टूबर को बिहार में तीन जगह पर रैली करेंगे पीएम मोदी, चुनावी प्रचार में भरेंगे हुंकार
- 28 अक्टूबर को दरभंगा मुजफ्फरपुर और पटना में होगी रैली, 1 नवंबर को चंपारण समस्तीपुर और छपरा में होगा पीएम का भाषण, चार दिनों में 12 रैलियां करेंगे पीएम
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, राज्य का राजनीतिक तापमान तेजी से बढ़ता जा रहा है। अब इस चुनावी जंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एंट्री होने जा रही है, जिससे सियासी माहौल और भी गरमाने वाला है। प्रधानमंत्री मोदी 23 अक्टूबर से बिहार में अपनी चुनावी रैलियों की शुरुआत करेंगे, जो नवंबर की शुरुआत तक कई जिलों में आयोजित की जाएंगी। इन रैलियों के जरिए प्रधानमंत्री न केवल मतदाताओं से सीधा संवाद करेंगे बल्कि भाजपा और एनडीए के लिए चुनावी अभियान को नई दिशा देने का प्रयास करेंगे।
सासाराम, गया और भागलपुर में पहली रैली
प्रधानमंत्री मोदी की पहली रैली 23 अक्टूबर को सासाराम, गया और भागलपुर में होगी। ये तीनों क्षेत्र बीजेपी और एनडीए के मजबूत गढ़ माने जाते हैं। मोदी के दौरे का उद्देश्य यहां संगठन को मजबूती देना और कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरना है। उनके भाषणों में विकास, रोजगार, शिक्षा, किसानों की स्थिति और भ्रष्टाचार मुक्त शासन जैसे मुद्दों को प्रमुखता से रखा जाएगा। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी की रैलियां मतदाताओं के मनोबल पर सीधा असर डाल सकती हैं, खासकर युवा वर्ग में जो विकास की उम्मीदें लेकर भाजपा की ओर देख रहा है।
दरभंगा, मुज़फ़्फ़रपुर और पटना में दूसरा चरण
इसके बाद 28 अक्टूबर को प्रधानमंत्री दरभंगा, मुज़फ़्फ़रपुर और पटना में रैलियों को संबोधित करेंगे। मिथिलांचल के दरभंगा और मुज़फ़्फ़रपुर इलाके सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। वहीं पटना, जो राज्य की राजधानी होने के साथ-साथ बिहार की राजनीति का केंद्र बिंदु है, वहां की रैली को सबसे रणनीतिक माना जा रहा है। मोदी इन इलाकों में जनता के सामने केंद्र सरकार की उपलब्धियों और बिहार के विकास के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख करेंगे। उनकी मौजूदगी कार्यकर्ताओं में जोश भरने के साथ-साथ एनडीए के प्रति जनसमर्थन को मजबूत करने में सहायक होगी।
पूर्वी चम्पारण, समस्तीपुर और छपरा में तीसरा चरण
1 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी पूर्वी चम्पारण, समस्तीपुर और छपरा में जनसभाओं को संबोधित करेंगे। इन जिलों में सामाजिक और जातीय समीकरणों का गहरा प्रभाव है, इसलिए इन रैलियों को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पूर्वी चम्पारण का ऐतिहासिक महत्व, समस्तीपुर का राजनीतिक वजन और छपरा की सामाजिक विविधता—इन तीनों का संगम बिहार की राजनीति में अहम भूमिका निभाता है। प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषणों में इन क्षेत्रों के स्थानीय मुद्दों, कृषि सुधारों और रोजगार सृजन पर बल देंगे।
अंतिम चरण: पश्चिमी चम्पारण, अररिया और सहरसा
प्रधानमंत्री की अंतिम रैली 3 नवंबर को पश्चिमी चम्पारण, अररिया और सहरसा में होगी। यह चरण बिहार के सीमावर्ती और पिछड़े इलाकों को केंद्र में रखेगा। इन जिलों में विकास की कमी, बाढ़ की समस्या और रोजगार जैसे मुद्दे प्रमुख हैं। मोदी इन रैलियों में सरकार की योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, जल-जीवन मिशन और किसान सम्मान निधि का उल्लेख करते हुए जनता को यह संदेश देंगे कि भाजपा की सरकार विकास और जनकल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।
चुनावी रणनीति और राजनीतिक प्रभाव
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रधानमंत्री की ये रैलियां बिहार चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं। उनके भाषण न केवल एनडीए कार्यकर्ताओं में उत्साह जगाएंगे बल्कि जनता में भी भरोसा और समर्थन की लहर पैदा करेंगे। एनडीए को उम्मीद है कि मोदी की लोकप्रियता और उनके विकास केंद्रित संदेश से चुनावी समीकरण उनके पक्ष में झुकेंगे। वहीं विपक्ष भी इस दौरान अपनी रणनीति को तेज करने की तैयारी में है, ताकि मोदी की रैलियों के प्रभाव को कम किया जा सके।
जनता से सीधा संवाद और भावनात्मक जुड़ाव
प्रधानमंत्री मोदी की रैलियां केवल राजनीतिक सभा नहीं, बल्कि जनता से संवाद का एक सशक्त माध्यम मानी जा रही हैं। उनके भाषणों में भावनात्मक जुड़ाव और जमीनी हकीकत का मिश्रण होता है, जिससे आम मतदाता आसानी से प्रभावित होते हैं। मोदी अक्सर अपनी रैलियों में बिहार के गौरवशाली इतिहास, युवाओं की ऊर्जा और किसानों की मेहनत का उल्लेख करते हैं, जिससे स्थानीय लोगों में आत्मीयता का भाव उत्पन्न होता है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के इस चरण में प्रधानमंत्री मोदी की रैलियां पूरे राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं। सासाराम से लेकर सहरसा तक होने वाली इन सभाओं से न केवल भाजपा के कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ेगा, बल्कि मतदाताओं के बीच भी चुनावी माहौल गरमाएगा। इन रैलियों का मकसद स्पष्ट है—विकास, रोजगार और सुशासन के संदेश को जनता तक पहुँचाना। यदि प्रधानमंत्री की यह चुनावी मुहिम उम्मीद के मुताबिक असर दिखाती है, तो एनडीए के लिए यह चुनावी पासा पलटने वाला साबित हो सकता है।


